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जीएम सरसों बीज को रद्द करे केंद्र : सीएम
मुख्यमंत्री ने केंद्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्री को पत्र लिख कर जताया विरोध पटना : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बुधवार को केंद्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्री अनिल माधव दवे को पत्र लिख कर जेनेटकली मोडिफाइड जीएम सरसो बीज को तत्काल रद्द करने की मांग की. उन्होंने पूर्व में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखे अपने पत्र […]
मुख्यमंत्री ने केंद्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्री को पत्र लिख कर जताया विरोध
पटना : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बुधवार को केंद्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्री अनिल माधव दवे को पत्र लिख कर जेनेटकली मोडिफाइड जीएम सरसो बीज को तत्काल रद्द करने की मांग की. उन्होंने पूर्व में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखे अपने पत्र का हवाला देते हुए कहा कि जब तक जीएम सरसो बीज देश के बाजार में अपना पांव पसारे और उससे किसानों को नुकसान हो, इसके पहले उसे रद्द कर दिया जाये. उन्होंने समाचार पत्रों में प्रकाशित खबरों का हवाला देते हुए कहा कि इससे पता चला है कि केंद्र सरकार ने जीएम सरसों बीज को देश के बाजार में आने की अनुमति प्रदान कर दी है.
मुख्यमंत्री ने कहा कि बिहार सरकार ने पहले ही इस बीज को लेकर अपना विरोध दर्ज जता चुकी है. उन्होंने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर हस्तक्षेप करने का अनुरोध किया था. मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार की सहमति या विचार के बिना जीएम सरसों को बाजार में आने की अनुमति नहीं देनी चाहिए. उन्होंने कहा कि इस मामले में बिहार सरकार ने पूर्व में ही अपना रुख स्पष्ट कर दिया है. जीएम सीरिज में 2009 में बीटी बैगन का सरकार ने विरोध किया था.
राज्य सरकार की समझ है कि कृषि के समावेशी विकास के लिए किसी नये ट्रांसजेनिक तकनीक या खतरनाक तकनीक के सहयोग की जरूरत नहीं है. उन्होंने कहा कि जीएम फसल पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है.
मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्रीय वन एव पर्यावरण मंत्रालय की एक इकाई जेनेटिक इंजीनियरिंग एप्रुवल कमेटी जीइएसी किसान और देशवासियों काे हानि पहुंचाने वाली जीएम सरसो की खेती को हरी झंडी दे दी है. जब भारत में गैर जीएम सरसो का उन्नत बीज है ही तो जीएम सरसो की आवश्यकता क्या है.
उन्होंने कहा कि यदि जीएम सरसो की अनुमति को रोका नहीं गया तो लाखों किसान और आम लोगों के लिए हानिकारक होगा. उन्होंने पीएम को लिखे पत्र की चर्चा करते हुए कहा कि केंद्र सरकार राज्यों पर जीएम सरसो के मामले में अपना निर्णय थोपने जा रही है.
इसके पहले छह अक्तूबर, 2016 को मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री नरेेंद्र मोदी को पत्र लिख कर कहा था कि जीइएसी की 129 वीं बैठक में कहा गया है कि राज्य सरकार नब्बे दिनों में इसकी अनुमति नहीं देती है तो इसे मान लिया जायेगा कि राज्य सरकारें सहमत हैं. केंद्र का यह निर्णय गलत है. यदि नब्बे दिनों में अनुमति नहीं मिलती है तो इसे राज्यों का अस्वीकार समझना चाहिए.
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