19 दिसंबर को शिक्षा मंत्री डॉ अशोक चौधरी की अध्यक्षता में होने वाली बैठक में इसे रखा जायेगा. कॉलेजों में अब तक तीन साल के ग्रेजुएशन में एक-एक साल का पार्ट वन, टू व थ्री होता है. अब इन तीनों सालों को छह सेमेस्टर में बांटा जायेगा. किसी सेमेस्टर में अगर छात्र क्वालिफाइ नहीं कर पाते हैं तो उन्हें अगले सेमेस्टर में उसे क्लीयर करना होगा. स्नातक के सारे विषयों में सेमेस्टर सिस्टम लागू किया जायेगा.
इस पर अंतिम रूप से फैसला रूसा की बैठक के बाद शिक्षा विभाग लेगा. वहीं, च्वाइस बेस्ड क्रेडिट सिस्टम भी लागू किया जायेगा. इसमें साइंस, आट् र्स व कॉमर्स विषय की बाध्यता खत्म होगी. अगर कोई छात्र गणित ऑनर्स कर रहा है, तो साइंस ही नहीं वह चाहे तो आट् र्स के भी विषय साथ में रख कर पढ़ सकेगा. वहीं, आट् र्स से ऑनर्स करने वाले छात्र-छात्राएं साइंस व कॉमर्स के भी सब्जेक्ट भी रख सकेंगे. इसमें ग्रेजुएशन के तीन सालों के दौरान छात्र-छात्राओं को 120 क्रेडिट भी क्वालिफाइ करना होगा. हर सेमेस्टर में 20 क्रेडिट निर्धारित किये जायेंगे. 20 में से 18 क्रेडिट लाना आवश्यक होगा. वहीं, अगर किसी छात्र ने मगध विवि में एक साल की पढ़ाई पूरी कर ली है और किसी कारणवश उसे ललित नारायण मिथिला विवि या किसी अन्य विवि में पढ़ने के लिए जाना पड़ता है तो उस छात्र के साथ उसके एक साल के क्रेडिट भी जायेंगे. साथ ही वह नये विवि में बाकी के क्रेडिट की पढ़ाई कर सकेगा.