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कुत्तों की नसबंदी की नहीं शुरू हुई पहल
चार माह में एक भी बैठक नहीं नियंत्रण का खाका नहीं बना पटना : राज्य सरकार ने शहर के आवारा कुत्तों के जनसंख्या नियंत्रण को लेकर चार माह पहले निर्णय लिया था. लेकिन, अभी तक इसे धरातल पर उतारने की पहल शुरू नहीं हो पायी. पशुपालन विभाग द्वारा किये गये पशु गणना में राज्य में […]
चार माह में एक भी बैठक नहीं नियंत्रण का खाका नहीं बना
पटना : राज्य सरकार ने शहर के आवारा कुत्तों के जनसंख्या नियंत्रण को लेकर चार माह पहले निर्णय लिया था. लेकिन, अभी तक इसे धरातल पर उतारने की पहल शुरू नहीं हो पायी. पशुपालन विभाग द्वारा किये गये पशु गणना में राज्य में आवारा कुत्तों की संख्या 10 लाख 37 हजार 720 पायी गयी है.
इसमें शहरी क्षेत्रों में पाये गये आवारा कुत्तों की संख्या 50 हजार 220 है. नगर विकास एवं आवास विभाग द्वारा प्रधान सचिव की अध्यक्षता में आवारा कुत्तों के जनसंख्या नियंत्रण के लिए राज्य स्तरीय क्रियान्वयन एवं अनुश्रवण समिति का भी गठन किया गया था. समिति के गठन के बाद अभी तक इसकी एक भी बैठक नहीं हुई जिससे यह पता चल सके कि निकायों में आवारा कुत्तों के जनसंख्या नियंत्रण की तैयारी किस प्रकार की जायेगी.
नगर विकास एवं आवास विभाग द्वारा राज्यस्तरीय कमेटी का गठन 14 जुलाई 2016 को कर दिया गया. इसमें नगर विकास विभाग के प्रधान सचिव को इसका अध्यक्ष बनाया गया. नौ सदस्यीय इस कमेटी में वित्त विभाग के अपर सचिव, पशुपालन विभाग के निदेशक, कृषि विभाग के अपर सचिव, पशु कल्याण बोर्ड के प्रभारी पदाधिकारी, नगर निकायों के आयुक्त, भारतीय जंतु कल्याण बोर्ड भारत सरकार के दो प्रतिनिधि को सदस्य बनाया गया जबकि नगरपालिका निदेशक (प्रशासन) को इसका सदस्य सचिव और पीपुल्स फार एनीमल की सदस्य सचिव गौरी मौलेखी को आमंत्रित सदस्य के रूप में मनोनीत किया गया. कमेटी का गठन जुलाई को हुआ जबकि इसकी एक भी बैठक नहीं हो सकी है.
पशुपालन विभाग के निदेश राधेश्याम साह ने बताया कि अभी तक इसकी एक भी बैठक नहीं हुई है. बैठक के बाद ही निर्धारित होगा कि आवारा कुत्तों के जनसंख्या नियंत्रण के लिए क्या प्रक्रिया अपनायी जायेगी. विभाग द्वारा इसके अलावा आवारा कुत्तों की जनसंख्या नियंत्रण के लिए राज्य के शहरी निकायों में स्टे डॉग बर्थ कंट्रोल सोसाइटी (एसडीबीसीएस) के गठन की अधिसूचना भी जारी कर दी गयी है. इस कमेटी में संबंधित नगर निकाय के नगर आयुक्त या नगर कार्यपालक पदाधिकारी, संबंधित जिला के पशुपालन पदाधिकारी, सोसाइटी फार द प्रीवेंशन आफ क्रुएलिटी टू एनिमिल (एसपीसीए) के प्रतिनिधि और पशु कल्याण पदाधिकारी को शामिल किया गया है.
विशेषज्ञों के अनुसार शहरों में 50 हजार कुत्ते वर्ष 2015 में थे जिनकी संख्या बढ़कर अब करीब 62 हजार 500 तक पहुंच गयी है. शहरी क्षेत्र में करीब हर साल पांच लाख लोगों को आवारा कुत्ते काटते हैं. पूरे राज्य में सलाना सात-आठ लाख लोग कुत्तों की चपेट में आते हैं.
आवारा कुत्तों की जनसंख्या नियंत्रण के लिए अभी तक जिलों में एक सर्जन और एक निश्चेतक की आवश्यकता है. इसके अलावा सर्जरी के बाद कुत्तों को तीन-चार दिनों तक रखने के लिए व्यवस्था होनी चाहिए. अगर ऐसा नहीं होता है तो कुत्ते अपने ही घांव को चाट कर या नोंच कर एक नये तरह की समस्या पैदा कर देंगे. इस तरह की व्यवस्था अभी कहीं भी नहीं है.
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