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टैरिफ बढ़ाना समाधान नहीं, डिस्ट्रीब्यूशन लॉस कम कर सस्ती बिजली का करें उपाय
पटना : साउथ और नॉर्थ बिहार पावर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी ने वित्तीय वर्ष 2017-18 के लिए बिजली टैरिफ बढ़ाने के लिए प्रस्ताव तैयार किये हैं. प्रस्तावित दर पर मंगलवार को दूसरे दिन बिहार विद्युत विनियामक आयोग के अध्यक्ष एसके नेगी की अध्यक्षता में जन सुनवाई हुई. कार्यक्रम की शुरुआत में विद्युत कंपनी के प्रतिनिधि ने पावर […]
पटना : साउथ और नॉर्थ बिहार पावर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी ने वित्तीय वर्ष 2017-18 के लिए बिजली टैरिफ बढ़ाने के लिए प्रस्ताव तैयार किये हैं. प्रस्तावित दर पर मंगलवार को दूसरे दिन बिहार विद्युत विनियामक आयोग के अध्यक्ष एसके नेगी की अध्यक्षता में जन सुनवाई हुई.
कार्यक्रम की शुरुआत में विद्युत कंपनी के प्रतिनिधि ने पावर प्वाइंट प्रेजेंटेशन के माध्यम से कहा कि बिजली उपभोक्ताओं को कई श्रेणियों में बांटी गयी है. इसमें के-वन में 88 प्रतिशत, डीएस-वन में 98 प्रतिशत, डीएस-टू में 97 प्रतिशत, डीएस-तीन में 118 प्रतिशत, एसएस-वन में 120 प्रतिशत, एसएस-टू में 120 प्रतिशत, एचटीएस में 120 प्रतिशत टैरिफ बढ़ाने का प्रस्ताव है. इसके साथ ही बिजली आपूर्ति करने में ट्रांसमिशन और डिस्ट्रीब्यूशन लॉस करीब 48 प्रतिशत है. इस स्थिति में टैरिफ बढ़ाना मजबूरी है.
विद्युत कंपनी के दलीलों को सुनने के बाद उद्योग जगत से आये लोगों और आम उपभोक्ताओं ने एक स्वर से कहा कि बिजली दर बढ़ाने के बदले सस्ती बिजली बाजार से खरीदी जानी चाहिए. इसके साथ ही ट्रांसमिशन और डिस्ट्रीब्यूशन लॉस कम किया जाना चाहिए.
उद्योग पहले से ही दबा है
किसी भी उद्योग को विकास के लिए सस्ते मैन पावर के साथ सस्ती ऊर्जा भी चाहिए होती है, ताकि कंपनी द्वारा बनायी गयी वस्तुओं की लागत कम हो. यदि दूसरे राज्य उसी वस्तु का उत्पादन कम लागत में करेंगे, तो उनका विकास ज्यादा होगा और वे अपने कर्मचारियों को अधिक सहायता दे पायेंगे. बिहार में प्रस्तावित बिजली दर से औद्योगिक क्षेत्र पर बुरा प्रभाव पड़ेगा. बिजली महंगी होने से उत्पादन की लागत भी बढ़ जायेगी. इससे जर्जर उद्योगों की स्थिति और बदतर हो जायेगी.
अर्जुन लाल, कल्याणपुर सीमेंट व बिहार चैंबर ऑफ काॅमर्स एंड इंडस्ट्री
व्यवस्था में सुधार जरूरी
बिजली के क्षेत्र में काफी काम हुआ है और सप्लाइ भी बढ़ी है. बिजली की मांग लगातार बढ़ती जा रही है. लेकिन, लचर व्यवस्था की वजह से विद्युत कंपनी को लगातार घाटा हो रहा है. बिजली की जितनी जरूरत है, उतनी बिजली खरीदने की व्यवस्था होनी चाहिए. इससे उपभोक्ताओं पर बोझ कम पड़ेगा. ट्रांसमिशन लॉस 48 प्रतिशत है, इसेकम करने के उपाय होने चाहिए.
सरकार से मिलनेवाली अनुदान की राशि से उपभोक्ताओं को लाभ नहीं मिल रहा था.
संजय भरतीया, दीना आयरन
नहीं खरीदे महंगी बिजली
देश की कई कंपनियां बिजली उत्पादन करती हैं. बिजली बाजार में काफी प्रतिस्पर्धा है और बाजार में 2.60 रुपये से 2.90 रुपये तक प्रति यूनिट की बिजली उपलब्ध है. इसके बाद भी विद्युत कंपनी पांच रुपये प्रति यूनिट बिजली खरीद रही है. बाजार से महंगी बिजली खरीदने की क्या वजह है? ट्रांसमिशन लॉस कम करने के बदले टैरिफ बढ़ायी जा रही है.
सूरज समदर्शी, बिहार इंडस्ट्री एसोसिएशन
उद्योग के लिए अनुचित
बिहार में पहले ही उद्योग कम हैं. कंपनी ने जिस तरह से दर प्रस्तावित किये हैं, वह उद्योगों के लिए कहीं से उचित नहीं है. आयोग से मांग की गयी है कि खुले बाजार से बिजली खरीदने की व्यवस्था करे. इससे सस्ती बिजली मिल सकेगी और उद्योगों को भी मजबूती मिलेगी.
सुभाष पटवारी, पटवारी स्टील फैक्टरी
400 घरों में है अंधेरा
राजीव नगर में करीब 20,000 मकान हैं. जिसमें दो लाख से अधिक आबादी रहती है. लेकिन इस क्षेत्र में पिछले एक साल से नये कनेक्शन नहीं दिये गये हैं. स्थिति यह है कि 400 नये मकानों में बिजली कनेक्शन नहीं है. नगर निगम होल्डिंग टैक्स भी वसूल रही है. इस स्थिति में नये कनेक्शन क्यों नहीं दिये जा रहे हैं.
आरसी सिंह, नागरिक विचार मंच
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