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अस्पताल परिसरों में अतिक्रमण से जुड़े मामलों का एक महीने में हो निबटारा
सभी जिलों के जिला सत्र न्यायाधीशों को हाइकोर्ट का निर्देश पटना : पटना उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को राज्य के 38 जिलों के जिला व सत्र न्यायाधीशों को आदेश दिया कि वे चार सप्ताह में जिला अस्पतालों, अनुमंडल अस्पतालों तथा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों के परिसरों में अतिक्रमण हुए लोगों की उन जमीनों पर किये गये […]
सभी जिलों के जिला सत्र न्यायाधीशों को हाइकोर्ट का निर्देश
पटना : पटना उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को राज्य के 38 जिलों के जिला व सत्र न्यायाधीशों को आदेश दिया कि वे चार सप्ताह में जिला अस्पतालों, अनुमंडल अस्पतालों तथा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों के परिसरों में अतिक्रमण हुए लोगों की उन जमीनों पर किये गये टाइटल सूट का निबटारा कर दें. मुख्य न्यायाधीश राजेंद्र मेनन व जस्टिस सुधीर सिंह की खंडपीठ ने यह अादेश एक जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान पारित किया. याचिकाकर्ता का कहना था कि राज्य के जिला अस्पतालों, अनुमंडल अस्पतालों, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों के हज़ारों बीघे जमीन पर अतिक्रमण का उच्च न्यायालय की ओर से हटाने के आदेश के बावजूद जारी है. इस कारण अस्पतालों में मरीजों का आवागमन व इलाज पर असर हो रहा है.
खंडपीठ ने कई महीने पहले सभी जिलाधिकारियों को अस्पतालों तथा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों से अतिक्रमण हटाने का आदेश दिया था.अतिक्रमण हटाये जाने के बाद कई अतिक्रमणकारियों ने जिला न्यायालयों में उन जमीनों पर टाइटल सूट फाइल कर दावा कर दिया. बहस में इस वर्ष 28 जनवरी को जब यह मामला कोर्ट के सामने लाया गया, तब मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने सभी जिला न्यायाधीशों को आदेश दिया कि एक महीने के अंदर उनके इन जंकशन पीटिशन का निष्पादन कर दें. ताकि, उसके बाद अस्पतालों तथा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों से अतिक्रमण हटाया जा सके.
वाहन प्रदूषण केंद्र से जारी हो प्रमाणपत्र
पटना उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को राज्य सरकार को आदेश दिया कि राज्य के सभी जिलों में चल रहे वाहनों के प्रदूषण जांच के लिए आवश्यक उपकरण के साथ सरंचना तैयार करे.
जिससे कि वाहनों के लिये तय प्रदूषणों मानकों के अनुसार प्रदूषण टेस्ट सर्टिफिकेट दिया जा सके. यह आदेश मुख्य न्यायाधीश राजेंद्र मेनन और जस्टिस सुधीर सिंह की कोर्ट ने सुधीर कुमार ओझा की जनहित याचिका पर पारित किया. याचिकाकर्ता का कहना था कि राज्य में एक तो वाहनों के प्रदूषण जांच केंद्र कम हैं और जो है भी उनमें उचितउपकरणों की कमी है, या सरंचना का अभाव है. इस कारण तय मानकों के अनुसार वाहनों को प्रदूषण जांच सर्टिफिकेट नही दिये जा रहे हैं.
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