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ब्रिक्स बनायेगा सगुना मोड़ से बिहटा तक एलिवेटेड रोड

पटना : जापान की फंडिंग एजेंसी जायका की तरह राज्य में सड़कों के निर्माण में ब्रिक्स का सहयोग मिलने की संभावना है. जायका की तरह ब्रिक्स से भी सड़कों के निर्माण में मदद मिल सकता है. बुनियादी सुविधाओं व आधारभूत संरचना के निर्माण में ब्रिक्स सहयोग देती रही है. सड़कों के निर्माण में सहयोग मिले […]

पटना : जापान की फंडिंग एजेंसी जायका की तरह राज्य में सड़कों के निर्माण में ब्रिक्स का सहयोग मिलने की संभावना है. जायका की तरह ब्रिक्स से भी सड़कों के निर्माण में मदद मिल सकता है. बुनियादी सुविधाओं व आधारभूत संरचना के निर्माण में ब्रिक्स सहयोग देती रही है.
सड़कों के निर्माण में सहयोग मिले इसे लेकर ब्रिक्स देशों के प्रतिनिधियों से संपर्क साधा जा रहा है. जानकारों के अनुसार ब्रिक्स में भारत सहित ब्राजील, रूस, चाइना व दक्षिण अफ्रीका शामिल है.
सगुना मोड़ से लेकर बिहटा तक एलिवेटेड रोड के निर्माण की परिकल्पना को साकार करने के लिए पथ निर्माण विभाग ब्रिक्स से सहयोग ले सकती है. बिहटा में प्रस्तावित नये एयरपोर्ट के निर्माण को लेकर लोगों को जाने में सहूलियत हो इसे लेकर सगुना मोड़ से बिहटा तक लगभग 21 किलोमीटर एलिवेटेड रोड बनाये जाने की योजना है.
उपमुख्यमंत्री तेजस्वी प्रसाद यादव ने बिना किसी रुकावट के बिहटा एयरपोर्ट पहुंचने को लेकर सड़क निर्माण करने को लेकर प्रस्ताव तैयार करने का निर्देश विभाग को दिया है. उपमुख्यमंत्री के निर्देश के बाद विभाग इसकी तैयारी में जुटा है. विभागीय सूत्र ने बताया कि एलिवेटेड रोड को लेकर सर्वे के बाद उसका एलायनमेंट तैयार होगा. एलायनमेंट पर सहमति बनी तो सड़क निर्माण में ब्रिक्स से सहयोग लेने पर निर्णय होगा. सगुना मोड़ से बिहटा तक एलिवेटेड रोड के निर्माण को लेकर पहले से कोई एलायनमेंट प्रस्तावित नहीं है. सगुना मोड़ से बिहटा तक एलिवेटेड रोड के निर्माण को लेकर पहले उसका सर्वे होगा. इसके लिए कंसल्टेंट बहाल होंगे.
राज्य में सड़क निर्माण में जायका सहयोग कर रही है. जायका के सहयोग से बिहारशरीफ-गया नेशनल हाइवे सड़क व पटना-डोभी फोर लेन का निर्माण हो रहा है. गांधी सेतु के ऊपरी स्ट्रक्चर को बदलने का सुझाव जायका के एक्सपर्ट ने दिया. विभागीय सूत्र ने बताया कि सगुना मोड़ से बिहटा तक एलिवेटेड रोड के निर्माण को लेकर ब्रिक्स से सहयोग मिले इसे लेकर उसके समक्ष प्रोजेक्ट रखा जायेगा. एक्सपर्ट ने बताया कि जमीन अधिग्रहण कर एलिवेटेड रोड के निर्माण में लगभग तीन हजार करोड़ खर्च होंगे. अगर सड़क के ऊपर एलिवेटेड रोड का निर्माण होता है तो लगभग दो हजार करोड़ खर्च होंगे.
अजब कहानी. बीएसएससी परीक्षा तो लेता है, पर रिजल्ट नहीं आता
प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए फॉर्म भराये जाते हैं. परीक्षा भी ली जाती है, लेकिन रिजल्ट नहीं आता. इसके के लिए अभ्यर्थी भटकते रहते हैं. यह हाल बिहार राज्य कर्मचारी आयोग द्वारा ली जाने वाले प्रतियोगी परीक्षाओं का है. पिछले सात साल में आयोग द्वारा कई प्रतियोगी परीक्षाएं ली गयीं, लेकिन इसका रिजल्ट अभ्यर्थियों को नहीं मिला. इसमें मैट्रिक स्तरीय, इंटर स्तरीय और स्नातक स्तरीय परीक्षाएं हैं. बीएसएससी सूत्रों की मानें तो परीक्षाएं ली जाती हैं, लेकिन कई परीक्षाओं के प्रश्नपत्र लीक हो गये. इस कारण रिजल्ट पेंडिंग हो जाता है.
2010 में बीएसएससी ने सचिवालय सहायक का परीक्षा लिया. गलत उत्तर होने से मामला कोर्ट तक गया. कुछ को नौकरी लगी, लेकिन आज भी कई अभ्यर्थी कोर्ट में लड़ रहे हैं. 2014 में भी सचिवालय सहायक की परीक्षा हुई. संयुक्त द्वितीय स्नातक स्तर 2014 के तहत पीटी हुआ. परीक्षा के बाद जारी आंसर में 12 गलत थे. विराेध के बाद रिजल्ट को परसेंटाइल में घोषित कर दिया. इसमें 858 अभ्यर्थी बाहर हो गये. 921 को गलत तरीके से दोबारा रिजल्ट दिया. मेंस 27 मार्च, 2016 को हुआ. परीक्षा से पहले प्रश्न पत्र आउट हो गया. मामला कोर्ट में है.
आयोग ने सर्वेयर नियुक्ति के लिए 2015 में 975 पदों के लिए रिक्तियां निकालीं. इस पद के लिए सर्वे का छह महीने के कोर्स की योग्यता चाहिए थी. लेकिन, अधिकतर अभ्यर्थियों ने फर्जी डिग्री बनाकर फॉर्म भर दिया. परीक्षा ली गयी. रिजल्ट भी आया. लेकिन, कुछ अभ्यर्थियों की फर्जी डिग्री को लेकर कोर्ट में शिकायत के बाद आयोग ने पूरी वेकैंसी ही कैंसिल कर दिया.
एक्साइज इंस्पेक्टर की परीक्षा आयोग ने जनवरी, 2015 में ली थी. परीक्षा के बाद मॉडल आंसर शीट जारी की गयी. लेकिन, मॉडल आंसर गलत होने के कारण मामला कोर्ट में पहुंच गया. अब तक सही अांसर न तो जारी किया गया और न ही रिजल्ट ही आया. अभ्यर्थी रिजल्ट का इंतजार कर रहे हैं.
बीएसएससी ने जूनियर इंजीनियर की पहली बार परीक्षा 2011 में लिया. आयोग जितनी बार परीक्षा लेता है, हर बार प्रश्नपत्र में कुछ न कुछ उत्तर गलत रहते हैं. अभ्यर्थी के विरोध के बाद दोबारा परीक्षा ली जाती है. अब तक इस पद के लिए पांच से छह बार परीक्षा ली जा चुकी है.
कुछ ऐसा ही हाल दारोगा भरती परीक्षा 2014 के दौरान भी हुआ. स्नातक स्तर के इस परीक्षा में करीब 1500 वेकैंसी थी. साढ़े सात लाख अभ्यर्थियों ने फॉर्म भरा था. लेकिन, फिजिकल में मात्र 134 अभ्यर्थी का सेलेक्शन हुआ. अभ्यर्थी विजय कुमार ने बताया कि इस परीक्षा में
25 प्रश्न गलत थे. लेकिन, आयोग ने इसे नहीं माना. मामला कोर्ट में गया. प्रश्नों के उत्तर के लिए एक्सपर्ट की टीम बनायी गयी. कोर्ट ने एक्सपर्ट और आयोग दोनों के आंसर कोनहीं माना. अब यह मामला डबल बेंच में है.

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