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कलश लेकर प्रकट हुए थे धन्वंतरि
धनतेरस : बरतन खरीदने की परंपरा पटना : कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन ही धन्वंतरि का जन्म हुआ था, इसलिए इस तिथि को धनतेरस के नाम से जाना जाता है. धन्वंतरि जब प्रकट हुए थे तो उनके हाथों में अमृत से भरा कलश था. पं राजकुमार पांडे कहते हैं कि हिंदू धर्म […]
धनतेरस : बरतन खरीदने की परंपरा
पटना : कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन ही धन्वंतरि का जन्म हुआ था, इसलिए इस तिथि को धनतेरस के नाम से जाना जाता है. धन्वंतरि जब प्रकट हुए थे तो उनके हाथों में अमृत से भरा कलश था. पं राजकुमार पांडे कहते हैं कि हिंदू धर्म में कोई भी पूजा-अर्चना के नियमों को कठोरता पूर्वक करने की बाध्यता नहीं है.
भगवान धन्वंतरि चूंकि कलश लेकर प्रकट हुए थे, इसलिए इस अवसर पर बरतन खरीदने की परंपरा है. कहीं-कहीं लोकमान्यता के अनुसार यह भी कहा जाता है कि इस दिन धन (वस्तु) खरीदने से उसमें 13 गुणा वृद्धि होती है. धनतेरस के दिन चांदी खरीदने की भी प्रथा है. इसके पीछे यह कारण माना चंद्रमा का प्रतीक है, जो शीतलता प्रदान करता है और मन में संतोष रूपी धन का वास होता है.
धन्वंतरि से की जाती है सेहत की कामना : भगवान धन्वंतरि चिकित्सा के देवता भी हैं. उनसे स्वास्थ्य और सेहत की कामना की जाती है. जिस प्रकार देवी लक्ष्मी सागर मंथन से उत्पन्न हुई थीं, उसी प्रकार भगवान धन्वंतरि भी अमृत कलश के साथ सागर मंथन से उत्पन्न हुए थे. धनिया के बीज खरीद कर भी लोग घर में रखते हैं. इन बीजों को लोग अपने खेतों में बोते हैं.
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