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कोर्ट में मामला चलता रहा, इधर इमारत भी बनती रही और नगर निगम देखता रहा
लापरवाही. डाकबंगला चौराहे के पास तैयार पटना वन मॉल के अवैध हिस्से में कोचिंग व रेस्त्रां पटना : लगभग दो वर्ष पहले नगर निगम ने जिस शॉपिंग मॉल के ऊपरी दो फ्लोर को अवैध ठहराया था, वह अब बन कर तैयार है. निर्माण पूरा होने के साथ अवैध फ्लोरों का व्यावसायिक उपयोग भी शुरू हो […]
लापरवाही. डाकबंगला चौराहे के पास तैयार पटना वन मॉल के अवैध हिस्से में कोचिंग व रेस्त्रां
पटना : लगभग दो वर्ष पहले नगर निगम ने जिस शॉपिंग मॉल के ऊपरी दो फ्लोर को अवैध ठहराया था, वह अब बन कर तैयार है. निर्माण पूरा होने के साथ अवैध फ्लोरों का व्यावसायिक उपयोग भी शुरू हो गया है. नगर आयुक्त कोर्ट के सीधे फैसले से बेअसर डाकबंगला चौराहा स्थित पटना वन मॉल अब पूर्ण रूप से चालू है. बी प्लस, जी प्लस आठ फ्लोर का निर्माण लगभग पूरा हो चुका है.
बाहर से चमकते शॉपिंग मॉल के सभी फ्लोरों का भीतरी निर्माण (फाइनल टच) का काम अब अंतिम चरण में है. डाकबंगला चौराहा के पास स्थित इस शॉपिंग मॉल के नगर निगम ने ऊपरी दो फ्लोर (सात और आठ) निर्माण को अवैध ठहराया था, लेकिन अभी इन फ्लोरों पर कोचिंग संस्थान व रेस्त्रां चलाये जा रहे हैं. दरअसल यह मामला अब ट्रिब्यूनल कोर्ट में चला गया है और 2015 से विचाराधीन है. इस बीच मॉल का निर्माण चलता रहा और अब वह पूरा हो चुका है.
अवैध को तोड़ने का था आदेश
विवादित भूखंड पर बी प्लस जी प्लस आठ फ्लोर तक शॉपिंग मॉल का निर्माण पूरा कर लिया गया है. निर्माण के शुरुआती दौर में ही निगम की अभियंताओं की टीम को जांच के दौरान कई अनियमितताएं मिली थीं. जांच के आलोक में दिसंबर, 2013 में इस पर निगरानी शुरू की गयी.
इसके बाद केस संख्या 200ए /13 पर सुनवाई करते हुए तत्कालीन नगर आयुक्त कुलदीप नारायण की अदालत ने इसे विवादित भूखंड बताया. इस निर्माण का नक्शा भी अवैध करार दिया गया. बिल्डिंग के ऊपरी दो फ्लोर और ग्राउंड फ्लोर के कुछ पार्ट के विचलन को 30 दिनों में तोड़ने का आदेश दिया गया. इसके अलावा निर्माण पर 10 लाख रुपये का अर्थ दंड भी लगाया गया था.
2015 से विचाराधीन मामला
दो वर्ष पहले निगम स्तर से लगायी गयी बिल्डिंग निर्माण के रोक के आदेश के बावजूद स्थानीय प्रशासन की ओर से कोई कार्रवाई नहीं की गयी. अब मामला ट्रिब्यूनल में चला गया है और 2015 से विचाराधीन है. इधर, लगातार तेजी से हो रहे काम का परिणाम है कि शॉपिंग मॉल का निर्माण पूरा हो चुका है. ग्राउंड फ्लोर और प्रथम तल्ले पर पूरी दुकानें खुल चुकी हैं. इसके अलावे अन्य फ्लोरों पर दुकानें चल रही हैं.
कानूनी कार्रवाई भी बेअसर
ऐसा नहीं की अवैध निर्माण को रोकने के लिए नगर निगम की ओर से कोई कार्रवाई नहीं की गयी. जब बिल्डिंग में फिनिसिंग का काम फाइनल किया जा रहा था, तब तात्कालिक नगर आयुक्त ने निर्माणकर्ता पर कोतवाली थाना में दो बार एफआइआर दर्ज कराया था, पर निर्माण नहीं रुका. नगर आयुक्त ने अपने निर्णय में बिल्डर कोआदतन नियम तोड़ने का दोषी पाया.
पार्किंग स्थल भी बिल्डिंग बायलॉज के
आधार पर नहीं है. नियम के मुताबिक क्षेत्रफल के हिसाब से पार्किंग एरिया चार हजार वर्गमीटर होना चाहिए, जबकि बिल्डिंग में सिर्फ 400 वर्गमीटर के लगभग ही जगह छोड़ी गयी है.
नगर आयुक्त कोर्ट के फैसले के बाद अगर मामला ट्रिब्यूनल में चला जाता है, तो फिर मामले पर निगम अगला स्टेप नहीं ले सकता. निर्माण रोकने की बात है, तो निगम को पर्याप्त मात्रा में पुलिस बल की जरूरत होगी. कई बार स्थानीय प्रशासन से तात्कालिक रूप से बल मुहैया नहीं होने के कारण कार्रवाई नहीं हुई.
– अभिषेक सिंह, नगर आयुक्त
नगर निगम की तरफ से अतिक्रमण हटाने के लिए जो भी मांग की जाती है, उसके आलोक में त्वरित कार्रवाई होती है. अतिक्रमण हटाने के लिए नगर निगम की टीम के साथ मजिस्ट्रेट और पुलिस बल को भेजा जाता है.
संजय अग्रवाल, डीएम, पटना
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