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सफलता शराबबंदी की कहानी समस्तीपुर से : शराबबंदी के बाद अब अच्छे बन गये पापा
टोरी बाजार के कवि चौक निवासी सुबोध पहले दिन की शुरुआत शराब के साथ करता था. सुबह से लेकर रात तक कुछ-कुछ अंतराल पर शराब पीना उसकी आदत में शुमार था. शराब के लिए घर में कलह होती थी. सुबोध ने पत्नी के गहने तक गिरवी रख दिये थे. घर चलाना मुश्किल होता था. घर […]
टोरी बाजार के कवि चौक निवासी सुबोध पहले दिन की शुरुआत शराब के साथ करता था. सुबह से लेकर रात तक कुछ-कुछ अंतराल पर शराब पीना उसकी आदत में शुमार था. शराब के लिए घर में कलह होती थी. सुबोध ने पत्नी के गहने तक गिरवी रख दिये थे.
घर चलाना मुश्किल होता था. घर से दवा लेने के लिए पैसे लेकर सुबोध निकलता था, तो शराब के नशे में चूर होकर वापस आता था, जब घर के लोग दवा मांगते, तो कलह शुरू हो जाती थी. पत्नी रूबी देवी बताती हैं कि नशे में होने के कारण अक्सर सुबोध मारपीट किया करता था, जिससे पूरा परिवार परेशान था. बच्चे भी डरे-सहमे रहते थे. मां शकुंती देवी बताती हैं कि नशे के कारण पूरा परिवार भीख मांगने को विवश था. पिता बगरो साह बताते हैं कि मैं काम में लगा रहता था, मजदूरी करता था, लेकिन सुबोध केवल परेशानी पैदा करता था.
इसकी वजह से मैं बीमार रहने लगा था. शराबबंदी के बाद सुबोध की हालत बिगड़ने लगी थी, लेकिन डॉक्टर को दिखाया और दवाई ली, तो हालत में सुधार होने लगा. हालत सुधरी, तो मजदूरी करने लगा. अब जिस दिन मजदूरी नहीं मिलती, सुबोध रिक्शा चलाता है. उससे जो कमाई होती है, उसे लाकर घर में देता है. इससे घर में खुशहाली लौट आयी है. सुबोध की मां और पत्नी कहती हैं कि शराबबंदी से उसका दोबारा जन्म हुआ है. अब हम लोग खुश हैं. बच्चे भी खुश हैं. वो कहते हैं कि पापा अब अच्छे हो गये हैं.
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