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May 2017 तक सात नदियों का होगा यह हाल

पटना : जल संसाधन विभाग इस बार ‘आग लगने पर कुआं खोदने’ की परिपाटी का परित्याग करने के मामले में बड़ी पहल करने जा रहा है. विभाग इस बार बाढ़-बरसात के एक-ड़ेढ़ माह पहले नदियों व तटबंधों पर बाढ़-कटाव निरोधक कार्य नहीं करायेगा. विभाग ने जनवरी से मई के बीच क्षतिग्रस्त नदियों व तटबंधों पर […]

पटना : जल संसाधन विभाग इस बार ‘आग लगने पर कुआं खोदने’ की परिपाटी का परित्याग करने के मामले में बड़ी पहल करने जा रहा है. विभाग इस बार बाढ़-बरसात के एक-ड़ेढ़ माह पहले नदियों व तटबंधों पर बाढ़-कटाव निरोधक कार्य नहीं करायेगा. विभाग ने जनवरी से मई के बीच क्षतिग्रस्त नदियों व तटबंधों पर कटाव निरोधक कार्य कराने का निर्णय लिया है.पहले चरण में विभाग ने पांच जिलों की सात नदियों के तटबंधों पर कटाव निरोधक कार्य कराने का निर्णय लिया है. पांचों नदियों के तटबंधों पर कटाव निरोधक कार्य पूरा कराने की समय सीमा भी तय कर दी गयी है. मई, 2017 तक सातों नदियों पर कटाव निरोधक कार्य पूरा कराने का जिलों के मुख्य अभियंताओं को टास्क दिया गया है.
जल संसाधन विभाग ने सात जिलों की हरोहर, गंगा, महानंदा, झौआ व गंडक-गंगा पर कटाव निरोधक कार्य कराने की प्रशासनिक स्वीकृति दी है. इन नदियों व तटबंधों पर बाढ़-बरसात के दौरान होने वाले कटाव से हर वर्ष हजारों लोगों को घर-बार छोड़ने को विवश होना पड़ता है. बाढ़-बरसात का पानी उतरने के बाद नदी तटों और तटबंधों के किनारे बसे लोगों को फिर से अपना-अपना घर बसाने की जुगत करनी पड़ती है. इस बार की बाढ़-बरसात में पांच जिलों के प्रभावितों को इस संकट का सामना नहीं करना होगा.
कटाव निरोधक कार्य व तटबंध सुरक्षा के काम में कहीं कोई चूक न हों, इसके लिए जल संसाधन विभाग ने पांचों जिलों में निगरानी दस्ता का गठन किया है. पांचों जिलों के मुख्य अभियंताओं को दस्ता का प्रमुख बनाया गया है. निगरानी दस्ता को हर पखवारे कार्य प्रगति की रिपोर्ट मुख्यालय को देने को कहा गया है.

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