- रामाशीष सिंह : आशु टंकक, 1.50 करोड़ का केस, 1 मार्च, 2013 से बहस. 40 तारीखें.
- डॉ अंबुज कुमार : शहरी विकास निदेशालय में सहायक निदेशक, 32 लाख का मामला, 3 जून, 2014 से करीब 27 बहस.
- बालरूप दास : वाणिज्यकर में संयुक्त सचिव, 50 लाख का केस. 15 अक्तूबर, 2013 से 40 तारीखें.
- रामनरेश सिंह : अधीक्षण अभियंता, 55 लाख का मामला. 6 मार्च, 2013 से 85 तारीखें.
- रतना गांगुली : बाढ़ राहत अभियंत्रण में तैनात व पीआरडी में गायिका भी, 32 लाख का मामला. 25 फरवरी, 2013 से 115 बहस
- त्रिभुवन राय : परिवहन विभाग में एसआइ, 45 लाख का मामला. 11 मार्च, 2013 से 35 तारीखें.
- लक्ष्मण प्रसाद : आइटीआइ में लिपिक, 54 लाख का केस. 25 अक्तूबर, 2013 से 70 तारीखें.
- अखिलेश शर्मा : कार्यपालक अभियंता, 61 लाख का केस, 16 फरवरी, 2013 से 95 बहस
- अजय कुमार प्रसाद : पटना विद्युत बोर्ड में मुख्य अभियंता, 27 लाख का मामला. 20 अगस्त, 2013 से 60 तारीखें पड़ीं.
- कालिका प्रसाद सिन्हा पीआरडीए, पटना के पूर्व अध्यक्ष, 1.25 करोड़ का केस. 13 मार्च 2011 से 148 तारीखें.
- श्रीकांत प्रसाद : कार्यपालक अभियंता, 1.20 करोड़ का केस. 3 जुलाई 2012 से 185 तारीखें.
- हीराकांत झा: अधीक्षण अभियंता, 42 लाख का केस. 31 जुलाई 2014 से 23 बहस.
- दिनेश्वर पासवान : इंटर काउंसिल के पूर्व सचिव, 68 लाख का मामला. 25 मई 2014 से 20 तारीखें पड़ी हैं.
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भ्रष्ट अफसरों की कब जब्त होगी बेनामी संपत्ति, पढ़िये कैसे तारीखों में उलझा है मामला
कौशिक रंजन/पटना बिहार सरकार ने भ्रष्ट लोकसेवकों की संपत्ति जब्त करने के लिए ‘बिहार विशेष न्यायालय अधिनियम, 2009’ बनाया है. इसमें अवैध कमाई से जमा की गयी भ्रष्ट लोक सेवकों की तमाम संपत्ति को एक वर्ष के अंदर जब्त करने का प्रावधान है. निगरानी ब्यूरो ने इसके अंतर्गत पिछले चार-पांच सालों में करीब 35 भ्रष्ट […]
कौशिक रंजन/पटना
बिहार सरकार ने भ्रष्ट लोकसेवकों की संपत्ति जब्त करने के लिए ‘बिहार विशेष न्यायालय अधिनियम, 2009’ बनाया है. इसमें अवैध कमाई से जमा की गयी भ्रष्ट लोक सेवकों की तमाम संपत्ति को एक वर्ष के अंदर जब्त करने का प्रावधान है. निगरानी ब्यूरो ने इसके अंतर्गत पिछले चार-पांच सालों में करीब 35 भ्रष्ट लोकसेवकों पर आय से अधिक संपत्ति मामले में कार्रवाई की है.इनके यहां छापेमारी हुई, भ्रष्टाचार निवारण निरोध अधिनियम की धाराओं समेत अन्य संबंधित धाराओं के तहत एफआइआर भी दर्ज की गयी है. लेकिन, अभी तक किसी की संपत्ति जब्त नहीं हो पायी है. 34 मामले लंबित पड़े हुए हैं. कई मामलों में पिछले चार सालों के दौरान 180 से ज्यादा तारीखें पड़ चुकी हैं, लेकिन अब तक कोई नतीजा नहीं निकला है. ‘बिहार विशेष न्यायालय अधिनियम, 2009’ के प्रावधानों का यह पूरी तरह से उल्लंघन है, क्योंकि इस अधिनियम में मुकदमा चला कर एक वर्ष के दौरान ही भ्रष्ट लोक सेवकों की तमाम अवैध संपत्ति जब्त करने का उल्लेख है.
अब तक 34 मामले पड़े लंबित
वर्ष 2009 में जब यह नया कानून बना था, तब उस समय सबसे पहले इसके तहत पूर्व डीजीपी नारायण मिश्रा और आइएएस अधिकारी एसएस वर्मा की संपत्ति 2011 में जब्त की गयी थी.इसके बाद कुछ अन्य भ्रष्ट लोक सेवकों की संपत्ति जब्त की गयी, लेकिन 2012 से इसकी रफ्तार एकदम ठहर-सी गयी है. निगरानी ब्यूरो में अब तक लंबित मामलों की संख्या 34 है.इनमें 13 मामले ऐसे हैं, जो चार-पांच साल से लंबित पड़े हैं. कई मामलों में तो पिछले चार सालों के दौरान 180 से ज्यादा तारीखें पड़ चुकी हैं, लेकिन अभी तक संपत्ति जब्त करने से संबंधित कोई पहल तक नहीं हुई है. कुछ मामलों में पिछले तीन-चार साल में काफी कम तारीखें पड़ी हैं, जिससे ये मामले ही सामने नहीं आ पा रहे हैं. इस देरी से भ्रष्ट लोक सेवकों को राहत मिल रही है. तमाम आरोपों के बाद भी वह कानूनी पकड़ से दूर हैं.
स्पेशल पीपी के पद खाली रहना भी कारण
निगरानी ब्यूरो में स्पेशल पीपी के छह पद हैं, लेकिन पांच खाली पड़े हैं. इस वजह से भी कोर्ट में सरकारी की तरफ से मुकदमों पर सशक्त रूप से बहस नहीं हो पा रही है. बचाव पक्ष को अपनी तारीख बढ़ाते हुए बचने का एक और मौका मिल जाता है. फिलहाल विधि विभाग में निगरानी में स्पेशल पीपी की बहाली करने से संबंधित फाइल लंबित पड़ी हुई है.
दो साल से अधfक समय से लंबित पड़े हैं इनके मामले
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