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इएसआइ अस्पताल को खुद इलाज की दरकार

प्रदेश का इकलौता इएसआइ आदर्श अस्पताल बदहाल 50 बेडों के अस्पताल में सिर्फ एक ओटी पटना : कर्मचारियों के वेतन से चलने वाला फुलवारी शरीफ का इएसआइ अस्पताल खुद बीमार है. यहां न तो कर्मचारियों को अच्छी स्वास्थ्य सुविधाएं मिल रही हैं और न ही ऐसे डॉक्टर हैं जो बेहतर इलाज कर सकें. बदहाल सुविधाएं […]

प्रदेश का इकलौता इएसआइ आदर्श अस्पताल बदहाल
50 बेडों के अस्पताल में सिर्फ एक ओटी
पटना : कर्मचारियों के वेतन से चलने वाला फुलवारी शरीफ का इएसआइ अस्पताल खुद बीमार है. यहां न तो कर्मचारियों को अच्छी स्वास्थ्य सुविधाएं मिल रही हैं और न ही ऐसे डॉक्टर हैं जो बेहतर इलाज कर सकें. बदहाल सुविधाएं और गंदगी के बीच चलने वाले इस अस्पताल में गरीब तबके के मजदूर व कर्मचारी अपना इलाज कराने आते हैं. बेहतर इलाज नहीं होने के चलते कर्मचारी इएसआइ से संबंधित अस्पताल में रेफर करा लेते हैं या फिर खुद के रुपये खर्च कर प्राइवेट अस्पताल की ओर रुख करते हैं.
फुलवारीशरीफ स्थित इएसआइ का आदर्श अस्पताल सिर्फ नाम का ही मॉडल अस्पताल है. सुविधाएं देखकर ऐसा लगता कि पिछले 10 साल से यहां विकास के नाम पर कुछ भी नहीं किया गया है. सबसे अधिक परेशानी प्रसूताओं को होती है. डिलेवरी की सुविधा नहीं होने के चलते
महिलाएं यहां नहीं आती हैं. हालांकि महिलाओं के लिए यहां ओपीडी चलता है. लेकिन जब डिलेवरी का समय आता है तो प्रसूताओं को यहां से रेफर कर दिया जाता है. 40 साल पुराने इस अस्पताल में अभी तक डिलेवरी रूम तक नहीं बना है. नतीजा डिलेवरी सुविधा बंद है.
50 बेडों वाले अस्पताल पर एक हजार मरीजों का लोड : प्रदेश का इकलौता इएसआइ मॉडल में महज 50 बेड है. जबकि यहां रोजाना 900 से एक हजार मरीज इलाज कराने आते हैं. अस्पताल अधिकारियों की माने तो यहां रोजाना 150 से 200 ऐसे मरीज हैं जिनको भरती होने की जरूरत पड़ती है. लेकिन बेड नहीं होने के चलते रोजाना 100 से 150 ऐसे मरीज हैं जिनको इलाज के अभाव में लौटना पड़ता है. मरीज यहां सिर्फ ओपीडी पर ही निर्भर हैं. इसके अलावा जो 50 बेड हैं उनमें भी आधे बेड फटे हैं और चादर गायब हैं.
एक ओटी की बदौलत 12 मरीज
मरीजों की संख्या के अनुसार यहां सुविधाएं बिल्कुल नहीं बढ़ी. स्थिति यह है कि यहां सिर्फ एक ऑपरेशन थियेटर है. जबकि रोजाना 10 से 12 मरीजों का ऑपरेशन किया जाता है. अगर किसी दिन कोई बड़ा ऑपरेशन आ गया, तो यहां दो से तीन ही ऑपरेशन संभव हो पाता है. बाकी ऑपरेशन टाल दिये जाते हैं. ऑपरेशन थियेटर भी काफी पुराना है और औजार व उपकरण भी पुराने हो चुके हैं. सूत्रों की माने तो कई बार उपकरण खराब होने के चलते मरीजों का ऑपरेशन दो से तीन दिन के लिए टाल दिये जाते हैं. इसके अलावा यहां सिटी स्कैन, ब्लड जांच एमआरआइ जांच की सुविधा अभी तक नहीं है.
गंभीर मरीजों को यहां भरती नहीं किया जाता है, डॉक्टर संसाधन व विशेषज्ञ की कमी बता कर रेफर कर देते हैं. बीच रास्ते में कई बार मरीज दम भी तोड़ देते हैं.
अनिल सिंह, मरीज
मै बीपी का मरीज हूं, डॉक्टर के लिखे गये दवा पर सिर्फ दो ही दवा अस्पताल में मिला, बाकी बाहर के दुकान से लेना पड़ेगा. यह स्थिति अधिकांश मरीजों के साथ होती है.
नागेश्वर प्रसाद, मरीज
विशेषज्ञ डॉक्टर नहीं होने के चलते हम लेबर रूम शुरू नहीं कर पा रहे हैं. 50 बेड का अस्पताल और मरीजों की संख्या एक हजार होने के चलते परेशानी हो रही है. हालांकि बेड बढ़ाने के लिए दिये गये प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया गया है. बहुत जल्द यहां 100 बेड का अस्पताल हो जायेगा.
डॉ आरपी सिंह, मेडिकल सुपरीटेंडेंट, इएसआइ अस्पताल, फुलवारीशरीफ
मेडिसिन
पेडियाट्रिक
सर्जरी
ओबीएस गायनी
आयी
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ऑर्थोपेडिक्स
डेंटल
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