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हर साल कैंसर के 1000 नये मरीज, 450 की हो रही मौत
आनंद तिवारी पटना : बिहार के बड़े अस्पतालों में शुमार इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान में हर साल 1000 कैंसर के नये मामले सामने आ रहे हैं. इनमें गैस्ट्रोइंट्रोलॉजी विभाग में सबसे अधिक 500 गॉल ब्लाडर के कैंसर के मामले आ रहे हैं. इसके अलावा स्त्री रोग विभाग में बच्चेदानी के 250 से 350 जबकि ब्रेस्ट […]
आनंद तिवारी
पटना : बिहार के बड़े अस्पतालों में शुमार इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान में हर साल 1000 कैंसर के नये मामले सामने आ रहे हैं. इनमें गैस्ट्रोइंट्रोलॉजी विभाग में सबसे अधिक 500 गॉल ब्लाडर के कैंसर के मामले आ रहे हैं. इसके अलावा स्त्री रोग विभाग में बच्चेदानी के 250 से 350 जबकि ब्रेस्ट कैंसर के 100 से 150 मामले पहुंचते हैं. यूटेराइन कैंसर के भी बहुत से मामले सामने आते हैं. हर साल करीब 1000 नये कैंसर के आ रहे मरीजों के इस आंकड़े ने संस्थान प्रशासन को भी सोचने को मजबूर कर दिया है. संस्थान के डॉक्टरों का कहना है कि कैंसर के एंडवांस्ड स्टेज में पहुंचने का सबसे बड़ा कारण मरीजों का तीसरे व चौथे स्टेज का कैंसर होने पर अस्पताल पहुंचना है.
गॉल ब्लाडर कैंसर से 450 की मौत : आइजीआइएमएस में सबसे अधिक गॉल ब्लाडर कैंसर के मरीज आ रहे हैं. यहां के गैस्ट्रोइंट्रोलॉजी विभाग ने अभी हाल ही में एक साल का आंकड़ा पेश किया है. बीते एक साल में यहां 500 ऐसे मरीज आये, जिन्हें गाॅल ब्लाडर कैंसर पाया गया. बड़ी बात तो यह है कि इन 500 मरीजों में 450 मरीजों की मौत भी हो गयी. यह स्थिति पिछले पांच साल से लगातार चल रही है. इलाज कर रहे डॉक्टरों का कहना है कि अगर पहले या फिर दूसरे स्टेज तक भी मरीज अस्पताल में आ जाते हैं, तो उन्हें बचाया जा सकता है.क्योंकि जिन 100 मरीजों को इलाज के दौरान बचाया जा रहा हैं, वह कैंसर के शुरुआती अवस्था में ही अस्पताल पहुंच गये थे.
इस तरह के आ रहे कैंसर के मरीज : महिलाओं में आइजीआइएमएस में ब्रेस्ट कैंसर, गर्भाशय कैंसर, ओवरी कैंसर के मरीज सबसे अधिक पहुंच रहे हैं, जबकि पुरुषों में नाक, कान, गला, मुंह के अलावा दिमाग, फेफड़ों, प्रोस्टेट और कोलो-रेक्टल कैंसर के मामले सबसे अधिक हैं. डाॅक्टरों के मुताबिक ब्रेन ट्यूमर और गाॅल ब्लाडर का कैंसर ज्यादा खतरनाक है, क्योंकि एडवांस्ड स्टेज में मरीज एक साल भी नहीं टिक पाता है.
ऐसे होता है कैंसर : महावीर कैंसर हृदय रोग अस्पताल के डायरेक्टर डॉ अशोक कुमार ने बताया कि अगर पेट में गैस बनता, पेट में हल्का दर्द व खाना नहीं पचने की समस्या हो, तो यह एक अल्ट्रासाउंड या फिर सिटी स्कैन करा लें. गाॅल ब्लाडर का लक्षण है, तो तुरंत पता चल जायेगा. वहीं महावीर कैंसर की डॉ अरुंधती ने बताया कि मेनोपॉज की उम्र तक पैप स्मीयर टेस्ट कराते रहना चाहिए, जिन लड़कियों की जल्दी शादी हो जाती है. उनमें भी गर्भाशय ग्रीवा कैंसर होने की ज्यादा संभावना रहती है. इसके लिए वैक्सिनेशन भी शुरू हो चुका है, जिसका उपयोग करना चाहिए.
क्या कहते हैं अधिकारी
आइजीआइएमएस में कैंसर रोगियों की संख्या बीते कुछ वर्षों से अधिक हो गयी है. अकेले गैस्ट्रोइंट्रोलॉजी विभाग में 500 कैंसर मरीज आते हैं, इनमें 450 की मौत हो जाती है. मौत के पीछे सबसे बड़ा कारण मरीज का तीसरे व चौथे स्टेज में अस्पताल पहुंचना है. जो मरीज शुरुआती लक्षण में आ जाते हैं उनको बचा लिया जाता है. इसके प्रति लोगों को जागरूक होना होगा.
डॉ मनीष मंडल, चिकित्सा अधिकारी, आइजीआइएमएस
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