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सफलता शराबबंदी की कहानी जहानाबाद से : शराब ने बिगाड़ दी थी सेहत, अब है खुशहाली
अगर परिषद क्षेत्र के इरकी महादलित टोला में रहने वाले इंद्रदेव दास और उनका पूरा परिवार आज खुशहाल है. मौत की मुंह से बच कर जो निकल आया इंद्रदेव दास. दैनिक मजदूरी कर अपनी पत्नी सूर्यमणि देवी और चार बेटियों का पालन-पोषण करने वाले इंद्रदेव को शराब पीने की बुरी लत लग गयी थी. वह […]
अगर परिषद क्षेत्र के इरकी महादलित टोला में रहने वाले इंद्रदेव दास और उनका पूरा परिवार आज खुशहाल है. मौत की मुंह से बच कर जो निकल आया इंद्रदेव दास. दैनिक मजदूरी कर अपनी पत्नी सूर्यमणि देवी और चार बेटियों का पालन-पोषण करने वाले इंद्रदेव को शराब पीने की बुरी लत लग गयी थी. वह प्रतिदिन चार बजे सुबह से ही देसी शराब पीने लगता था. प्रतिदिन मजदूरी कर ढाई सौ रुपये कमाने वाला मजदूर अपनी कमाई का एक सौ रुपये रोज शराब पर खर्च कर देता था. नशे की हालत में घर आने पर पत्नी और अपनी बेटियों के साथ झगड़े करता. हंगामा ऐसा मचता था कि मुहल्ले के लोगों को हस्तक्षेप करनी पड़ती थी.
शराब ने उसकी सेहत को बरबाद कर दिया था. इंद्रदेव की किडनी और लीवर डैमेज होने लगे. शौच के रास्ते खून निकलने लगा. पैर और पेट फूलने से उसे खाट पकड़नी पड़ी. मजदूरी बंद होने से भोजन के लाले पड़ गये. कमाने वाले ने ही बेड पकड़ लिया तो परिवार संकट में पड़ गया. प्रदेश में शराबबंदी लागू होने के बाद उसका पीना बंद हुआ.
एक माह पूर्व तक वह पीएमसीएच में भरती रहा. डाॅक्टरों ने उसके शरीर में खून की भारी कमी बतायी थी. इलाज कराने के बाद अब वह पूरी तरह स्वस्थ है और शराब नहीं पीता. इंद्रदेव का पड़ोसी चंद्रदेव दास भी शराब की गिरफ्त में जकड़ा हुआ था. उसकी पत्नी कांति देवी बताती हैं कि शराबबंदी के बाद प्रतिमाह तीन हजार रुपये की बचत होने लगी है.
इन पैसों को वह अपने छह बच्चों के पालन-पोषण और पढ़ाई में खर्च कर रहीं हैं. इसके अलावे इरकी महादलित टोला में 50 से अधिक परिवार ऐसे हैं, जो शराबबंदी के बाद खुशहाल हैं.
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