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नगर निकायों से आठ वर्षों में 1159 करोड़ का नहीं मिला हिसाब

पटना : सभी नगर निकायों को वित्तीय वर्ष 2005-06 से लेकर 2013-14 तक का मुख्यमंत्री नगर विकास योजना की राशि का हिसाब देने में अब 48 घंटे का ही समय रह गया है. एक सप्ताह पहले नगर विकास विभाग ने यह निर्देश सभी निकायों को दिया था. इसकी समीक्षा 17 फरवरी को की जायेगी. निर्धारित […]

पटना : सभी नगर निकायों को वित्तीय वर्ष 2005-06 से लेकर 2013-14 तक का मुख्यमंत्री नगर विकास योजना की राशि का हिसाब देने में अब 48 घंटे का ही समय रह गया है. एक सप्ताह पहले नगर विकास विभाग ने यह निर्देश सभी निकायों को दिया था. इसकी समीक्षा 17 फरवरी को की जायेगी.
निर्धारित समय में निकायों द्वारा योजना में खर्च राशि का हिसाब नहीं भेजा गया या जमा की गयी राशि को वापस नहीं लौटाया गया, तो संबंधित निगम आयुक्त व कार्यपालक पदाधिकारी के खिलाफ विभागीय कार्रवाई शुरू होगी. ऐसे नगर निकायों के लापरवाह पदाधिकारियों के विरुद्ध प्राथमिकी भी दर्ज करायी जायेगी. नगर विकास एवं आवास विभाग ने इस मद में कुल 1159.40 करोड़ राशि निकायों को भेजी थी. निकायों द्वारा इसका न तो उपयोगिता प्रमाणपत्र भेजा गया है और न ही जमा की गयी राशि को वापस लौटाया गया है.
नगर विकास एवं आवास विभाग के प्रधान सचिव चैतन्य प्रसाद ने इस मामले को लेकर 17 फरवरी को समीक्षा बैठक बुलायी है. सात फरवरी को प्रधान सचिव ने समीक्षा में पाया था कि निकायों द्वारा राशि का उपयोगिता प्रमाणपत्र नहीं भेजा गया है.
साथ ही जो राशि भेजी गयी थी वह खर्च नहीं होने की स्थिति में वापस भी नहीं लौटायी गयी है. विभाग द्वारा मुख्यमंत्री नगर विकास योजना के तहत राज्य के 140 नगर निकायों के 3193 वार्डों के विकास के लिए यह राशि भेजी गयी थी. इस राशि से पथों, नालों और नागरिक सुविधाओं का विकास किया जाना था. नागरिक सुविधाओं में पार्क, तालाबों, झीलों, घाटों का जीर्णोंद्धार और अन्य निर्माण कार्य किया जाना था. बाद में नागरिक सुविधाओं में बस स्टैंड का निर्माण व जीर्णोद्धार, मलिन बस्तियों का विकास, विवाह भवन,सामुदायिक भवन, सभागार, सांस्कृतिक भवन का निर्माण एवं जीर्णोद्धार, सार्वजनिक शौचालय, यात्री शेड, प्याऊ और रैनबसेरा की योजनाओं को शामिल किया गया. प्रधान सचिव द्वारा की गयी समीक्षा में पाया गया कि बेगूसराय और भागलपुर नगर निगम द्वारा विभाग को मुख्यमंत्री नगर विकास योजना की खर्च राशि की पूर्ण जानकारी नहीं दी गयी है.
इसके बाद प्रधान सचिव ने दोनों नगर निगमों के नगर आयुक्तों से स्पष्टीकरण मांगने का निर्देश दिया है. समीक्षा में यह भी पाया गया कि बिहारशरीफ नगर निगम के पास अभी तक इस मद की दो करोड़ राशि पड़ी हुई है. शेष राशि खर्च की जा चुकी है. प्रधान सचिव ने निर्देश दिया है कि वर्ष 2013-14 तक आवंटित राशि के संबंध में अनेक बार स्पष्ट निर्देश दिया गया था, जिसमें कहा गया था कि या तो उपयोगिता प्रमाणपत्र या राशि लौटा दी जाये.
नगर निकायों द्वारा अभी तक न तो उपयोगिता प्रमाण पत्र भेजा गया और नहीं राशि लौटायी गयी है.
विभिन्न वित्तीय वर्षों में स्वीकृत की गयी राशि
वित्तीय वर्ष स्वीकृत राशि (लाख में)
2008-09 10000.00
2008-09 10000.00
2009-10 15000.00
2009-10 20000.00
2010-11 5000.00
2010-11 10000.00
2011-12 6682.50
2011-12 67.50.00
2012-13 5999.37
2012-13 7920.00
2012-13 140.63
2013-14 24879.66
2013-14 251.31

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