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लाइन में मरनेवालों के आश्रितों को बैंक दें मुआवजा : सिद्दीकी

पटना : वित्त मंत्री अब्दुल बारी सिद्दीकी ने नोटबंदी के बाद बैंकों में लगी लाइन में मरनेवालों के आश्रितों को मुआवजा देने की मांग है. उन्होंने बुधवार को यहां राज्य स्तरीय बैंकर्स समिति की बैठक में कहा कि राज्य के ग्रामीण इलाकों में बैंक शाखाओं की बेहद कमी होने के कारण अफरा-तफरी की स्थिति है. […]

पटना : वित्त मंत्री अब्दुल बारी सिद्दीकी ने नोटबंदी के बाद बैंकों में लगी लाइन में मरनेवालों के आश्रितों को मुआवजा देने की मांग है. उन्होंने बुधवार को यहां राज्य स्तरीय बैंकर्स समिति की बैठक में कहा कि राज्य के ग्रामीण इलाकों में बैंक शाखाओं की बेहद कमी होने के कारण अफरा-तफरी की स्थिति है. बैंकों में बेहद लंबी लाइन और परेशानी के कारण कई बुजुर्गों और लाचार लोगों की मौत भी हो गयी है.
बैंकों को ऐसे लोगों के आश्रितों को मुआवजा देना चाहिए. सभी बैंकों को लाइन में घंटों खड़े होनेवाले लोगों के लिए पीने का पानी और प्राथमिक इलाज की सुविधा मुहैया करानी चाहिए. उन्होंने कहा कि ग्रामीण इलाकों के बैंकों में महिला, बुजुर्गों और दिव्यांगों के लिए अलग-अलग लाइनें लगाने की जिम्मेवारी अब संबंधित थाने के पुलिस की होगी. मौके पर मौजूद एडीजी (विधि-व्यवस्था) आलोक राज ने कहा कि सभी जिलों के एसपी को इस संबंध में बुधवार की शाम तक निर्देश चला जायेगा.
बैंक शाखा नहीं खोलने पर जुर्माना
सिद्दीकी ने कहा कि चालू वित्तीय वर्ष के दौरान बैंकों की 1640 शाखाएं खोलने का लक्ष्य रखा गया था, पर 78 शाखाएं ही खुल पायी हैं, जो लक्ष्य का महज 4.76% है. बैंकों की इस तरह की लापरवाही पर कड़ी फटकार लगाते हुए वित्त मंत्री ने आरबीआइ से पूछा कि जो बैंक लक्ष्य के अनुरूप शाखाएं नहीं खोलते हैं, उन पर सख्त कार्रवाई क्यों नहीं किया जाता है.
रिजर्व बैंक के क्षेत्रीय निदेशक एमके वर्मा ने कहा कि बार-बार कहने पर भी जो बैंक लक्ष्य के अनुसार अपनी शाखाएं नहीं खोलेंगे, उन पर जुर्माना लगाने पर विचार किया जायेगा. उन्होंने बैंकों को चेतावनी दी कि वे सख्त कदम उठानेके लिए मजबूर नहीं करें. हालांकि, उन्होंने यह नहीं स्पष्ट किया कि ऐसे बैंकों पर कितना और किस अनुपात से जुर्माना लगाया जायेगा.
ग्रामीण आबादी ही बैंक से महरूम
वित्त मंत्री ने कहा कि राज्य में 89% आबादी गांवों में रहती है. फिर भी ग्रामीणों इलाकों में बैंकिंग सुविधाओं का घोर आभाव है. गांवों में न एटीएम है और न ही कोई शाखा. बैंक ग्रामीण लोगों को विभिन्न योजनाओं के तहत लोन देने में भी परहेज करते हैं. पशुपालन, मत्स्य, डेयरी और कृषि से संबंधित कार्यों के लिए लोन देने में सबसे ज्यादा कोताही बैंक बरतते हैं.
स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड में लापरवाही बरदाश्त नहीं
उन्होंने कहा कि जिन योजनाओं के नाम के पहले प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री जुड़ा होता है, वे सरकार की फ्लैगशिप या टॉप प्रायोरिटीवाली योजनाएं हैं. फिर भी इन योजनाओं में उपलब्धि खराब या सामान्य है. उन्होंने बैंकों को चेतावनी दी कि स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड योजना में किसी तरह की लापरवाही बरती गयी, तो सरकार उन बैंकों से अपना नाता तोड़ लेगी. उनके साथ किसी तरह का कारोबार नहीं करेगी.
एमओयू नहीं करनेवाले बैंकाें कार्रवाई
वित्त विभाग के प्रधान सचिव रवि मित्तल ने कहा कि सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया, उत्तर बिहार ग्रामीण बैंक समेत कई बैंकों ने अभी तक स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड योजना को लेकर सरकार के साथ एओयू नहीं किया है.
ऐसे बैंकों ने दो-तीन दिनों में एमओयू नहीं किया, तो उनके खिलाफ सरकार सख्त कदम उठायेगी. अभी जिलों में इसके लिए आवेदन आ रहे हैं. इनका वेरिफिकेशन थर्ड पार्टी से करवाया जा रहा है. इसके बाद 15 दिसंबर से इन्हें बैंकों को भेजा जायेगा. इसके लिए बैंक हर हालत में तैयार रहें. छात्रों को लाभ देने में किसी तरह की लापरवाही नहीं करें.

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