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शराबबंदी के बाद दलित बस्ती में बदल रहे हालात
मोकामा : घोसवरी प्रखंड की पैजना पंचायत की दलित बस्ती में शराबबंदी का सामाजिक और आर्थिक सकारात्मक असर देखने को मिल रहा है. कल तक जो महिलाएं शराब के नशे में धुत पतियों के सामने मुंह तक नहीं खोल पाती थीं आज वही महिलाएं खुल कर न सिर्फ शराबबंदी की स्थानीय ब्रांड एंबेसडर बनी हुई […]
मोकामा : घोसवरी प्रखंड की पैजना पंचायत की दलित बस्ती में शराबबंदी का सामाजिक और आर्थिक सकारात्मक असर देखने को मिल रहा है. कल तक जो महिलाएं शराब के नशे में धुत पतियों के सामने मुंह तक नहीं खोल पाती थीं आज वही महिलाएं खुल कर न सिर्फ शराबबंदी की स्थानीय ब्रांड एंबेसडर बनी हुई हैं, बल्कि शराब की तरफदारी करनेवालों की लानत-मलानत करने से भी नहीं हिचकतीं.
पैजना पंचायत के दलित मोहल्ले में सौ से अधिक परिवार सरकारी नौकरियों में हैं, लेकिन इसके बावजूद हर घर विपन्नता की कहानी कहता था. रामपुकार पासवान की पत्नी अंजू देवी से पहले और अब के माहौल में अंतर पूछा गया, तो कातर स्वर में अंजू ने बताया कि पहले घर में दस रुपये के लिए मोहताज रहना पड़ता था, लेकिन आज घर में दो पैसे भी हैं और बच्चों की पढ़ाई भी हो रही है.
बबीता देवी बताती हैं कि पहले एक दिन भी ऐसा नहीं गुजरता था जब घर में हो -हल्ला और मारपीट नहीं होती थी, लेकिन जब से शराबबंदी लागू हुई है तब से घर में चैन- सुकून तो है. बबीता का पति अपनी कमाई के सारे पैसे शराब में बरबाद कर देता था, लेकिन पति की शराबबंद हुई, तो पति के साथ बबीता भी अपने परिवार के लिए कुछ करने की सोचने लगी.
इसी दौरान गांव की आशा कार्यकर्ता प्रमिला देवी की पहल पर वह जीविका से खुद जुड़ी और गांव की महिलाओं को भी जोड़ने लगी. बात -बात पर पति की फटकार से सहमी बबीता जीविका के जरिए आर्थिक स्वावलंबन की राह पर चल पड़ी. पूर्व पंचायत समिति सदस्य रीता देवी कहती हैं कि शराब के बाद गांजा और भांग पर इसी तरह की रोक लगनी चाहिए.
शराबबंदी की जमीनी हकीकत तलाशने के दौरान पैजना मल्लाह टोली के विनोद साव से गांव की महिलाओं ने परिचय कराया. गांव की महिलाओं और पुरुषों ने बताया कि नौ बच्चों के पिता विनोद साव हमेशा शराब के नशे में रोजाना लड़ाई-झगड़ा करता था. उस दौर में पैसे बचाने की बात तो दूर पैसे उतने ही कमाने की फिक्र रहती थी, जितने में शराब का कोटा पूरा हो जाये. पूरी कमाई शराब में जाती थी और बच्चे भूखे रहने को विवश थे. आज गांव में ही समोसा- पकौड़ी की दुकान खोल कर परिवार को पाल रहा है.
पैजना निवासी जदयू नेता दिलीप पटेल बताते हैं कि शराबबंदी के बाद की जमीनी सच्चाई है कि महिलाएं पारिवारिक, सामाजिक और आर्थिक आजादी महसूस करने लगी हैं. आरएमपी चिकित्सक अरुण कुमार बताते हैं कि पहले की अपेक्षा मारपीट- हंगामा और शराब के ओवरडोज जैसे मामलों वाले मरीजों की संख्या कम हुई है. गांव का माहौल शांत है.
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