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विभाग को पता नहीं कितने हैं नाव और घाट
पटना : मकर संक्रांति के मौके पर नाव दुर्घटना के बाद राज्य में नावों के परिचालन के लिए अब तक दिये गये निर्देशों को खंगाला जा रहा है. आपदा प्रबंधन विभाग में यह पता किया जा रहा है कि नाव के परिचालन के निर्देश के अलावा इसके परिचालन के लिए कौन कौन जिम्मेवार हैं? विभागीय […]
पटना : मकर संक्रांति के मौके पर नाव दुर्घटना के बाद राज्य में नावों के परिचालन के लिए अब तक दिये गये निर्देशों को खंगाला जा रहा है. आपदा प्रबंधन विभाग में यह पता किया जा रहा है कि नाव के परिचालन के निर्देश के अलावा इसके परिचालन के लिए कौन कौन जिम्मेवार हैं?
विभागीय अधिकारी ने स्वीकार किया कि राज्य में नाव परिचालन के निर्देश के बावजूद इसे कभी गंभीरता से नहीं लिया गया. इसके कारण ही अब तक राज्य में कितने नाव और कितने घाट हैं, इसकी कोई जानकारी नहीं है. न ही यह जानकारी जिलों को है. इस घटना के बाद विभाग जिलों से नावों और घाटों की जानकारी मांगी जा रही है.
नहीं लागू की जाती है नाव परिचालन की गाइड लाइन :परिवहन विभाग द्वारा नावों के परिचालन के लिए सबसे पहले निबंधन कराना अनिवार्य किया गया है. निबंधन के बाद नाव की फिटनेस की जांच, नाव की साइज के अनुसार पूर्व में ही लोगों या सामग्री के लदान की क्षमता का निर्धारण करना अनिवार्य है.
आपदा प्रबंधन विभाग के अधिकारी ने बताया कि प्रावधान के अनुसार नाव पर सुरक्षा के सामग्री का भी प्रबंध करना अनिवार्य शर्तों में होता है. नाव की क्षमता में आदमी की संख्या के अनुपात में सामग्री लादने का प्रावधान है. प्रावधान के अनुसार नाव में सफेद पट्टी बना दी जाती है. ताकि उसके नीचे तक पानी रहने पर ही सुरक्षित माना जाता है. पशुओं के ढोने पर सिर्फ पशु के मालिक को ही जाने का प्रावधान है. सूर्योदय से पहले और सूर्यास्त के बाद नाव चलाने की मनाही है.
गया में नाव दुर्घटना के बाद जारी किये गये थे निर्देश
पिछले साल अक्तूबर में गया में नाव दुर्घटना के बाद परिवहन विभाग को आपदा प्रबंधन प्राधिकार ने 23 दिसंबर 2016 को ही परिवहन विभाग की सहमति से सभी जिलों को नावों के निबंधन और नाविकों के प्रशिक्षण शुरू करने का निर्देश दिया गया था, लेकिन इसे लागू नहीं किया जा सका.
आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के सचिव यूके चौबे द्वारा जारी निर्देश में कहा गया था कि नाव चालक की न्यूनतम योग्यता, प्रशिक्षण, नाव चलने का लाइसेंस, बीमा, नाव के लाइसेंस का शर्त, इंजन वाले नाव पर अग्निशामक यंत्र के साथ-साथ घाटों का भी निबंधन किया जाये. इसके बावजूद इसे लागू नहीं किया जा सका.
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