पटना: पटना उच्च न्यायालय ने निचली अदालतों में जमानत नही दिये जाने को गंभीरता से लिया है. न्यायाधीश अंजना प्रकाश ने सोमवार को एक याचिका की सुनवाई के दौरान कहा कि निचली अदालतों द्वारा निर्णय नहीं लिये जाने के कारण पटना उच्च न्यायालय में प्रति कार्य दिवस में 205 जमानत याचिकाएं दायर की जाती हैं. यह बहुत ही गंभीर मसला है.
उन्होंने कहा कि जमानत के मामले में जितना अधिकार पटना उच्च न्यायालय को है उतना ही निचली अदालतों को भी. उन्होंने कहा कि कि बिहार के जेलों में जितने भी कैदी बंद हैं उनमें अधिकतर कम पढ़े लिखे लोग हैं.
राष्ट्रीय स्तर पर यह आंकड़ा दो लाख 54 हजार 857 है. न्यायाधीश ने कहा कि दो जनवरी, 2011 से 29 नवंबर 2013 तक पटना उच्च न्यायालय के समक्ष 125957 जमानत के मामले सुनवाई के लिए लाये गये, जिनमें 79625 केस में जमानत दी गयी और 7833 खारिज किये गये.
एक लाख 11 हजार मामले निष्पादित किये गये और 14855 लंबित रह गये. कोर्ट ने कहा कि निचली अदालतें मेरिट के आधार पर सुनवाई के बिना ही हाइकोर्ट भेज देता है. कोर्ट ने निचली अदालतों की हिदायत दी कि दहेज उत्पीड़न और घरेलू अत्याचार के मामले में समझौता वादी रवैया अपनाना चाहिए. नहीं तो इससे रिश्ता और भी बिगड़ता है. कोर्ट ने इसकी प्रति राज्य के सभी मजिस्ट्रेट और केंद्रीय विधि आयोग को भेजने की बात कही.