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पाटलिपुत्र जंकशन को बेली रोड से जोड़ने का पथ निर्माण विभाग को निर्देश
पटना : हाइकोर्ट ने सोमवार को राज्य सरकार व रेलवे को आमने-सामने बैठ कर बेली रोड से पाटलिपुत्र रेलवे स्टेशन तक के लिए व्यवधान रहित पथ निर्माण की योजना शीघ्र बनाने को कहा है. मुख्य न्यायाधीश राजेंद्र मेनन व जस्टिस सुधीर सिंह ने भरत प्रसाद सिंह की जनहित याचिका की सुनवाई के बाद यह आदेश […]
पटना : हाइकोर्ट ने सोमवार को राज्य सरकार व रेलवे को आमने-सामने बैठ कर बेली रोड से पाटलिपुत्र रेलवे स्टेशन तक के लिए व्यवधान रहित पथ निर्माण की योजना शीघ्र बनाने को कहा है.
मुख्य न्यायाधीश राजेंद्र मेनन व जस्टिस सुधीर सिंह ने भरत प्रसाद सिंह की जनहित याचिका की सुनवाई के बाद यह आदेश पारित किया. याचिकाकर्ता के वकील ने कोर्ट को बताया कि सही लिंक रोड के बिना यात्रियों को परेशानी हो रही है. यह भी कहा कि लिंक रोड बनाने की बात पर राज्य सरकार और रेलवे के बीच तालमेल नहीं है.
कोर्ट ने प्राइवेट पाॅलीटेक्निक संस्थानों के हजार छात्रों काे 50-50 हजार का मुआवजा देने का दिया आदेश : हाइकोर्ट ने सोमवार को कानून की परवाह न करनेवालेे गैर सरकारी (प्राइवेट) पॉलीटेक्निक संस्थानों को एक हजार छात्रों को 50-50 हजार रुपये प्रति व्यक्ति के हिसाब से मुआवजा देने का आदेश दिया है. जस्टिस चक्रधारी शरण सिंह की एकलपीठ ने यह आदेश अमन तथा करीब एक हजार पॉलीटेक्निक छात्रों की रिट याचिका की सुनवाई के बाद दिया. याचिकाकर्ता ने अपने-अपने पॉलीटेक्निक संस्थान के विश्वविद्यालयों पर कोर्ट का आदेश मांगा था कि वो उन्हें परीक्षा में शामिल होने का मौका दें, पर विश्वविद्यालयों का कहना था कि सभी गैरसरकारी पॉलीटेक्निक संस्थानों ने नियमों की धज्जियां उड़ायी है.
इसके चलते विश्वविद्यालयों को विवश होकर छात्रों को परीक्षा में शामिल करना मुश्किल था. इसलिए उन्हें परीक्षा में शामिल नहीं किया गया. कोर्ट ने कहा कि सभी गैर सरकारी पॉलीटेक्निक संस्थानों ने उन एक हजार छात्रों की जीविका के साथ खिलवाड़ किया है. इसके लिए उन्हें प्रति विद्यार्थी 50 हजार रुपये मुआवजा देने होंगे. साथ ही उनकी अब तक की पढ़ाई खर्च व फीस भी वापस करने होंगे.
पटना. पटना उच्च न्यायालय ने सोमवार को राज्य सरकार को आदेश दिया कि वह कोर्ट को बताये कि थर्ड जेंडर की सुरक्षा के लिए सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के अनुसार कौन-कौन से उपाय की है. मुख्य न्यायाधीश राजेंद्र मेनन एवं जस्टिस सुधीर सिंह की खंडपीठ ने रमेश उर्फ रेशमा की जनहित याचिका की सुनवाई के बाद यह आदेश दिया.
कोर्ट ने बिहार राज्य विधिक सेवा प्राधिकार को आदेश दिया कि वह यह बताये कि अब तक राज्य सरकार से संयोजन कर क्या थर्ड जेंडर के सदस्यों की सामाजिक सुरक्षा के लिए कोई भी काम किये गये हैं या नहीं. याचिकाकर्ता के वकील विकास कुमार पंकज ने कोर्ट से कहा कि सर्वोच्च न्यायालय ने 2014 में राष्ट्रीय न्यायिक सेवा प्राधिकार की याचिका पर केंद्र सरकार तथा सभी राज्य सरकारों को आदेश दिया था कि वह थर्ड जेंडर के अधिकारों की रक्षा करे तथा उन्हें सामाजिक सुरक्षा प्रदान करे.
इनमें से एक विषय था थर्ड जेंडर के सदस्यों का एचआइवी की जांच हो. एड्स कंट्रोल सोसाइटी जरूरत होने पर उनके समुचित इलाज की व्यवस्था करे. याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि पिछले सेंसस के अनुसार राज्य में तीसरे जेंडर की संख्या करीब 46,000 है. राज्य सरकार ने उनकी संख्या देने में असमर्थता जतायी. कोर्ट ने राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकार को इस जनहित याचिका पर हलफनामा देने का अादेश दिया.
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