पटना. बिहार की खेती-किसानी में तेजी से बदलाव आया है. यह बादलाव कृषि को लेकर उस साेच में भी उभरा है, जिसमें इसे घाटे का काम समझा जाता रहा है. बिहार में बड़ी संख्या में ऐसे किसान हैं, जो खेती में नये प्रयोग कर मिट्टी से सोना उपजा रहे हैं. जैविक खेती का नये प्रयोग कर जैविक खेती का नये प्रयोग कर सीमित संसाधन के बीच भी सफलता की नयी ऊंचाइयों को छू रहे हैं. ऐसे प्रयोगधर्मी किसानों की सूची लंबी है. इन्हीं में से एक हैं रोहतास जिले के सासाराम प्रखंड के महद्दीगंज निवासी किसान दिलीप सिंह. उन्होंने यह साबित कर दिया है कि कड़ी मेहनत व लगन से खेती की जाये, तो निश्चित ही किसान अपनी आर्थिक स्थिति को बेहतर कर सकता है. वह 60 एकड़ जमीन पर खुद सब्जी की खेती की बदौलत सालाना लगभग चालीस लाख रुपये कमा रहे हैं. साथ ही हजारों किसानों को प्रेरित भी किया. इस सराहनीय कार्य के लिए उन्हें कई राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार भी मिल चुके हैं.
क्या एक एकड़ जमीन में बैगन का आठ से 10 माह तक उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है और सवा लाख तक लाभ होता है? दिलीप सिंह ने इसे साबित कर दिखाया है. वह इसके लिए बैगन का बीज खुद तैयार करते हैं. 8-10 बैगन से देशी बैगन के 100 ग्राम बीज.
देशभर के कृषि संस्थानों ने माना बिहारी प्रयोग का लोहा
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, दिल्ली के वैज्ञानिकों का सहयोग एवं भारतीय सब्जी अनुसंधान, अदलपुरा (वाराणसी) में 2008 में डीन डॉ आरपी सिंह द्वारा एक किसान के रूप में विशेष जानकारी होने के लिए रजत पदक प्रदान किया गया. काशी हिंदू विश्वविद्यालय सह कृषि प्रदर्शनी में बैगन (लंबा) के सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन के लिए पहला स्थान प्राप्त किया. अगस्त, 2010 में पटना में आयोजित ‘सब्जी की ऑर्गेनिक खेती व प्रमाणीकरण’ कार्यशाला में भाग लेकर प्रमाणपत्न प्राप्त किया. 2005 में भारतीय सब्जी अनुसंधान, वाराणसी द्वारा आयोजित सब्जी उगानेवाले महोत्सव में भी उन्हें पुरस्कार मिला. इंटरनेशनल फूड प्रोसेसिंग का पुरस्कार-2010 में मिला. 2011 में अमेरिका में अंतरराष्ट्रीय इनोवेटिव किसान नाबार्ड ने भी राज्यस्तरीय किसान पुरस्कार-2011, जगजीवन अभिनव किसान पुरस्कार-2012 में दिया गया. 2012 में ही बिहार कृषि विश्वविद्यालय से इनोवेटिव कृषक अवार्ड मिला. इसके अलावा अच्छी खेती के लिए देश व विदेश स्तर पर भी कई पुरस्कार व सम्मान मिल चुके हैं.