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जानलेवा नहीं गर्भाशय कैंसर
जेनेटिक मेटेरियल की हुई खोज, अब बिना गर्भाशय निकाले इलाज पटना : कैंसर के सबसे ज्यादा रोगी अमेरिका में हैं. क्योंकि, वहां के लोग रिजर्व फूड खाते हैं. वैसे तो कैंसर का हर रूप कष्टदायक होता हैं. लेकिन, गर्भाशय का कैंसर ऐसा है. जिसमें मरीज के बचने की संभावना बहुत कम होती हैं. लेकिन, अब […]
जेनेटिक मेटेरियल की हुई खोज, अब बिना गर्भाशय निकाले इलाज
पटना : कैंसर के सबसे ज्यादा रोगी अमेरिका में हैं. क्योंकि, वहां के लोग रिजर्व फूड खाते हैं. वैसे तो कैंसर का हर रूप कष्टदायक होता हैं. लेकिन, गर्भाशय का कैंसर ऐसा है. जिसमें मरीज के बचने की संभावना बहुत कम होती हैं.
लेकिन, अब एक राहत भरी खबर है. वाशिंगटन के वैज्ञानिकों ने एक ऐसी जेनेटिक मटेरियल की खोज की है, जो कि कैंसर की कोशिकाओं को पहचान कर गर्भाशय से अलग कर देगा. अगर फर्स्ट स्टेज में रोग का पता चल जायेगा, तो बिना गर्भाशय को निकाले ही कैंसर को बाहर किया जा सकता है. ये बातें स्वीडेन से आयी डॉ एलिजाबेथ विकस्ट्रोम सेमर ने कहीं. एशियन ओशियन रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन ऑन जेनेटल इंफेक्शंस एंड नेपोलासिया के तीन दिवसीय कॉन्फ्रेंस का समापन पद्मश्री डॉ जितेंद्र कुमार सिंह के नेतृत्व में किया गया.
डॉ एलिजाबेथ विकस्ट्रोम सेमर ने कहा कि शोधकर्ताओं ने अध्ययन के लिए 296 गर्भाशय कैंसरों को एकत्र किये. इसमें एमआरएनए और 1,839 नार्मल टिशूज को एकत्र किया गया था. इसमें पाया गया कि बिना गर्भाशय को निकाले भी इलाज किया जा सकता है. डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा कि अक्सर गर्भाशय कैंसर के बारे में लोगों को काफी देर से जानकारी होती है. महिलाएं अक्सर इन लक्षणों को देख कर अनदेखा कर देती हैं. सामान्य तौर पर इस रोग से ग्रसित महिलाओं की उम्र 45 के पार होती है. इस उम्र में महिलाओं को मोनोपाेज होने शुरू हो जाते हैं. इसलिए जब रक्तस्राव ज्यादा होने लगते हैं, तो उन्हें लगता है कि मासिक धर्म के जाने के दिन हैं.
पटना. महिलाओं में जब मासिक धर्म पूरी तरह से समाप्त हो जाता है, तब उसे मेनोपॉज कहते हैं. मेनोपॉज 45 से 55 साल के बीच की उम्र में होता है. मेनोपॉज सही से नहीं होने पर दिल की बीमारी होने का खतरा अधिक बढ़ जाता है. यह कहना है स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ मंजू गीता मिश्रा का.
डॉ मिश्रा रविवार को होटल मौर्या में मेनोपॉज सोसाइटी की ओर से आयोजित सेमिनार को संबोधित कर रही थीं. कार्यक्रम का नेतृत्व डॉ मंजू गीता मिश्रा व डॉ शांति राय ने किया. डॉ शांति राय ने कहा कि बिहार में जागरूकता की कमी के चलते न्यूट्राइज कैंसर के मरीजों की संख्या बढ़ रही है. उन्होंने कहा कि महिलाओं को मेनोपॉज (रजोनिवृत्ति) के बाद शारीरिक समस्याएं हो रही हैं. इन समस्याओं का अत्याधुनिक तकनीक से इलाज संभव है.
मेनोपॉज के बाद महिलाओं को खांसने पर भी पेशाब (यूरिन लीक) निकल जाता है. इसके लिए ऑपरेशन किये जाते हैं. साथ ही लेजर से भी इलाज किया जा रह है. लेकिन, अब रेडियो फ्रीक्वेंसी से भी इलाज संभव है.
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