35.4 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

कैबिनेट की बैठक में 19 एजेंडों पर लगी मुहर, डॉक्टरों को 3 साल तक बिहार में सेवा देना अनिवार्य

पटना : राज्य के मेडिकल कॉलेजों में पीजी में एडमिशन लेनेवाले छात्रों से अब सरकार बांड भरवायेगी. इन छात्रों को पीजी की पढ़ाई पूरी करने के बाद तीन साल तक राज्य सरकार में अपनी सेवा देना अनिवार्य होगा. अगर कोई बिना तीन साल की सेवा दिये राज्य से बाहर चला जाता है, तो उससे 25 […]

पटना : राज्य के मेडिकल कॉलेजों में पीजी में एडमिशन लेनेवाले छात्रों से अब सरकार बांड भरवायेगी. इन छात्रों को पीजी की पढ़ाई पूरी करने के बाद तीन साल तक राज्य सरकार में अपनी सेवा देना अनिवार्य होगा. अगर कोई बिना तीन साल की सेवा दिये राज्य से बाहर चला जाता है, तो उससे 25 लाख रुपये जुर्माना और वेतन या भत्ते के रूप में मिली पूरी राशि वसूली जायेगी. बुधवार को राज्य कैबिनेट की बैठक में ये निर्णय लिये गये. बैठक के बाद कैबिनेट विभाग के प्रधान सचिव ब्रजेश मेहरोत्रा ने बताया कि अगर कोई मेडिकल छात्र किसी पीजी कोर्स में एडमिशन लेकर इसे बीच में छोड़ देता है या विषय या संकाय बदल देता है, तो उससे 15 लाख रुपये और पढ़ाई की अवधि के दौरान मिली छात्रवृत्ति की राशि वसूल की जायेगी.
मालूम हो कि यहां के मेडिकल कॉलेजों में पीजी कोर्स में एडमिशन लेने के बाद अधिकतर छात्र दूसरे राज्य में चले जाते या कॉलेज बदल लेते हैं. इससे सितंबर के बाद यहां के मेडिकल कॉलेजों में पीजी की सीटें खाली होने लगती हैं. इसका परिणाम होता है कि सभी मेडिकल कॉलेजों में 60 से 70% सीटें खाली रह जाती हैं. इसके अलावा अक्सर देखा जाता है कि पीजी में एडमिशन लेने के बाद छात्र बीच में विषय बदल लेते हैं या दूसरे कॉलेजों में एडमिशन करवा लेते हैं. इस वजह से भी संबंधित विषय में सीटें खाली रह जाती हैं. राज्य के सभी मेडिकल कॉलेजों में पीजी के सीटों की संख्या 425 है. बांड भरवाने का यह फैसला सभी सीटों पर नामांकन लेनेवाले छात्रों पर सामान्य रूप से लागू होगा.
सुप्रीम कोर्ट ने राज्य के मेडिकल कॉलेजों में पीजी की सीटों को भरने से संबंधित अहम निर्णय सुनाया था, जिसके तहत प्रत्येक वर्ष सितंबर तक पीजी की सभी सीटों को भरने का आदेश दिया गया था. इस फैसले के बाद सितंबर के बाद पीजी कोर्स में एडमिशन लेने की मनाही हो गयी थी. लेकिन, छात्रों के बीच में छोड़ कर चले जाने के कारण काफी सीटें खाली रह जाती थीं. यहां के मेडिकल कॉलेजों में शिक्षक और सुपर स्पेशलियटी डॉक्टरों की खाली पड़ी सीटें भी इस वजह से नहीं भर पाती थीं.
ब्लैक स्पॉट चिह्नित कर रोका जायेगा सड़क हादसों को
बिहार में सड़क दुर्घटनाएं गंभीर समस्या बनती जा रही हैं. इसकी रोकथाम करने के लिए बुधवार को कैबिनेट की बैठक में अहम निर्णय लिये गये. राज्य में जितनी भी नेशनल हाइवे, स्टेट हाइवे, जिला सड़क और अन्य महत्वपूर्ण सड़कें हैं, इन सभी पर ‘ब्लैक स्पॉट’ चिह्नित किये जायेंगे.इसके लिए एक फॉर्मूला निर्धारित किया गया है, जिसके आधार पर सभी सड़कों पर ब्लैक स्पॉट का निर्धारण किया जायेगा. सभी जिलों में डीएम की अध्यक्षता में जिला सुरक्षा समिति का गठन किया गया है, जो इन ब्लैक स्पॉट की समीक्षा करने के बाद प्रत्येक वर्ष 15 फरवरी तक इसे सार्वजनिक करेंगे.
इस सूची को डीएम के स्तर पर दो बार समीक्षा करने के बाद ही सार्वजनिक किया जायेगा. ब्लैक स्पॉट को चिह्नित करने के बाद प्रत्येक जिला सुरक्षा समिति इन स्थानों पर दुर्घटना के मुख्य कारणों का पता लगायेगी और इनके रोकथाम के लिए ठाेस उपाय भी करेगी. इन स्थानों पर किसी तरह के सुधार और समाधान की जरूरत होगी, तो उसे किया जायेगा. राज्य में सड़क दुर्घटनाओं में मौत होने की दर राष्ट्रीय औसत से कहीं ज्यादा यानी 10.30 प्रतिशत है. वहीं, सड़क दुर्घटना का राष्ट्रीय औसत 2.5 और इन दुर्घटनाओं में मौत होने की दर 4.6 प्रतिशत है. सड़क दुर्घटना के राष्ट्रीय औसत में बढ़ोतरी दर्ज की गयी है.
ऐसे निर्धारित होंगे ब्लैक स्पॉट
सड़कों पर ब्लैक स्पॉट का निर्धारण जिला स्तर पर हादसों की स्थिति के आधार पर होगा. शहरी क्षेत्र की सड़कों के 200 मीटर, अर्धशहरी क्षेत्र में 400 मीटर और ग्रामीण क्षेत्र की सड़कों के 600 मीटर के दायरे में अगर किसी स्थान पर एक कैलेंडर वर्ष में 10 या इससे ज्यादा गंभीर हादसे या इनमें किसी की मौत होती है, तो इस स्थान को ब्लैक स्पॉट माना जायेगा. हर साल हादसों की स्थिति के आधार पर बदलाव किया जा सकता है.
जुर्माना राशि उपयोग सड़क सुरक्षा व जागरूकता में
परिवहन विभाग ने बिहार सड़क सुरक्षा परिषद का गठन किया है और इसके संचालन के लिए नियमावली, 2017 तैयार की गयी है. जिला स्तर पर जिला सड़क सुरक्षा समिति इकाई के रूप में काम करेगी. इसके तहत यह निर्णय लिया गया है कि एमवीआइ एक्ट के तहत पूरे राज्य में जितना जुर्माना वसूला जायेगा, वह राशि इसमें जमा होगी. इस राशि का उपयोग सड़क सुरक्षा कार्यक्रम, परिवहन से जुड़ी आधारभूत संरचना तैयार करने, जागरूकता कार्यक्रम चलाने, जरूरी उपकरण खरीदने, विशेषज्ञों की सलाह और परामर्श से सुरक्षित परिवहन के लिए अध्ययन और शोध कार्य में किया जायेगा.
आवास बोर्ड की लीज होल्ड जमीन को करवा सकते हैं फ्री होल्ड
बिहार राज्य आवास बोर्ड की ओर से आवंटित लीज होल्ड की जमीन को कोई भी व्यक्ति अपने नाम पर हमेशा के लिए ट्रांसफर करवा सकता है. यानी लीज होल्ड की जमीन को फ्री होल्ड में बदला जा सकता है. इसके लिए सरकार के पास जमीन के बाजार मूल्य की 10% राशि जमा करनी पड़ेगी. वर्तमान में आवास बोर्ड की राज्य में 13,133 करोड़ की जमीन मौजूद है. फ्री होल्ड होने के बाद जमीन हमेशा के लिए संबंधित व्यक्ति की हो जायेगी और इसका व्यावसायिक उपयोग किया जा सकता है. साथ ही इसकी खरीद-बिक्री भी आसानी से हो सकेगी.
अन्य फैसले
बिजली उपभोक्ताओं को Rs 2,952 करोड़ अनुदान देने की स्वीकृति
पटना हाइकोर्ट के जज समरेंद्र प्रताप सिंह राज्य विधिक सेवा प्राधिकार के कार्यकारी अध्यक्ष
सीवान के सिविल सर्जन डॉ चंद्रशेखर कुमार व पटना के तत्कालीन श्रम अधीक्षक बीरेंद्र कुमार महतो बरखास्त
लघु जल संसाधन विभाग में संविदा पर कार्यरत 135 जेइ को एक वर्ष का सेवा िवस्तार
नगर निकाय कर्मियों को पांचवां और छठा वेतनमान देने की घोषणा
त्रिवेणीगंज और सुरसंड को घोषित किया नगर पंचायत
औरंगाबाद जिले की दाउदनगर नगर पंचायत अब नगर पर्षद

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें