Advertisement
नयी तकनीक से बनेंगी ग्रामीण सड़कें
निर्णय. पहले चरण में ढाई सौ किलोमीटर सड़क का सेलफिल्ड से होगा निर्माण ग्रामीण कार्य विभाग ने एमएमजीएसवाइ में रोड सेक्टर मॉडर्नाइजेशन ग्रुप का गठन किया गया है. यह नयी तकनीक को बढ़ावा देगा और उसकी निगरानी भी करेगा. पटना : मुख्यमंत्री ग्राम सड़क योजना ( विश्व बैंक संपोषित) के सड़क निर्माण में उन्नत व […]
निर्णय. पहले चरण में ढाई सौ किलोमीटर सड़क का सेलफिल्ड से होगा निर्माण
ग्रामीण कार्य विभाग ने एमएमजीएसवाइ में रोड सेक्टर मॉडर्नाइजेशन ग्रुप का गठन किया गया है. यह नयी तकनीक को बढ़ावा देगा और उसकी निगरानी भी करेगा.
पटना : मुख्यमंत्री ग्राम सड़क योजना ( विश्व बैंक संपोषित) के सड़क निर्माण में उन्नत व नयी तकनीक का प्रयोग होगा. इससे सड़क निर्माण में लागत में कमी आयेगी. यह पर्यावरण के भी अनुकूल होगा.
सड़क निर्माण में पत्थर का कम प्रयोग होगा. इस साल बनने वाली 2500 किलोमीटर में दस फीसदी सड़क सेलफिल्ड से बनेगी. ग्रामीण कार्य विभाग ने एमएमजीएसवाइ में रोड सेक्टर मॉडर्नाइजेशन ग्रुप का गठन किया गया है. यह ग्रुप सड़क निर्माण में नयी तकनीक को बढ़ावा भी देगा और उसकी निगरानी भी करेगा. इसके अलावा विभाग सड़क निर्माण में आधुनिक मशीनों का भी प्रयोग करेगा. एमएमजीएसवाइ में ग्रामीण कार्य विभाग पांच साल में 37908 किलोमीटर सड़क बनाने का लक्ष्य तय किया है.
इसपर करीब 32 हजार करोड़ खर्च आयेगा. विभाग इसके लिए विश्व बैंक चार हजार करोड़ से अधिक की राशि लेगा. चालू वित्तीय वर्ष में विश्व बैंक 2500 किलोमीटर सड़क बनाने के लिए 2500 करोड़ दे रहा है.
मुख्यमंत्री ग्राम सड़क योजना में होनेवाला खर्च का इंतजाम राज्य को खुद करना पड़ता है. ग्रामीण कार्य विभाग ने अपना विजन 2020 तैयार किया है. इस विजन का मकसद है कि राज्य के सभी बसावटों को बारहमासी सड़क से जोड़ दिया जाये. विश्व बैंक के सहयोग से इस साल एमएमजीएसवाइ में 2500 किलोमीटर सड़क बनना है. इसमें कम से कम दसफीसदी सड़क पीसीसी की जगह सेलफिल्ड तकनीक से बनेगा. अभी एक किलोमीटर सड़क के निर्माण पर 70 से 80 लाख का खर्च आता है.
इस ग्रुप में 9 लोगों को रखा गया है जिसमें 6 विभाग के अभियंता है तथा तीन वाह्य सदस्य है. ग्रुप में मुख्य अभियंता एक, दो और तीन तथा सीवान, मोतिहारी और दरभंगा के कार्यपालक अभियंता को रखा गया है. वाह्य सदस्य में बीबी. पांडेय, केंद्रीय सड़क अनुसंधान संस्थान के मुख्य वैज्ञानिक बी. कंगाडुरई और एनआइटी पटना के डॉ. संजीव सिन्हा को रखा गया है.
यह है सेलफिल्ड तकनीक
सेलफिल्ड तकनीक में मधुमक्खी के छत्ते की तरह एक जाली होता है. इसी जाली में कंक्रीट को जमाया जाता है. विभागीय इंजीनियरों के अनुसार यह तकनीक कम खर्चीली होती है. यह पर्यावरण के भी अनुकूल है. इसमें पत्थर का भी कम प्रयोग होता है. जानकार बताते हैं कि जिस तरह पत्थरों की कमी हो रही एेसे में सड़कों के निर्माण में नयी तकनीक लानी होगी. विभागीय अधिकारी के अनुसार अगर यह प्रयोग सफल रहा तो आनेवाले समय में विभाग पीसीसी की जगह से सेलफिल्ड तकनीक से सड़क बनायेगा. सड़क निर्माण में पॉलीमार का भी प्रयोग होगा.
ग्रामीण क्षेत्रों में आवागमन सुविधाजनक बनाने का लक्ष्य
पांच साल में ग्रामीण क्षेत्रों में आवागमन और अधिक सुविधाजनक बनाने के लक्ष्य को लेकर विभाग काम कर रहा है, सड़क निर्माण में आधुनिक मशीनों का तो प्रयोग हो ही रहा है. नयी तकनीक का भी प्रयोग होगा.
शैलेश कुमार, मंत्री, ग्रामीण कार्य विभाग
Prabhat Khabar App :
देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए
Advertisement