पटना : असिस्टेंट प्रोफेसर की नियुक्ति के लिए बिहार राज्य विश्वविद्यालय सेवा आयोग के गठन से संबंधित विधेयक को गुरुवार को बिहार विधानसभा से मंजूरी मिल गयी. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सदन में आयोग के माध्यम से पारदर्शिता और निष्पक्षता के साथ नियुक्ति होने की घोषणा की. विश्वविद्यालयों व कॉलेजों में असिस्टेंट प्रोफेसर के खाली पदों पर अब विश्वविद्यालय सेवा आयोग के जरिये ही नियुक्ति की जायेगी. उन्होंने कहा कि आयोग में अच्छे व सुयोग्य शिक्षाविदों को जगह दी जायेगी. साथ ही नियम, योग्यता व अर्हता के जो केंद्र के मानक हैं, उनके आधार पर ही असिस्टेंट प्रोफेसर की बहाली करेगा. किसी प्रकार का भेदभाव नहीं किया जायेगा. गठन के बाद आयोग को सरकार हर संभव मदद करेगी. जितने स्टॉफ व आधारभूत संरचना की आवश्यकता होगी, उसे पूरा किया जायेगा, ताकि जल्द-से-जल्द असिस्टेंट प्रोफेसर की नियुक्ति हो सके और विश्वविद्यालयों के छात्र-छात्राओं को लाभ मिल सके.
मुख्यमंत्री ने दिलाया भरोसा, कोई गड़बड़ी करेगा, तो बख्शा नहीं जायेगा
बिहार राज्य विश्वविद्यालय सेवा आयोग के गठन पर विपक्ष की आपत्ति पर मुख्यमंत्री ने सदन को भरोसा दिलाया कि आयोग निष्पक्षता से नियुक्ति करेगा. इसमें भरोसा रखें. जब आयोग काम करने लगेगा, तो इसकी किसी कमी पर कोई सुझाव होगा, तो उस पर जरूर गौर किया जायेगा. बिहार बोर्ड के टॉपर घोटाला व बीएसएससी के चल रहे मामले से पीड़ा होती है. जांच की बात आ रही थी, लेकिन तथ्यों के आधार पर सीधे कार्रवाई की गयी. बीएसएससी मामले में भी एसआइटी का गठन हुआहैऔर जांच चल रही है. मुख्यमंत्री ने कहा कि लोगों का विश्वास सिस्टम पर बना रहे, यह जरूरी है. अगर कोई गड़बड़ी करता है, तो क्या कोई गारंटी दे सकता है कि वह गड़बड़ी नहीं करेगा? किसी के माथे पर तो यह नहीं लिखा होता है कि वह गड़बड़ी करेगा. लेकिन, अगर कोई गड़बड़ी करेगा, तो उसे बख्शा नहीं जायेगा.
बीपीएससी को करनी पड़ती हैं कई तरह की नियुक्तियां
मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्तमान में बिहार लोक सेवा आयोग के जरिये असिस्टेंट प्रोफेसर की नियुक्ति प्रक्रिया चल रही है. लेकिन, बीपीएससी को कई तरह की नियुक्तियां करनी पड़ती हैं. हर साल सिविल सेवा की परीक्षाएं आयोजित करनी पड़ती हैं. सब की अलग-अलग प्रक्रियाएं होती हैं. कहने से जल्द-से -जल्द बहाली हो जायेगी, यह सही नहीं है. लेकिन, बहाली के लिए जो अर्हता तय की जाती है, वह विभाग स्तर पर होती है. इसके बाद बीपीएससी अपने ढंग से काम करता है और उसके जिम्मे अनेक दायित्व हैं.
विश्वविद्यालयों में बढ़ती गयीं रिक्तियां
मुख्यमंत्री ने कहा कि विवि में रिक्तियां बढ़ती गयीं, जिससे वहां की शैक्षणिक स्थिति भी खराब होती गयी. राज्य में 12वीं के बाद उच्च शिक्षा में जानेवाले छात्रों की संख्या सिर्फ 13% है, जो राष्ट्रीय औसत 25% से काफी कम है. सरकार ग्राॅस इनराॅलमेंट रेशियो को बढ़ा कर 30% करना चाहती है. इसके लिए सरकार ने कई काम किये. नये विश्वविद्यालयों को मंजूरी मिली है. हर कमिश्नरी में एक विश्वविद्यालय हो, इसका प्रयास किया जा रहा है. आर्यभट्ट ज्ञान विवि, चंद्रगुप्त प्रबंधन संस्थान, चाणक्य लॉ यूनिवर्सिटी, आइआइटी, बीआइटी मेसरा समेत अन्य संस्थान राज्य में खुले. ऐसे में शिक्षकों की बहुत आवश्यकता है. हालांकि, उच्च शिक्षा पर नियंत्रण कुलाधिपति सह राज्यपाल का होता है, सरकार को सिर्फ सहयोग करती है. इसमें हस्तक्षेप नहीं करती है. विवि में पढ़ाई का वातावरण बेहतर हो, इसके लिए शिक्षकों की नियुक्ति के अधिकार विवि को दिये गये थे, लेकिन वे कर नहीं पाये.
जारी हो एकेडमिक कैलेंडर
नीतीश कुमार ने कहा कि जब 2005 में सरकार बनी, तो तत्कालीन राज्यपाल सह कुलाधिपति बूटा सिंह के साथ जो मीटिंग हुई, तो हमने साफ कहा कि हम विवि की ऑटोनॉमी पर विश्वास करते हैं. सरकार बस यही चाहती है तो विवि का जो सत्र एक-दो साल देर से चल रहा है, वह नियमित हो जाये. इसके लिए विवि से एकेडमिक कैलेंडर जारी हो, नियमित रूप से पढ़ाई हो और समय पर परीक्षाएं व रिजल्ट जारी हों, ताकि विवि के छात्र-छात्राओं को राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता में शामिल होने का मौका मिल सके.
केंद्र के मानकों के आधार पर होंगे नियम और अर्हता
असिस्टेंट प्रोफेसर के 55% पद खाली
विश्वविद्यालय स्वीकृत पद कार्यरत रिक्तियां
बीआरए बिहार 1861 701 1160
जेपी विवि 1013 377 676
वीर कुंवर सिंह विवि 1015 419 596
बीएन मंडल विवि 1482 784 698
पटना विवि 808 316 492
मगध विवि 3093 1650 1443
एलएनएमयू 1966 776 1190
तिलका मांझी विवि 1479 676 803
केएसडीएस विवि 781 401 380
अरबी-फारसी विवि 56 01 55
कुल 13,564 6079 7,485