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माओवादियों के खिलाफ लड़ने वाले बने सिरदर्द

पटना: सोन-गंगा-विंध्याचल रेंज के तहत आने वाले मुख्य जिले रोहतास, कैमूर, आरा और बक्सर कभी नक्सली वारदातों का गढ़ माना जाता था. परंतु 2011-12 के बाद से यहां कोई बड़ी वारदात नहीं हुई और पूरा रेंज तकरीबन पूरी तरह से शांत हो गया है. कोबरा और एसटीएफ बलों की तरफ से नक्सलियों को उनकी मांद […]

पटना: सोन-गंगा-विंध्याचल रेंज के तहत आने वाले मुख्य जिले रोहतास, कैमूर, आरा और बक्सर कभी नक्सली वारदातों का गढ़ माना जाता था. परंतु 2011-12 के बाद से यहां कोई बड़ी वारदात नहीं हुई और पूरा रेंज तकरीबन पूरी तरह से शांत हो गया है. कोबरा और एसटीएफ बलों की तरफ से नक्सलियों को उनकी मांद में घुसकर मारने की शुरुआत करना, इसका प्रमुख कारण है.

इसके अलावा इस पूरे रेंज में नक्सलियों से मुकाबला करने के लिए कई पूर्व नक्सली और अन्य स्थानीय लोगों को मिलाकर ‘टीएसपीसी (तृतीय सम्मेलन प्रस्ताव कमेटी)’ नामक एक संगठन बनाया गया था. टीएसपीसी की वजह से इस इलाके में नक्सल आंदोलन लोगों के बीच नहीं पनप सका. इसने नक्सलियों के सफाये में काफी अहम भूमिका भी निभायी. अब इस संगठन का दूसरा पहलू भी सामने आने लगा है. कभी नक्सलियों की खिलाफत करने वाले लोग आज अपने दहशत का साम्राज्य स्थापित करने लगे हैं. इससे यह इलाका फिर से अशांत होने लगा है.

शुरू में कई नक्सलियों को भी मारा इसने : टीएसपीसी ने अपने गठन के शुरुआती दौर में कई नक्सलियों को मारा भी और कइयों को पकड़वाने में अहम भूमिका भी निभायी, लेकिन समय के साथ इनका मकसद बदलता नजर आने लगा है. इस संगठन के प्रमुख अजय राजभर और अनिल कुशवाहा उर्फ संदेश हैं. सूचना के अनुसार, इनके पास एके-47 जैसे आधुनिक हथियार भी हैं. इसकी बदौलत ये लोग पूरे इलाके में अपना दबदबा बनाने में लगे हुए हैं और इसके आधार पर अवैध वसूली का बड़ा नेटवर्क तैयार करने में तेजी से जुटे हुए हैं. इनकी लेवी वसूली रकम भी लगातार बढ़ती जा रही है, जो चिंता का विषय है. अगर लेवी वसूली का इनका पूरा नेटवर्क तैयार हो गया, तो इसे तोड़ना बड़ी समस्या हो जायेगी.

खुफिया विभाग की रिपोर्ट में कई खुलासे
खुफिया विभागों की रिपोर्ट के अनुसार, टीएसपीसी ने पिछले एक साल में लेवी वसूली का धंधा शुरू कर दिया है. खासतौर से कैमूर व रोहतास के इलाकों में इस संगठन ने अपने दहशत को स्थापित करने के लिए बड़े स्तर पर कई लोगों को मारने-पीटने और धमकी देने का भी काम किया है.

अनुमान के मुताबिक, इस इलाके में पिछले एक साल के दौरान इन्होंने करीब 40 लाख की लेवी वसूली है व दो दर्जन से ज्यादा लोगों को बुरी तरह से पीटा या घायल कर दिया है. हालांकि अभी तक इनकी तरफ से किसी की हत्या करने की बात सामने नहीं आयी है. इस तरह इस संगठन ने निर्माण कंपनियों और बड़े व्यापारियों को निशाना बनाकर लेवी वसूलने का काम शुरू कर दिया है. इस बात से आगाह किया गया है कि जो कभी नक्सलियों के खिलाफ लड़ते थे, अब वही सिरदर्द बनते जा रहे हैं.

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