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14 साल, 3235 मामले, निबटे महज 930
निगम की उदासीनता . इस वर्ष किसी भी बड़े भवन पर नहीं आया फैसला निगम से निष्पादन के बाद हाइकोर्ट चला जाता है मामला पटना : शहर में अवैध निर्माण की कहानी पुरानी है. बीते 14 वर्षों में अवैध निर्माण के 3235 मामले नगर निगम में दर्ज किये गये हैं. इन पर कार्रवाई के लिए […]
निगम की उदासीनता . इस वर्ष किसी भी बड़े भवन पर नहीं आया फैसला
निगम से निष्पादन के बाद हाइकोर्ट चला जाता है मामला
पटना : शहर में अवैध निर्माण की कहानी पुरानी है. बीते 14 वर्षों में अवैध निर्माण के 3235 मामले नगर निगम में दर्ज किये गये हैं. इन पर कार्रवाई के लिए निगम ने निगरानीवाद भी शुरू किया है, लेकिन परिणाम नहीं दिख रहा है. नगर आयुक्त कोर्ट में कार्रवाई की धीमी रफ्तार कहिए या नियमों का पेच, वर्ष, 2006-16 तक कुल 3235 अवैध निर्माण पर निगरानीवाद शुरू किया गया था, जबकि निबटारा सिर्फ 930 निगरानीवाद का हुआ. दूसरी ओर बीते एक साल से अवैध निर्माण के नये मामलों की जांच में सुस्ती बढ़ गयी है.
निगम की वेबसाइट पर नहीं अपलोड होता है फैसला : अवैध निर्माण को लेकर अब नगर आयुक्त कोर्ट के फैसले नगरनिगम अपनी वेबसाइट पर भी अपडेट नहीं करता है. बीते दो वर्षों से किसी भी निगरानीवाद का फैसले वेबसाइट पर अपलोड नहीं किया गया है.
निगम की वेबसाइट पर सबसे अधिक 215 फैसले वर्ष, 2013 में निगम की वेबसाइट पर अपलोड किये गये थे. इसके बाद वर्ष, 2014 में फरवरी तक 13 फैसले नेट पर डाले गये थे. इसके बाद से निगम ने किसी फैसले को वेबसाइट पर अपलोड नहीं किया.
पटना : प्रभात खबर ने अवैध निर्माण के खिलाफ मुहिम छेड़ रखी है. लगातार शहर में बने अवैध निर्माणों की कहानी प्रकाशित की जा रही है. खबरों का प्रकाशित करने के पीछे मंशा यहीं है कि अपना शहर सुरक्षित रहे, रास्ते पर अतिक्रमण नहीं हो. इसके साथ लोगों को अपार्टमेंट खरीद या अन्य कोई परेशानी भविष्य में नहीं आये. अब जरूरत है कि आम लोग भी इस मुहिम से जुड़ कर अपनी समस्या जरूरी कागजातों के साथ रखें. हम उस समस्या का प्रकाशन भी करेंगे व उपयुक्त फोरम पर आप की समस्या को पहुंचा भी दिया जायेगा, ताकि आपकी समस्या का निदान हो सके.
यहां भेजें समस्या :
वाट्सएप : 7979700490
इमेल : sumit.kumar@prabhatkhabar.in
नगर निगम में सप्ताह में दो दिन नगर आयुक्त कोर्ट लगता है. बीते सात माह में नगर आयुक्त अभिषेक सिंह ने 50 के लगभग कोर्ट लगा कर निगरानीवाद के मामलों की सुनवाई की, लेकिन अभी तक निगम ने किसी भी बड़े भवन पर कार्रवाई नहीं की है. हाइकोर्ट के आदेश के बाद भी निगम सीधी कार्रवाई करने से बच रहा है.
सूत्रों के अनुसार, निगम तभी कार्रवाई करता है, जब नगर आयुक्त खुद से दिलचस्पी दिखाएं. मामले पर कार्रवाई नगर आयुक्त के मिजाज पर निर्भर करता है. इसके अलावा हाइकोर्ट और ट्रिब्यूनल में फैसले आने के बाद भी निगम की कार्रवाई नहीं होती. कई बार वादी और प्रतिवादी के नहीं आने से भी मामला लटक जाता है.
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