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कमीशन पर पुराने नोट बदलने का धंधा जोरों पर
पटना : नोटबंदी के बाद राज्य के ग्रामीण इलाकों में अभी भी लोगों को नोटों की किल्लत हो रही है. बाजार में इन दिनों मची आपा-धापी के बीच कुछ लोग कमीशन पर पुराने नोट बदलने का धंधा जोरों पर कर रहे हैं. कई लोग कमीशन लेकर 500 और हजार रुपये के पुराने नोटों को बदलने […]
पटना : नोटबंदी के बाद राज्य के ग्रामीण इलाकों में अभी भी लोगों को नोटों की किल्लत हो रही है. बाजार में इन दिनों मची आपा-धापी के बीच कुछ लोग कमीशन पर पुराने नोट बदलने का धंधा जोरों पर कर रहे हैं. कई लोग कमीशन लेकर 500 और हजार रुपये के पुराने नोटों को बदलने में लगे हुए हैं.
पटना समेत कई शहरों में बड़े स्तर पर इस तरह के अवैध धंधे अचानक पनप गये हैं. ऐसी सूचना मिलने के बाद राज्य सरकार की इओयू और आयकर विभाग संयुक्त रूप से कार्रवाई की तैयारी कर रहा है. इसके अलावा कई पेट्रोल पंप, दुकानदार समेत अन्य स्थानों पर एटीएम कार्ड के माध्यम से दो हजार रुपये तक आम लोगों को दिये जा रहे हैं, लेकिन इसमें भी एक या दो सौ रुपये अवैध रूप से कमीशन लिये जा रहे हैं.
ग्रामीण इलाकों में कई स्थानों पर 500 या एक हजार रुपये के पुराने नोट 400 या 800 रुपये लेकर बदलने का भी धंधा चल रहा है. किसी दूसरे के एकाउंट में पुराने पैसे को डालकर नये नोट प्राप्त करने समेत ऐसे अन्य कई तरह के धंधे इन दिनों विकसित हो गये हैं. नोटबंदी कई लोगों के लिए अवैध कमाई का जरिया भी बन गया है.
नक्सली ले रहे बुजर्गों का सहयोग : नक्सल प्रभावित इलाकों में देखने को मिल रहा है कि इलाके बुजुर्ग लोगों के बैंक खातों में नक्सली 2.50 लाख रुपये जमा कर रहे हैं. इस माध्यम से वह अपनी लेवी या फिरौती के रूप में वसूले गये रुपये को बदलने का काम कर रहे हैं. इसमें ज्यादातर जन-धन योजना के तहत खोले गये खातों को ही फोकस किया जा रहा है.
हालांकि जांच में अभी तक ऐसे मामले झारखंड के लातेहार जैसे बेहद नक्सल प्रभावित इलाकों में ही सामने आये हैं. बिहार में ऐसे मामलों की जांच चल रही है.
ग्रामीण इलाकों में पैसे नहीं पहुंचना बड़ी समस्या : ग्रामीण इलाकों के बैंकों में आज भी कई ऐसी शाखाएं हैं, जहां रुपये सिर्फ जमा लिये जा रहे हैं. एक्सचेंज नहीं हो रहे हैं. कुछ स्थानों पर तो जिन लोगों को बहुत जरूरी है, तो बैंक वाले पुराने नोट ही दे रहे हैं.
ऐसा सिर्फ सभी बैंकों तक करेंसी नहीं पहुंचने की वजह से हो रहा है. अभी भी करेंसी मांग के अनुरूप इन बैंक शाखाओं में नहीं पहुंच रही है.
मोबाइल वैन से ग्रामीण इलाकों में पैसे पहुंचाने की मुहिम भी सार्थक साबित नहीं हो रही है. बैंकों के मोबाइल कैश वैन और एटीएम दोनों पूरी तरह से काम नहीं कर रहे हैं. इस वजह से भी हेर-फेर करने वालों की चांदी हो रही है.
बॉक्स में……
आइटी और इओयू कर रहा संयुक्त मॉनीटरिंग
नोटबंदी की घोषणा 8 नवंबर के बाद से तेजी से विकसित हुई इस ब्लैक इकोनॉमी को नियंत्रित करने के लिए आर्थिक अपराध इकाई (इओयू), आयकर विभाग, इडी समेत अन्य जांच एजेंसियां लगी हुईं हैं. इसमें सबसे अहम भूमिका इनकम टैक्स विभाग की है. आयकर विभाग ने सभी बैंकों से 8 नवंबर के बाद खातों में जमा की गयी तमाम बड़ी राशि या ट्रांजैक्शन का डिटेल मांगा है.
इसमें जन-धन योजना और सामान्य सभी तरह के खाते शामिल हैं. इस डाटा की समीक्षा की जा रही है. इसके अलावा राज्य में जिन-जिन स्थानों पर कमीशन लेकर पैसे को ब्लैक से व्हाइट करने का धंधा चल रहा है, इससे संबंधित भी इनपुट जमा किये जा रहे हैं. ग्रामीण या नक्सल प्रभावित इलाकों में मौजूद बैंकों से भी सभी खातों में लेन-देन का हिसाब अलग से लिया जा रहा है. स्वर्ण व्यवसायी समेत अन्य बड़े व्यापारियों से पहले से ही बड़े खरीदारों की सूची ली जा रही है. इसके आधार पर छापेमारी शुरू भी हो गयी है.
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