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योजनाओं की भेंट चढ़ेगी 737 पेड़ों की हरियाली
अनुपम कुमारी पटना : पर्यावरण व वन विभाग भले ही विभिन्न योजनाओं के तहत पौधारोपण का कार्य कर रही है. लेकिन, इन योजनाआें के विपरीत शहरीकरण के नाम पर प्रतिवर्ष हजारों की संख्या में पेड़ों की बलि दी जा रही है. कभी नगरीकरण, तो कभी सड़क चौड़ीकरण, तो कभी पुल-पुलिया के नाम पर पेड़ों की […]
अनुपम कुमारी
पटना : पर्यावरण व वन विभाग भले ही विभिन्न योजनाओं के तहत पौधारोपण का कार्य कर रही है. लेकिन, इन योजनाआें के विपरीत शहरीकरण के नाम पर प्रतिवर्ष हजारों की संख्या में पेड़ों की बलि दी जा रही है. कभी नगरीकरण, तो कभी सड़क चौड़ीकरण, तो कभी पुल-पुलिया के नाम पर पेड़ों की कटाई की जा रही है. इससे शहर की हरियाली बढ़ने के बजाय घटती जा रही है. जी हां, नये वर्ष में पटना शहरी क्षेत्र के करीब 737 पेड़ों की फिर से बलि दे दी जायेगी.
इसके लिए वन विभाग के वरीय परियोजना अभियंता, बिहार राज्य पुल निर्माण निगम की ओर से पेड़ों की कटाई करने की अनुमति मांगी गयी है.
दूर जाकर की जा रही क्षति-पूर्ति : इन पेड़ों की क्षति-पूर्ति के लिए वन व पर्यावरण विभाग की ओर से तीन गुणा पौधे लगाये जाने हैं. लेकिन, इन पेड़ों की क्षति-पूर्ति के लिए शहर में जगह नहीं मिल रहे हैं. ऐसे में पेड़ों की हरियाली के लिए लोगों को शहर से दूर भी जाना पड़ रहा है. वहीं, एक पेड़ तैयार होने में कम-से-कम 30-40 वर्षों का समय लगता है. ऐसे में इन पेड़ोे की हरियाली के लिए लोगों को 30-40 वर्ष इंतजार तो करना होगा ही, साथ ही इसके लिए लोगों को शहर से दूर भी जाना होगा.
काटे गये 5,581 पेड़
राजधानी में वित्तीय वर्ष 2016-17 में कुल 5,581 पेड़ों की कटाई की गयी है. बिहार राज्य पुल निर्माण निगम की ओर से बनाये जा रहे जवाहर लाल नेहरू मार्ग से लोहिया पथ चक्र निर्माण के कारण 3389 पेड़ों की कटाई की गयी है. इसके अलावा नेशनल हाइवे के तहत 2229 पेड़ों की कटाई की गयी है. अब जल्द ही 737 पेड़ों की भी बलि दे दी जायेगी.
तीन गुना लगाये जायेंगे पौधे
वन व पर्यावरण विभाग की ओर से काटे गये वृक्षों की क्षति-पूर्ति एक पेड़ के बदले तीन पेड़ लगा कर की जानी है. इसके तहत 17 हजार पौधे पूर्व में काटे गये पेड़ों की भरपाई में लगाये जाने थे. वहीं, 737 काटे जानेवाले पेड़ों की भरपाई 2,211 पौधे लगा कर की जानी है. हालांकि, विभाग के पास कोई रेकॉर्ड नहीं है. विभाग की मानें तो दूसरे जिले में खाली पड़े जमीनों में भी पेड़ लगाया गया है. अररिया में जैविक विविधता उद्यान विकसित किये जा रहे हैं.
पेड़ों की कटाई के लिए विभिन्न विभागों से जो आवेदन हमारे पास आते हैं, उनकी जांच कर पेड़ों की कटाई की अनुमति दी जाती है. क्षति-पूर्ति के लिए पौधे लगाये जा रहे हैं.
मिहिर कुमार झा, डीएफओ
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