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निजी डॉक्टरों से इलाज कराने वालों को भी टीबी की मुफ्त दवा
टीबी नियंत्रण कार्यक्रम में बड़ा बदलाव पटना : नये साल में टीबी नियंत्रण कार्यक्रम में बड़ा बदलाव किया गया है. सरकारी अस्पतालों में इलाज करानेवाले मरीजों को अब हर दिन टीबी की दवा मिलेगी. अब तक सप्ताह में टीबी मरीजों को तीन दिन ही दवा दी जाती है. साथ ही निजी डाॅक्टरों से इलाज करानेवाले […]
टीबी नियंत्रण कार्यक्रम में बड़ा बदलाव
पटना : नये साल में टीबी नियंत्रण कार्यक्रम में बड़ा बदलाव किया गया है. सरकारी अस्पतालों में इलाज करानेवाले मरीजों को अब हर दिन टीबी की दवा मिलेगी. अब तक सप्ताह में टीबी मरीजों को तीन दिन ही दवा दी जाती है. साथ ही निजी डाॅक्टरों से इलाज करानेवाले मरीजों को भी प्राइवेट दवा दुकानों में मुफ्त दवा उपलब्ध करायी जायेगी. टीबी नियंत्रण कार्यक्रम को प्रभावी बनाने के लिए बच्चों की पानी में घुलनेवाली दवा आ गयी है. टीबी के शिकार बच्चे भी अब आसानी से टीबी की दवा खा सकेंगे. इधर, एक दिसंबर से मल्टी ड्रग रेसिस्टेंट (एमडीआर) के तहत पंजीकृत होने वाले चार जिलों के मरीजों को मुफ्त दवा के साथ छह माह का पोषाहार भी दिया जायेगा.
राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी डाॅ (मेजर) केएन सहाय ने बताया कि सरकारी अस्पतालों में टीबी के 70 हजार मरीज निबंधित हैं. करीब 80 हजार मरीज निजी डाॅक्टरों से इलाज कराते हैं. निजी प्रैक्टिस करनेवाले चिकित्सक मरीजों को हर दिन दवा खिलाते हैं. इससे मरीजों में संशय भी पैदा होता है. इसी को दूर करने के लिए भारत सरकार ने मरीजों को प्रतिदिन दवा खिलाने का प्रावधान किया है. डॉट प्रणाली में सप्ताह में तीन दिन दवा खिलाने का प्रावधान है. दो जनवरी से हर दिन दवा टीबी मरीजों को दी जायेगी.
दवा खिलाने का काम डॉट प्रोवाइडर करता है. अक्सर आंगनबाड़ी केंद्रों के माध्यम से टीबी की दवा आपूर्ति की जाती थी. आंगनबाड़ी सेविका दवा खिलाती थी, जिसे डाॅट प्रोवाइडर का प्रशिक्षण दिया गया था. अब ट्रीटमेंट सपोर्टर को दवा खिलाने की जिम्मेवारी दी जायेगी. ट्रीटमेंट सपोर्टर टीबी मरीज के परिवार का सदस्य भी हो सकता है. वह पढ़ा लिखा व्यक्ति होना चाहिए. उन्होंने बताया कि ट्रीटमेंट सपोर्टर को मरीज को छह माह का पूरा कोर्स की दवा खिलाने पर एक हजार दिये जाते हैं. सुई के साथ दवा खिलाने पर 1500 रुपये और एमडीआर मरीज को पूरा कोर्स का दवा खिलाने पर पांच हजार प्रोत्साहन राशि दी जाती है. सरकार की योजना है कि दो जनवरी से निजी डाॅक्टरों के पास इलाज कराने वाले मरीजों को निजी दवा दुकानों के माध्यम से फ्री में दवा दी जायेगी.
इसके एवज में दवा दुकानदारों को ट्रीटमेंट सपोर्टर को दी जानेवाली प्रोत्साहन राशि दी जायेगी. दवा दुकानदारों को अपने पास सरकार की मुफ्त दवा रखनी होगी और मरीजों को देनी होगी. इसके लिए बिहार केमिस्ट एंड ड्रगिस्ट एसोसिएशन के साथ बात चल रही है.
वहीं, राज्य के 99 डाॅट सेंटर एचआइवी मरीजों के लिए टीबी की दवा दी जायेगी. एचआइवी मरीजों को टीवी की दवा का किट लिफाफे में दी जायेगी. लिफाफे के अंदर एक टाॅल फ्री नंबर रहेगा. मरीज को दवा खाने के बाद उस टाॅल फ्री नंबर पर मिस्ड काल करना होगा. डाॅ सहाय ने बताया कि राज्य के चार जिलों में एमडीआर मरीजों को हर माह 16 किलोग्राम अनाज का पैकेट पोषाहार के रूप में दिया जायेगा. पश्चिम चंपारण, पूर्वी चंपारण, मुजफ्फरपुर व सीतीमढ़ी जिले में पहली दिसंबर से पंजीकृत होनेवाले मरीजों को पोषाहार दिया जायेगा. इसमें हर माह प्रति
एमडीआर के मरीज को सात किलोग्राम आटा, तीन किलोग्राम चावल, एक किलोग्राम दाल, एक किलोग्राम सत्तू (ब्रांडेड), एक किलोग्राम चना, एक किलोग्राम सोयाबरी, एक किलोग्राम रजमा और एक किलोग्राम गुड़ दिया जायेगा.
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