पटना : बिहार विधानसभा चुनाव में जदयू की रणनीति तैयार करने वाले और सरकार द्वारा परामर्शी के रूप में नियुक्त कर कैबिनेट मंत्री का दर्जा पाने वाले प्रशांत किशोर के खिलाफ पटना हाइकोर्ट में दायर याचिका पर सोमवार को सुनवाई हुई. कोर्ट ने इस मामले पर 19 अक्तूबर को दोबारा सुनवाई करने की बात कही. प्रशांत किशोर और बिहार सरकार के फैसले के खिलाफ नागरिक अधिकार मंच की जनहित याचिका पर मुख्य न्यायमूर्ति इकबाल अहमद अंसारी की खंडपीठ ने सुनवाई की. इस याचिका में यह मुद्दा उठाया गया था कि प्रावधानों के विरुद्ध सरकार ने प्रशांत किशोर को कैसे परामर्शी नियुक्त किया. साथ ही उन्हें कैबिनेट स्तर के मंत्री का दर्जा क्यों दिया गया.
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता दीनू कुमार ने मीडिया को यह जानकारी दी कि बिहार सरकार ने राज्य सरकार के नियमों के विरुद्ध जाकर प्रशांत किशोर को परामर्शी नियुक्त किया है और उन्हें कैबिनेट स्तर का रैंक दिया गया है. अधिवक्ता ने यह भी कहा कि प्रशांत किशोर की नियुक्ति वैद्य नहीं है इसलिए उन्हें इस पद पर रहने का कोई अधिकार नहीं और उन्हें इस पद से हटाया जाये. बिहार विधानसभा चुनाव में जीत के बाद नीतीश कुमार की सरकार ने प्रशांत किशोर को परामर्शी के रूप में नियुक्त किया था. बकायदा इस पद को कैबिनेट स्तर के मंत्री का दर्जा भी प्राप्त है. गौरतलब हो कि प्रशांत किशोर पहले विदेश में संयुक्त राष्ट्र के लिये काम कर रहे थे और भारत लौटने के बाद उन्होंने राजनीतिक पार्टियों की रणनीति बनाने का काम शुरू किया. प्रशांत किशोर ने लोकसभा चुनाव में पीएम नरेंद्र मोदी के लिए रणनीति तैयार की थी.