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चार सप्ताह में मनोविज्ञान का रिजल्ट देने का निर्देश
अर्चना भारती की याचिका पर हाइकोर्ट ने दिया आदेश पटना : पटना उच्च न्यायालय ने बिहार लोक सेवा आयोग से कहा है कि वह चार सप्ताह के भीतर मनोविज्ञान विषय में असिस्टेंट प्रोफेसर के पद के लिए लिये गये साक्षात्कार का परिणाम घोषित कर दे. जस्टिस डाॅ रवि रंजन की कोर्ट ने शुक्रवार को साक्षात्कार […]
अर्चना भारती की याचिका पर हाइकोर्ट
ने दिया आदेश
पटना : पटना उच्च न्यायालय ने बिहार लोक सेवा आयोग से कहा है कि वह चार सप्ताह के भीतर मनोविज्ञान विषय में असिस्टेंट प्रोफेसर के पद के लिए लिये गये साक्षात्कार का परिणाम घोषित कर दे. जस्टिस डाॅ रवि रंजन की कोर्ट ने शुक्रवार को साक्षात्कार में भाग लेनेवाली अर्चना भारती की याचिका पर सुनवाई करते हुए आयोग को यह निर्देश दिया. साथ ही कोर्ट ने राज्य सरकार से कहा कि आयोग से प्राप्त मेधा सूची के आधार पर जल्द असिस्टेंट प्रोफेसरों को कालेज भी आवंटित करे.
याचिकाकर्ता के वकील ने कोर्ट से कहा था कि एक साल करीब इंटरव्यू के हो गये लेकिन अब तक रिजल्ट घोषित नहीं किये और पोस्टिंग नहीं हुई. बिहार लोक सेवा आयाेग ने 2 मई, 2016 से 7 मई , 2016 तक 290 आवेदकों का साक्षात्कार लिया था. इसी दौरान राज्य सरकार 3364 असिस्टेंट प्रोफेसर की नियुक्ति प्रक्रिया पर रोक लगा दी. सरकार के इस फैसले को पटना हाइकोर्ट में चुनौती दी गयी. कोर्ट के आदेश से दूसरे विषयों के साक्षात्कार शुरू हो गये और परिणाम भी घोषित हो रहा लेकिन, मनोविज्ञान विषय का अंतिम परिणाम अभी भी लंबित है.
पटना : हाइकोर्ट ने राज्य सरकार को कहा है कि वह दो सप्ताह में पचीस सौ कनीय अभियंताओं कि नियुक्ति को लेकर अपना निर्णय ले ले. कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश जस्टिस हेमंत गुप्ता और जस्टिस दिनेश कुमार सिंह की कोर्ट ने शुक्रवार को राज्य सरकार को यह आदेश दिया.
कोर्ट ने सरकार से कहा कि या तो इसके लिए ली गयी परीक्षा को रद्द कर दे या फिर उसका परिणाम घोषित करे. पचीस सौ जूनियर इंजीनियरों की बहाली के लिए कर्मचारी चयन आयोग ने परीक्षा आयोजित किया था.
बाद में इस परीक्षा की उत्तर पुस्तिकाओं में हेराफेरी का आरोप लगा था. निगरानी जांच के बाद दोबारा परीक्षा आयोजित की गयी, जिसका केंद्र आरा शहर बनाया गया. यहां भी परीक्षा में गड़बड़ी के आरोप लगे.
दूसरी पाली का प्रश्नपत्र पहली पाली में बाट दिया गया. इस परीक्षा का अभी तक परिणाम घोषित नहीं हो पाया है. कोर्ट ने इसी संदर्भ में एक अन्य याचिका की सुनवाई करते हुए सरकार को एक सप्ताह में यह बताने को कहा है कि सात हजार रिक्तियां होने के बावजूद मात्र पचीस सौ की बहाली के लिए विज्ञापन क्यों जारी किया गया.
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