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भौगोलिक स्थिति की वजह से फैलता है मस्तिष्क ज्वर
नियंत्रण को लेकर प्राथमिक स्वास्थ्य जांच केंद्र होगा अपग्रेड पटना सिटी : अगमकुआं स्थित राजेंद्र स्मारक चिकित्सा विज्ञान अनुसंधान संस्थान में मंगलवार को मस्तिष्क ज्वर फैलने से रोकने, बीमारी से पीड़ित बच्चों का उपचार तत्काल आरंभ करने व जांच की सुविधा के साथ चिकित्सकों को प्रशिक्षण देने समेत अन्य बिंदुओं पर आयोजित कार्यशाला हुई. भारतीय […]
नियंत्रण को लेकर प्राथमिक स्वास्थ्य जांच केंद्र होगा अपग्रेड
पटना सिटी : अगमकुआं स्थित राजेंद्र स्मारक चिकित्सा विज्ञान अनुसंधान संस्थान में मंगलवार को मस्तिष्क ज्वर फैलने से रोकने, बीमारी से पीड़ित बच्चों का उपचार तत्काल आरंभ करने व जांच की सुविधा के साथ चिकित्सकों को प्रशिक्षण देने समेत अन्य बिंदुओं पर आयोजित कार्यशाला हुई.
भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद नयी दिल्ली की डायरेक्टर जरनल डॉ सौम्या स्वामीनाथन ने कहा कि अलग-अलग भौगोलिक स्थिति की वजह से यह बीमारी फैलती है. जुलाई से नवंबर के बीच में यह ज्यादा खतरा रहता है. बीमारी का कारण स्पष्ट नहीं है. इस पर शोध चल रहा है. बीमारी से बचाव के लिए वैक्सीन के बाद कुछ हद तक बीमारी से रोकथाम हो सकती है.
इसके लिए आवश्यक है कि लोगों को जागरूक किया जाये. कार्यशाला में स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव आरके महाजन ने कहा कि मस्तिष्क ज्वर, जापानी इंसेफलाइटिस, दिमागी बुखार, नवकी बीमारी पर आरएमआरआइ के सहयोग से रोड मैप तैयार हो रहा है, जिसमें प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर तैनात चिकित्सक, पारा मेडिकल स्टाफ व नर्स को प्रशिक्षण दिया जायेगा. इतना ही नहीं बीमारी की रोकथाम के लिए राज्य सरकार ज्यादा गंभीर है. ऐसे में सूबे के लगभग 40 हजार आरएमपी चिकित्सक को नेशनल इंस्टीच्यूट ऑफ ओपन स्कूल से प्रशिक्षण दिया जायेगा. अभी मेडिकल कॉलेज व जिला अस्पताल में जांच की सुविधा है. इसे प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर पहुंचाया जायेगा. लोगों में जागरूकता के लिए आपदा प्रबंधन से प्रशिक्षकों को प्रशिक्षण दिलाया जा रहा है. नुक्कड़ नाटक के माध्यम से भी गांव में लोगों को जागरूक किया जाता है.
कौन-कौन हुए कार्यशाला में शामिल :कार्यशाला में प्रो टीजे जॉन, स्वास्थ्य विभाग के डॉ एसएम महेंडेल, शशि भूषण कुमार, अपर निदेशक डॉ एमपी शर्मा, डॉ गया मेडिकल कॉलेज में शिशु रोग विभाग के अध्यक्ष डॉ बीबी सिंह, नालंदा मेडिकल कॉलेज की विभागाध्यक्ष डॉ अलका सिंह, एनसीडीसी के निदेशक डॉ एस बेकटेश, केजीएमयू लखनऊ के माइक्रो बॉयोलॉजी के विभागाध्यक्ष डॉ अमिता जैन, पैथ के निदेशक डॉ राजीव टंडन,डॉ निर्मल प्रकाश नारायण, आरएमआरआइ के निदेशक डॉ प्रदीप दास समेत अन्य चिकित्सकों ने अपनी बातों को रखा. निदेशक पी दास व डॉ कृष्णा पांडे ने बताया कि वैक्टेरिया जनित बीमारी मस्तिष्क ज्वर है. इसकी जांच रीढ़ से पानी निकाल व खून से करायी जाती है. जांच के बाद ही मरीज का इलाज कैसे हो, इसी विषय पर मूल रूप से कार्यशाला थी. यूपी व बिहार में फैलने वाली बीमारी की रोकथाम के लिए इससे पहले गोरखपुर में 17 अगस्त को कार्यशाला हुई थी. बीमारी की चपेट में एक साल से पंद्रह साल तक के बच्चे आते हैं. बीमारी से बचाव के लिए वैक्सीनेशन जरूरी है. मरीज की बीमारी पहचान के बाद ठीक से उपचार हो तो मौत की संख्या को नियंत्रित किया जा सकता है. चिकित्सकों ने बताया कि 2005 में सबसे पहले बीमारी का मामला उजागर हुआ, जो 2012 से बढ़ने लगा. हालांकि धीरे-धीरे इस पर नियंत्रण हो रहा है. अभी गया सबसे ज्यादा प्रभावित रहा है.
जबकि मुजफ्फरपुर, नवादा, लखीसराय, पश्चिम चंपारण समेत अन्य जिले है. बीमारी की रोकथाम के लिए मार्गदर्शिका बनायी गयी है. यह बीमारी मच्छर व सूअर से भी फैलता है, इस पर नियंत्रण रखने व साफ-सुथरा रहे, हाथ धोए, जैसे कई बिंदुओं पर चर्चा हुई.
लैब का भी उद्घाटन
अगमकुआं स्थित राजेंद्र स्मारक चिकित्सा विज्ञान अनुसंधान संस्थान में मंगलवार को सबसे पहले भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद नयी दिल्ली की डायरेक्टर जरनल डॉ सौम्य स्वामीनाथन ने अपग्रेड हुए केंद्रीय जांच प्रयोगशाला का उद्घाटन किया. इस मौके पर डॉ वीएनआर दास, डॉ कृष्णा पांडे, डॉ आरपी लाल, डॉ नीना वर्मा आदि उपस्थित थे.
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