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वाल्मीकिनगर के जंगल की बाढ़-कटाव से होगी सुरक्षा

पटना : वाल्मीकिनगर वन क्षेत्र बाढ़-कटाव की त्रासदी नहीं झेलेगा. पांच माह में जल संसाधन विभाग वाल्मीकि वन क्षेत्र को बाढ़-कटाव से मुक्ति दिलाएगा. वाल्मीकिनगर वन क्षेत्र को बाढ़-कटाव से सुरक्षा पर 25.93 करोड़ खर्च होंगे. पिछले हफ्ते अपनी निश्चय यात्रा के दौरान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने वाल्मीकि टाइगर रिजर्व और वन क्षेत्र का जायजा […]

पटना : वाल्मीकिनगर वन क्षेत्र बाढ़-कटाव की त्रासदी नहीं झेलेगा. पांच माह में जल संसाधन विभाग वाल्मीकि वन क्षेत्र को बाढ़-कटाव से मुक्ति दिलाएगा. वाल्मीकिनगर वन क्षेत्र को बाढ़-कटाव से सुरक्षा पर 25.93 करोड़ खर्च होंगे. पिछले हफ्ते अपनी निश्चय यात्रा के दौरान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने वाल्मीकि टाइगर रिजर्व और वन क्षेत्र का जायजा लिया था. वाल्मीकि टाइगर रिजर्व क्षेत्र की बाढ़-कटाव से हो रही भारी क्षति देख कर वह हैरान थे.
उन्होंने तत्काल विभागीय मंत्री राजीव रंजन सिंह को स्थल पर बुलाया और क्षेत्र को बाढ़-कटाव से सुरक्षा के लिए युद्ध स्तर पर पहल करने को कहा. सीएम के निर्देश का असर यह हुआ कि जल संसाधन विभाग ने दो दिन में ही वाल्मीकिनगर जंगल को बाढ़-कटाव से बचाव के लिए टेंडर निकाला और युद्ध स्तर पर काम शुरू कराने का निर्णय लिया. सीएम ने अपनी निश्चय यात्रा के दौरान ही वाल्मीकिनगर जंगल और बराज को को तेज प्रवाह और कटाव से बचाने का निर्णय लिया था.
मुख्यमंत्री की पहल का नतीजा यह है कि जल संसाधन विभाग वाल्मीकिनगर की बाढ़-कटाव योजना का काम अपनी अन्य योजनाओं की तरह रूटीन वर्क के रूप में नहीं करायेगा. विभाग ने इसे प्राथमिकता के रूप में पूरा कराने का निर्णय लिया है.
पटना. नदियों, धारा और नहरों पर अब जल संसाधन विभाग से अनापत्ति प्रमाण पत्र लिये बिना कोई भी एजेंसी पुल-पुलिया या किसी संरचना का निर्माण कार्य नहीं करा सकेगी. जल संसाधन विभाग ने अनापत्ति प्रमाण पत्र जारी करने के लिए जांच समिति का गठन कर दिया है. जांच समिति की रिपोर्ट के आधार पर ही नदी-नहरों पर अनापत्ति प्रमाण पत्र निर्गत किये जायेंगे. इस बाबत बुधवार को विभाग ने अधिसूचना जारी कर दी है.
जल संसाधन विभाग के संयुक्त सचिव, अभियंत्रण योगेश्वरधारी सिंह ने बताया कि निर्माण एजेंसियां नदी, नहर और विभिन्न धाराओं पर महज स्थानीय निकायों से ही अनापत्ति प्रमाण पत्र ले कर पुल-पुलियों आदि का निर्माण करा दे रही थी. उन्होंने बताया कि 50 हजार से कम क्यूसेक जलस्राव वाली नदियों-नहरों पर विभाग का केंद्रीय रुपांकण शोध एवं गुण नियंत्रण विभाग, जबकि 50 हजार से अधिक क्यूसेक जलश्राव वाली नदियों-नहरों पर केंद्रीय अभियंता, रूपांकण शोध एवं गुण नियंत्रण विभाग अनापत्ति प्रमाणपत्र देंगे. अनापत्ति प्रमाण पत्र जारी करने के लिए विभाग ने जांच समिति का गठन भी किया है. समिति के अध्यक्ष रूपांकण शोध एवं गुण नियंत्रण के मुख्य अभियंता बनाये गये हैं.

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