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एक्ट में संशोधन के बिना कैसे हो गया जमीन का आवंटन

पटना: प्रधान महालेखाकार कार्यालय के अधिकारियों की मानें तो बिहार सरकार के कई ऐसे विभाग हैं, जो ऑब्जेक्शन यानी आपत्ति का जवाब नहीं देते. नगर विकास एवं आवास विभाग इस मामले में पहले पायदान पर है. इसके बाद वित्त, स्वास्थ्य, गृह, जल संसाधन विभाग का नंबर है. यही नहीं, एक मामले में तो प्रमंडलीय आयुक्त […]

पटना: प्रधान महालेखाकार कार्यालय के अधिकारियों की मानें तो बिहार सरकार के कई ऐसे विभाग हैं, जो ऑब्जेक्शन यानी आपत्ति का जवाब नहीं देते. नगर विकास एवं आवास विभाग इस मामले में पहले पायदान पर है.

इसके बाद वित्त, स्वास्थ्य, गृह, जल संसाधन विभाग का नंबर है. यही नहीं, एक मामले में तो प्रमंडलीय आयुक्त के विरोध के बावजूद पूर्णिया में नगर विकास विभाग जमीन की बंदरबांट करने पर अड़ा हुआ है, जो नियम के विरुद्ध है. इसी तरह का मामला पटना के बहादुरपुर में आवासीय सह व्यावसायिक परिसर के निर्माण के लिए एनबीसीसी कंपनी को आवंटित जमीन का है.

एनबीसीसी कंपनी नियम के विरुद्ध आवासीय भूखंड को व्यावसायिक उपयोग के लिए आवंटित कर रही है. एजी ऑफिस के सूत्रों के अनुसार, पूर्णिया में 56 हजार वर्ग फुट जमीन का आवंटन आवास बोर्ड ने कर दिया है, जबकि सरकार का निर्णय था कि प्रमंडलीय आयुक्त की अध्यक्षता में कमेटी बना कर जमीन आवंटित किया जायेगा. यह आदेश जुलाई 2011 में दिया गया, लेकिन उसका पालन नहीं किया गया. अब एजी ने इस पर विभाग के समक्ष आपत्ति दी है. इसका जवाब नहीं दिया गया. इधर, पटना के बहादुरपुर में चार एकड़ जमीन आवास बोर्ड की है. जमीन आवासीय प्रकृति की है, लेकिन उसे व्यावसायिक परिसर में विकसित करने के लिए एनबीसीसी कंपनी को दे दी गयी है. अब कंपनी उस जमीन को आवंटित कर रही है. इसके लिए विभाग को आवास बोर्ड के एक्ट में संशोधन करना चाहिए, लेकिन उसे आज तक नहीं किया गया है. एजी की आपत्ति है कि बगैर एक्ट में संशोधन के जमीन का आवंटन कैसे हो रहा है.

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