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पकड़ीदयाल डीएसपी को हटाने पर विस में हंगामा
पटना : विधानसभा में प्रश्नकाल के दौरान मुख्य विपक्षी दल भाजपा के सदस्यों ने पकड़ीदयाल अनुमंडल के डीएसपी राकेश कुमार को स्थानांतरित करने को लेकर दो बार वेल में आकर हंगामा किया. उनका कहना था कि सरकार अपराध नियंत्रण करने में विफल पुलिस पदाधिकारी को बचा रही है. अनुमंडल में अपराध का ग्राफ बढ़ा हुआ […]
पटना : विधानसभा में प्रश्नकाल के दौरान मुख्य विपक्षी दल भाजपा के सदस्यों ने पकड़ीदयाल अनुमंडल के डीएसपी राकेश कुमार को स्थानांतरित करने को लेकर दो बार वेल में आकर हंगामा किया.
उनका कहना था कि सरकार अपराध नियंत्रण करने में विफल पुलिस पदाधिकारी को बचा रही है. अनुमंडल में अपराध का ग्राफ बढ़ा हुआ है और पुलिस पदाधिकारी द्वारा उसका नियंत्रण नहीं किया जा रहा है. डीएसपी का अपराधियों के साथ सांठ-गांठ है. अपराधियों द्वारा जेल से व्यावसायियों को धमकी दी जा रही है. मामला प्रश्नकाल के दौरान राणा रणधीर द्वारा उठाया गया. उन्होंने सरकार से पूछा कि नगरपंचायत पकड़ीदयाल में एके 47 की गोली से घायल, नगर पंचायत के उपाध्यक्ष की मौत हो गयी. 18 जनवरी को अनुमंडल के शेखपुरवा रोड में जायसवाल ट्रेडिंग पर वाइकर्स गैंग द्वारा एके 47 से फायरिंग कर मनोज कुमार, उपाध्यक्ष नगरपंचायत, व्यावसायी चुमन प्रसाद व पलदार सुबोध पासवान की हत्या कर दी गयी.
दो वर्षों में पकड़ीदयाल अनुमंडल में 10 लोगों की हत्या व अनेक डकैतियां हुई है. इसमें स्थानीय डीएसपी को बने रहने का क्या औचित्य है जबकि उनका यहां पर रहते हुए कार्यकाल चार साल हो गया. इसके जवाब में विजेंद्र प्रसाद यादव ने बताया कि हत्या मामले में टुना सिंह सहित चार लोगों की गिरफ्तारी की गयी है. तीन को रिमांड पर लिया जा रहा है.
इस अनुमंडल में दो वर्षों में 14 हत्याएं और चार डकैतियां हुई है. अगर सदस्यों के पास संबंधित पुलिस पदाधिकारी के पास खास आरोप हो तो उसकी जांच कराकर कार्रवाई की जायेगी. सरकार के इस जावाब से विपक्षी सदस्य उत्तेजित हो गये और वेल में आगर नारेबाजी करने लगे. आसन द्वारा समझाने के बाद वपक्षी सदस्य वेल से वापस अपनी सीट पर आ गये. जैसे ही शून्यकाल आरंभ हुआ, विपक्ष के नेता प्रेम कुमार द्वारा फिर इस सवाल को उठाया गया और सरकार से बयान की मांग की गयी. विपक्षी सदस्यों के हंगामे और नारेबाजी के बीच शून्यकाल व ध्यानाकर्षण की सूचना पढ़ी गयी.
विधानसभा में सोमवार को सरकार द्वारा बिहार जमाकर्ताओं के हितों का संरक्षण (वित्तीय स्थापनाओं में) (संशोधन) विधेयक 2017 पेश किया गया. इसमें यह प्रावधान किया गया है कि सक्षम प्राधिकारी द्वारा न्यायालय की अनुमति से आरोप को स्थापित करने के बाद जमाकर्ताओं को जमा की गयी संपूर्ण राशि तथा उस राशि पर प्रति माह एक प्रतिशत ब्याज की दर से या आरबीआइ द्वारा तत्समय ब्याज पर दोनों में से जो अधिक हो मिलेगा.
कुर्क संपत्ति के विक्रय से वसूला गया धन यदि कमी को पूरा करने में पर्याप्त नहीं हो तो न्यायालय द्वारा हरेक व्यक्त जिसमें प्रवर्तक, भागीदार, निदेशक, प्रबंधक शामिल हो, अथवा ऐसे वित्तीय प्रतिष्ठान अथवा कारोबार के प्रबंधन या संचालन के लिए जवाबदेह किसी अन्य व्यक्ति अथवा कर्मचारी पर जमाकर्ताओं को देनदारी के लिए जुर्माना किया जायेगा.
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