28.8 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

न पार्षदों का जमावड़ा, न बैठकें, खाली पड़े हैं मेयर और डिप्टी मेयर के चेंबर

पटना : नगर निगम चुनाव का सीधा असर नगर निगम के कार्यकलाप पर पड़ता है. चुनाव आचार संहिता के कारण कोई नया काम नहीं हो रहा है. निगम मुख्यालय का माहौल फीका हो गया है. निगम मुख्यालय में जहां पार्षद विभिन्न प्रकार की समस्या, नाली व गली का निर्माण, पानी की आपूर्ति तो कभी जलजमाव […]

पटना : नगर निगम चुनाव का सीधा असर नगर निगम के कार्यकलाप पर पड़ता है. चुनाव आचार संहिता के कारण कोई नया काम नहीं हो रहा है. निगम मुख्यालय का माहौल फीका हो गया है. निगम मुख्यालय में जहां पार्षद विभिन्न प्रकार की समस्या, नाली व गली का निर्माण, पानी की आपूर्ति तो कभी जलजमाव की परेशानी लेकर जमावड़ा लगाये रहते थे. अब उसी निगम मुख्यालय के गलियारा में कोई पार्षद नहीं दिखते. महापौर व उप महापौर के चेंबर खाली पड़े हैं. अभी बैठकों का दौर भी चल रहा है. हालांकि, निगम प्रशासन ने अब तक मेयर व उप मेयर के नेम प्लेट को नहीं हटाया है.
भंग हो चुकी है सशक्त स्थायी समिति व बोर्ड : नगर निगम के काम करने की संरचना लगभग राज्य सरकार के सिस्टम की तरह की होता है, क्योंकि नगर निगम में चुने प्रत्याशी ही मिल कर नगर सरकार का गठन करते हैं. निगम में किसी भी कार्य को पूरा करने के लिए दो बातें जिम्मेवार होती हैं. निगम में किसी भी योजना की अनुशंसा पार्षद, नगर आयुक्त या मेयर की ओर से की जाती है. इसके बाद योजना का संलेख बनाकर निगम प्रशासन सशक्त स्थायी समिति के सामने लाता है.

वहां से स्वीकृति के बाद अगर योजना बड़ी रही तो पार्षदों की बैठक यानी निगम बोर्ड में लाया जाता है. योजना में अगर दोनों जगह से स्वीकृति मिल जाये तो योजना पूरी करने की जिम्मेवारी नगर आयुक्त व इनकी विभिन्न शाखाओं की टीम की होती है. चुनाव के बाद फिलहाल सशक्त स्थायी समिति व निगम बोर्ड दोनों भंग है.

नहीं शुरू होगी कोई नयी योजना
अचार संहिता के कारण नगर निगम में अभी कोई नया काम नहीं किया जा सकता है. आचार संहिता के कारण निविदा के बाद भी नगर निगम किसी एजेंसी को वर्क ऑर्डर नहीं कर सकता. इसके अलावा निगम की ओर से नयी योजनाओं की स्वीकृति के लिए या उसका प्रारूप तैयार करने के लिए भी नयी सरकार का इंतजार करना होगा. संभावना के अनुसार दस जून के बाद नयी सरकार के गठन के बाद एक बार फिर निगम अपने योजनाओं को अंजाम देना शुरू कर देगा.
कभी साथ, कभी विरोध की रणनीति
मौर्यालोक स्थित निगम मुख्यालय में महापौर व उप महापौर के चेंबर में कभी एक-दूसरे के विरोध की रणनीति बनती थी, तो कभी राजनीतिक विरोधी भी एक साथ मिलकर काम करते थे. उप महापौर के पद पर जब तक विनय कुमार पप्पू व रूप नारायण मेहता का कब्जा रहा, दोनों ने मेयर अफजल इमाम का साथ दिया. लेकिन, बाद में विरोधी बन गये. इसके बाद अमरावती देवी उप महापौर बनीं
और चुनाव तक मेयर के साथ मिल कर काम करती रहीं.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें