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बाल श्रम के लिए बने कड़ा कानून : विजय प्रकाश
श्रम संसाधन विभाग और यूनिसेफ की ओर से बाल श्रम पर कार्यशाला आयोजित पटना : राज्य के श्रम संसाधन मंत्री विजय प्रकाश ने कहा है कि जागरूकता से ही बाल श्रम का खात्मा होगा. सभी को इसमें अपनी जिम्मेवारी निभानी होगी. बाल श्रम की समाप्ति को लेकर कड़े कानून बनने चाहिए. बाल श्रम सभ्य समाज […]
श्रम संसाधन विभाग और यूनिसेफ की ओर से बाल श्रम पर कार्यशाला आयोजित
पटना : राज्य के श्रम संसाधन मंत्री विजय प्रकाश ने कहा है कि जागरूकता से ही बाल श्रम का खात्मा होगा. सभी को इसमें अपनी जिम्मेवारी निभानी होगी. बाल श्रम की समाप्ति को लेकर कड़े कानून बनने चाहिए. बाल श्रम सभ्य समाज के लिए नासूर है. प्रकाश मंगलवार को श्रम संसाधन विभाग और यूनिसेफ की ओर से बाल श्रम पर आयोजित कार्यशाला में बोल रहे थे.
इस मौके पर विभाग के प्रधान सचिव दीपक कुमार सिंह, श्रमायुक्त गोपाल मीणा और पंचायती राज विभाग के निदेशक कुलदीप नारायण भी मौजूद थे. कार्यशाला में बाल श्रम से बच्चों को बचाने के लिए बनायी गयी सामाजिक एवं व्यवहार परिवर्तन रणनीति की जानकारी दी गयी. मंत्री प्रकाश ने कहा कि बाल श्रम पर लगातार काम करने की जरूरत हैं.
तभी यह समाप्त होगा. उन्होंने कहा कि सबसे दुखद स्थिति यह है कि 6 करोड़ बाल श्रमिक में से 11 फीसदी बिहार के हैं. 11 बाल श्रमिक में 1 बिहार का है. इस स्थिति को खत्म करना होगा. जिन हाथों में कलम होना चाहिए वे हाथ काम कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि ईमानदारी से इस क्षेत्र में काम करना होगा. श्रम संसाधन विभाग के सचिव दीपक कुमार सिंह ने कहा कि बाल श्रम की समाप्ति जागरूकता से और खुद के मानसिकता में बदलाव करने से होगा.
सामूहिक प्रयास करना होगा. उन्होंने भरोसा दिलाया कि विभाग इस दिशा में और मजबूती के साथ काम करेगा. कार्यशाला को यूनिसेफ के बिहार प्रमुख असदूर रहमान, प्रैक्सिस के आनिंदो बनर्जी, निपुण गुप्ता और मोना सिन्हा ने भी विचार रखे. श्रम संसाधन विभाग के प्रधान सचिव दीपक कुमार सिंह ने कहा कि बिहार को बाल श्रम मुक्त राज्य बनाने की दृष्टि से 2009 में राज्य में बाल श्रम के उन्मूलन, विमुक्ति और पुनर्वास के लिए एक राज्य कार्य योजना भी बनायी गयी है. धन्यवाद ज्ञापन संयुक्त श्रम आयुक्त सुजीत रॉय ने किया. संचालन अमिताभ पांडेय ने किया. बचपन बचाओ आंदोलन के स्टेट कन्वेनर, मुक्तारूल हक भी मौजूद थे.
बाल श्रम से मुक्त करवाएं गए बच्चों के पूर्नवास हेतु चाइल्ड ट्रैकिंग सिस्टम है. यूनिसेफ के बिहार प्रमुख असदूर रहमान ने कहा कि 2011 की जनगणना के अनुसार, बिहार भारत में बाल श्रमिकों की आबादी का तीसरा सबसे बड़ा योगदानकर्ता है, यहां कुल 4.5 लाख बच्चे बाल श्रम में लगे है. सामाजिक एवं व्यवहार परिवर्तन रणनीति का निर्माण श्रम संसाधन विभाग के द्वारा यूनिसेफ के तकनीकी सहयोग से किया गया हा. पिछले साल बाल मजदूरी के मुद्दे पर टोकेंगे, रोकेंगे और बदलेंगे नामक अभियान की शुरुआत की गयी थी.
श्रम आयुक्त गोपाल मीणा ने कहा कि विभाग, सरकार के द्वारा तैयार किये गये सामजिक एवं व्यवहार परिवर्तन रणनीति का उद्देश्य बच्चों के लिए एक सुरक्षात्मक वातावरण तैयार करने में सहयोग करना और उनके अस्तित्व और समग्र विकास के लिए खतरनाक, बाल श्रम से उन्हें सुरक्षित करना है. यह बिहार केा बालश्रम मुक्त करने की दिशा में हमारा एक महत्वपूर्ण कदम है. समाज संगठनों के साथ साझेदारी, बालश्रम उन्मूलन पर अभियान और बाल मजदूरों के ट्रैकिंग, बचाव और पुनर्वास के लिए बेहतर व्यवस्था शामिल है.
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