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मूल्यांकन कार्य में बाधा पहुंचाने वाले शिक्षकों पर हुई प्राथमिकी
मनमानी. शिक्षकों को नहीं जाने दिया गया केंद्र के अंदर पटना : मूल्यांकन को लेकर राज्य सरकार के कड़े तेवर के बाद जिला प्रशासन ने इंटर-मैट्रिक के मूल्यांकन में व्यवधान करनेवाले शिक्षकों पर कार्रवाई शुरू कर दी है. पहले ही दिन शहर के मूल्यांकन केंद्रों पर मूल्यांकन में बाधा पहुंचा रहे शिक्षकों पर अलग-अलग थानों […]
मनमानी. शिक्षकों को नहीं जाने दिया गया केंद्र के अंदर
पटना : मूल्यांकन को लेकर राज्य सरकार के कड़े तेवर के बाद जिला प्रशासन ने इंटर-मैट्रिक के मूल्यांकन में व्यवधान करनेवाले शिक्षकों पर कार्रवाई शुरू कर दी है. पहले ही दिन शहर के मूल्यांकन केंद्रों पर मूल्यांकन में बाधा पहुंचा रहे शिक्षकों पर अलग-अलग थानों में प्राथमिकी दर्ज करायी गयी है.
डीइओ कार्यालय के मुताबिक दीघा, पाटलिपुत्र, गुलजारबाग व शास्त्री नगर थाने में सामूहिक अज्ञात शिक्षकों के खिलाफ मामला दर्ज कराया गया. ये लोग केंद्र के बाहर मूल्यांकन का बहिष्कार करने के साथ ही अन्य शिक्षकों को अंदर जाने से भी रोक रहे थे.शिक्षा विभाग ने सभी डीइओ को पत्र लिख कर बहिष्कार करनेवाले शिक्षकों की सूची मांगी है. इस आलोक में डीइओ ने पटना के सभी मूल्यांकन निदेशकों से ऐसे शिक्षकों की सूची तलब की है. सूची में शामिल शिक्षकों का वेतन भुगतान रोका जायेगा. इसके साथ ही उनको निलंबित भी किया जायेगा.
नहीं करने दिया मूल्यांकन कार्य
इंटरमीडिएट के साथ मैट्रिक मूल्यांकन को भी वित्त रहित और नियोजित शिक्षक रोक रहे हैं. यह हाल शुक्रवार को भी कई केंद्रों पर दिखा. केवी सहाय उच्च माध्यमिक विद्यालय के मुख्य द्वार पर सुबह से ही बहिष्कार कर रहे शिक्षक बैठे रहे. मूल्यांकन के लिए दूसरे शिक्षक आ रहे थे, तो उन्हें केंद्र के अंदर नहीं जाने दे रहे थे. फिर वहीं से शिक्षक वापस हो रहे थे. कुछ ऐसा ही हाल महंत हनुमान शरण उच्च माध्यमिक विद्यालय, मैनपुरा में भी था. शिक्षकों को अंदर नहीं जाने दिया जा रहा था. बहिष्कारवाले शिक्षक नारेबाजी करते रहे.
केंद्रों पर नहीं दिखा पुलिस बल
शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव के आदेश के बाद भी मूल्यांकन केंद्रों पर मजिस्ट्रेट और पुलिस बल की तैनाती नहीं की गयी है. ज्ञात हो कि विभाग की ओर से जिला प्रशासन को उन मूल्यांकन केंद्रों पर मजिस्ट्रेट रखने काे कहा गया था, जहां पर केंद्र के निदेशक वित्त रहित शिक्षक बनाये गये हैं.
पटना : इंटर के मूल्यांकन में अब सीबीएसइ के शिक्षकों को लगाने के निर्देश दिये गये हैं. हालांकि, प्रदेश के 7500 सीबीएसइ शिक्षकों को मूल्यांकन कार्य में लगा भी दिया जायेगा, तो भी समय पर मूल्यांकन का काम पूरा नहीं किया जा सकेगा. समिति के अनुसार इंटर की एक करोड़ उत्तर पुस्तिकाओं में से मात्र साढ़े तीन लाख उत्तर पुस्तिकाओं की ही जांच हो पायी है. इसमें 70 लाख उत्तर पुस्तिकाएं तो केवल साइंस और आर्ट्स के कुछ मुख्य विषयों की हैं. इधर, बिहार बोर्ड ने इंटर के मूल्यांकन के लिए प्रदेश में 29, 512 शिक्षक लगाये गये हैं. इसमें से मात्र दो हजार शिक्षक ही मूल्यांकन का कार्य कर रहे हैं.
सीबीएसइ से अधिक पारिश्रमिक, फिर भी बहिष्कार
बिहार विद्यालय परीक्षा समिति की मानें, तो मूल्यांकन केंद्र निदेशक और परीक्षकों को पारिश्रमिक के रूप में 700 और 600 मिलते हैं. वहीं, सीबीएसइ की बात करें, तो सीबीएसइ शिक्षकों को प्रति दिन 500 रुपये पारिश्रमिक के रूप में दे रही है.
स्कूल छोड़ जांच नहीं
कई सीबीएसइ स्कूल अपने शिक्षकों को बिहार बोर्ड के मूल्यांकन में भेजने के पक्ष में नहीं हैं. नाम नहीं छापने के शर्त पर कुछ स्कूल संचालकों ने बताया कि अभी नया सत्र शुरू हुआ है. ऐसे में पहले से ही शिक्षकों को मैनेज करने पड़ रहे हैं. अधिकांश शिक्षक 10वीं और 12वीं बोर्ड के मूल्यांकन में शामिल हैं. स्कूल का कोर्स भी मई तक पूरा करना है. बिहार बोर्ड के मूल्यांकन में शिक्षकाें का शामिल हाेना संभव नहीं है.
सीबीएसइ स्कूलों से संपर्क करें बिहार बोर्ड
सीबीएसइ पटना रीजनल आॅफिस की मानें, तो शिक्षकों से बिहार विद्यालय परीक्षा समिति को संपर्क करनी होगी. बोर्ड इसमें कुछ नहीं कर सकता है. सीबीएसइ भी जब मूल्यांकन करवाता है, तो शिक्षकों की सूची स्कूलों से लेते हैं. सूची के अनुसार विषय वार शिक्षकों को मूल्यांकन में लगाया जाता है. इस कारण बिहार बोर्ड को भी स्कूल स्तर पर संबंधित प्राचार्य से संपर्क कर शिक्षकों को मूल्यांकन में लगाना होगा.
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