वहीं, राजीव रंजन प्रसाद गुट ने विज्ञप्ति जारी कर महासभा पर रविनंदन सहाय की दावेदारी को ही पूरी तरह खारिज कर दिया. सहाय सदन में आयोजित प्रेस काॅन्फ्रेंस में रविनंदन सहाय ने कहा कि दूसरे गुट के विश्व मोहन कुलश्रेष्ठ लगातार मौखिक व लिखित रूप से कानूनी कार्रवाई करा कर दंडित करने की धमकी देते हैं. इस बार भी होली के मौके पर उन्होंने समाज के बैनर तले होली मिलन करने पर कानूनी कार्रवाई की धमकी दी. मौके पर निर्मल शंकर श्रीवास्तव, वाइ एन मल्लिक, डॉ निर्मल श्रीवास्तव, प्रदेश अध्यक्ष राजीव रंजन सिन्हा, व मुकेश कुमार मौजूद थे.
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रविनंदन गुट ने कहा- करेंगे मानहानि का केस राजीव रंजन गुट का जवाब- असली संगठन हमारा
पटना: अखिल भारतीय कायस्थ महासभा पर दावेदारी को लेकर दोनों गुटों का विवाद एक बार फिर सतह पर आ गया है. शनिवार को रविनंदन सहाय गुट ने जहां प्रेस काॅन्फ्रेंस कर लिखित धमकी देने पर दूसरे गुट के राष्ट्रीय महामंत्री विश्व मोहन कुलश्रेष्ठ पर मानहानि का केस करने की बात कहीं. वहीं, राजीव रंजन प्रसाद […]
पटना: अखिल भारतीय कायस्थ महासभा पर दावेदारी को लेकर दोनों गुटों का विवाद एक बार फिर सतह पर आ गया है. शनिवार को रविनंदन सहाय गुट ने जहां प्रेस काॅन्फ्रेंस कर लिखित धमकी देने पर दूसरे गुट के राष्ट्रीय महामंत्री विश्व मोहन कुलश्रेष्ठ पर मानहानि का केस करने की बात कहीं.
गुमराह कर रहे निर्मल शंकर : दूसरे गुट के राष्ट्रीय कार्यवाहक अध्यक्ष राजीव रंजन प्रसाद ने कहा कि निर्मल शंकर श्रीवास्तव निराधार, भ्रामक व समाज को गुमराह करने का काम कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि अगर निर्मल जी के पास कोई भी सरकारी दस्तावेज हो, तो समाज के समक्ष पेश कर अपने को सही साबित करें. उन्होंने कहा कि सरकारी तौर पर पहले गुट के राष्ट्रीय अध्यक्ष कैलाश नारायण सारंग व निर्मल शंकर की ओर से निर्गत आदेशों की विधिक मान्यता नहीं है.
क्या है मामला? : अखिल भारतीय कायस्थ महासभा का पंजीयन 1881 मैनपुरी (यूपी) में हुआ था. वर्ष 2009 में महासभा के ही यूपी के तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष एके श्रीवास्तव ने खुद को राष्ट्रीय अध्यक्ष घोषित किया. उस वक्त राष्ट्रीय अध्यक्ष कैलाश नारायण सारंग थे. बाद में इसका तीसरा धड़ा भी निकला, जिसमें डाॅ आशीष पारिया अध्यक्ष व विश्व मोहन कुलश्रेष्ठ महामंत्री बने. लेकिन, पहले धड़े का आरोप है कि यह एकपक्षीय ढंग से प्राप्त किया गया है. इसके खिलाफ इलाहाबाद हाइकोर्ट में रिट याचिका भी दाखिल है. हाइकोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद फैसला होने तक यथास्थिति बनाये रखने का आदेश दे रखा है. हालांकि, दोनों संगठन आदेश की अपनी तरह से व्याख्या कर खुद को असली संगठन बता रहे हैं.
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