पटना : भाजपा के वरिष्ठ नेता सुशील कुमार मोदी ने रक्तदान और अंगदान को जीवन की सार्थकता बताते हुए आज कहा कि बिहार में 16 प्रतिशत जरुरतमंदों को ही रक्त अधिकोष से रक्त मिल पाता है जबकि 84 प्रतिशत को पेशेवर रक्तदाताओं से अपनी जरूरत पूरी करनी पड़ती है. बिहार विधानसभा के स्थापना दिवस सह रक्तदान समारोह में आज जनप्रतिनिधियों का संबोधित करते हुए बिहार विधान परिषद में प्रतिपक्ष के नेता सुशील ने अपील किया कि जीते जी रक्तदान और मृत्यु के बाद अंगदान करने में मानव शरीर और जीवन की सार्थकता है.
बिहार में पर्याप्त ब्लड बैंक नहीं
उन्होंने कहा कि बिहार में 16 प्रतिशत जरूरत मंदों को ही रक्त अधिकोष से रक्त मिल पाता है, वहीं पिछले साल पूरे देश में हुए 59810 नेत्रदान में बिहार का योगदान मात्र 30 रहा. सुशील ने कहा कि बिहार के जमुई, अररिया सहित छह जिलों में रक्त अधिकोष नहीं है. विगत साल पूरे देश में 70 हजार, वहीं बिहार में मात्र 550, जबकि पड़ोसी राज्य पश्चिम बंगाल में 12 हजार और छोटे राज्य ओडिसा में 2 हजार रक्तदान शिविर आयोजित हुए. नतीजतन रक्त अधिकोष से बिहार के मात्र 16 प्रतिशत जरूरतमंदों को ही रक्त मिल पाता है जबकि 84 प्रतिशत को पेशेवर रक्तदाताओं से अपनी जरूरत पूरी करनी होती है.
बिहार में एकमात्रचक्षु बैंक
उन्होंने कहा कि बिहार की जरूरत 10 लाख रक्त इकाई के मुकाबले यहां मात्र एक लाख 10 हजार इकाई ही उपलब्ध हो पाती है, जबकि दिल्ली में आवश्यकता से तीन गुना और महाराष्ट्र, पंजाब, केरल और गुजरात में डेढ़ गुना अधिक इकाई उपलब्ध है. सुशील ने कहा कि एक इकाई रक्त से प्लाज्मा प्लेटलेट्स और आरबीसी को अलग कर तीन मरीजों की जान बचाई जा सकती है. मगर बिहार के पटना में छह और मुजफ्फरपुर व दरभंगा में एक-एक के अलावा किसी भी अस्पताल में रक्त पृथक्करण इकाई नहीं है. उन्होंने कहा कि वर्ष 2015-16 में बिहार में मात्र 30 जबकि तमिलनाडु में 11051 गुजरात में 8436 और तेलंगाना में 6171 लोगों ने नेत्रदान किया. बिहार में एकमात्र आइजीआइएमएस में चक्षु बैंक है.