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सफलता शराबबंदी की कहानी दरभंगा से, शराबबंदी ने बदल दी लालबाबू की जिंदगी
बीस साल पहले पत्नी की मौत के बाद लालबाबू राउत को शराब की लत लगी, तो वह उसमें डूबता चला गया. दिन-रात नशे में डूबे लालबाबू को लोग देखते ही दूर हटने को कहते थे. उसे न तो परिवार की चिंता रहती थी और न ही अपनी सेहत की. मां को खो चुके बच्चे को […]
बीस साल पहले पत्नी की मौत के बाद लालबाबू राउत को शराब की लत लगी, तो वह उसमें डूबता चला गया. दिन-रात नशे में डूबे लालबाबू को लोग देखते ही दूर हटने को कहते थे. उसे न तो परिवार की चिंता रहती थी और न ही अपनी सेहत की. मां को खो चुके बच्चे को पिता का भी प्यार नहीं मिल रहा था.
जिंदगी जैसे-तैसे गुजर रही थी. लालबाबू पहले मध्य प्रदेश के खरगौन जिला में एक कंपनी में नौकरी करता था. बाद में मथुरा आ गया. फैक्टरी बंद होने के बाद गांव चला आया. पहले गांव में छोटा-मोटा काम कर परिवार का पालन करता था लेकिन बाद में उसे नशे की आदत लग गयी. फिर तो नशे की हालत में गांव घूमा करता था. लेकिन शराबबंदी से लालबाबू की जिंदगी बदल गयी. अब उसने सब्जी का काम शुरू कर दिया है. साइकिल पर सब्जी लादकर गांव-गांव उसे बेचता है. सेहत भी पहले से ठीक हो गयी है.
परिवार के साथ मोहल्ले के लोग भी अब उसे इज्जत देने लगे हैं, जो पहले अपने पास से जाने को कहते थे, अब उससे बात करते हैं. पड़ोसी बताते हैं कि लालबाबू के बूढ़े माता-पिता उसकी वजह से पहले परेशान रहते थे, जब वो देर रात तक घर नहीं आता था, तो उसे ढूंढ़ने के लिए निकलते थे. लेकिन अब स्थिति में बदलाव आ गया है, उन्हें परेशान नहीं होना पड़ता है. अब लालबाबू कहता है कि शराबबंदी अच्छी है. इसे पूरे देश में लागू कर देना चाहिए.
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