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बिहार के तीनों शहीदों के परिजनों को 11-11 लाख रुपये

पटना: कश्मीर के उड़ी में हुए आतंकी हमले में शहीद बिहार के तीनों जवानों के परिजनों को 11-11 लाख रुपये का अनुग्रह अनुदान देने का निर्णय लिया गया है. यह निर्णय मंगलवार को कैबिनेट की बैठक में लिया गया. राज्य सरकार ने इसके लिए 33 लाख रुपये मंजूर किये हैं. कैबिनेट सचिव ब्रजेश मेहरोत्रा ने […]

पटना: कश्मीर के उड़ी में हुए आतंकी हमले में शहीद बिहार के तीनों जवानों के परिजनों को 11-11 लाख रुपये का अनुग्रह अनुदान देने का निर्णय लिया गया है. यह निर्णय मंगलवार को कैबिनेट की बैठक में लिया गया. राज्य सरकार ने इसके लिए 33 लाख रुपये मंजूर किये हैं. कैबिनेट सचिव ब्रजेश मेहरोत्रा ने बताया कि 18 सितंबर को आतंकी हमले में हुए शहीदों में गया के नायक एसके विद्यार्थी, भोजपुर के हवलदार अशोक कुमार सिंह व कैमूर के सिपाही राकेश सिंह के आश्रितों को यह राशि दी जायेगी. बैठक में कुल 19 एजेंडों को स्वीकृत किया गया.

…अब तुम्हारे हवाले वतन साथियों

गया: शहीद सुनील कुमार विद्यार्थी का पार्थिव शरीर 1:35 बजे गया शहर में विष्णुपद स्थित श्मशान घाट पर पहुंचा. यहां सेना के जवानों ने शहीद को गार्ड अॉफ अॉनर दिया़ पिता मथुरा यादव, शहीद की बेेटियां आरती कुमारी, अंशु कुमारी, अंशिका कुमारी व डेढ़ वर्षीय बेटे आर्यन राज काे गाेद में लिये शहीद की पत्नी किरण देवी बेजार विलाप किये जा रही थीं. इससे वहां मौजूद लोगों की आंखें नम हो गयीं़
हक्का-बक्का था आर्यन: शहीद का डेढ़ वर्षीय बेटा आर्यन भीड़ काे देख हक्का-बक्का था. उसे ताे पता भी नहीं था कि उसके सिर से पिता का साया उठ चुका है. वह तो लोगों को आश्चर्य से देख रहा था़ उसे गाेद मे लेकर शहीद के छाेटे चाचा रामजी यादव ने अपने भतीजे को दाेपहर बाद 2.36 बजे वैदिक मंत्राेच्चार के बीच मुखाग्नि दी. इस बीच, बिहार रेजिमेंट, दानापुर के आठ जवानों ने 24 राउंड फायरिंग कर शहीद को सलामी दी. बिहार रेजिमेंट, दानापुर के 30 सदस्यीय जवानाें का कर्नल देवाशीष नाथ लीड कर रहे थे.
इस माैके पर आेटीए के अधिकारी कर्नल रूपेंद्र सिंह, कर्नल राहुल बख्शी, मेजर गाैरव कुमार, मेजर कैलाश, आैरंगाबाद के सांसद सुशील कुमार सिंह, गया के सांसद हरि मांझी, पीएचइडी सह जिला के प्रभारी मंत्री कृष्णनंदन प्रसाद वर्मा, विधानसभा में विपक्ष के नेता डॉ. प्रेम कुमार, सुरेंद्र प्रसाद यादव, राजीव नंदन दांगी, सहित अन्य नेता व अधिकारी माैजूद थे.

पंचतत्व में विलीन हो गये भोजपुर के शहीद अशोक
आरा:मंगलवार की दोपहर 11:40 बजे शहीद अशोक का शव पीरो अनुमंडल के जितौरा बाजार स्थित रकटु टोला में लाया गया तो सबकी आंखें नम हो गयीं. शहीद को सेना के जवानों ने सलामी दी. इसके बाद जैसे ही शहीद अशोक की पत्नी संगीता के पास शव को ले जाया गया वह दहाड़ मार कर रोने लगी. बिहार सरकार के अधिकारियों ने सरकार की ओर से पांच लाख रुपये का चेक देने का प्रयास किया लेकिन शहीद की पत्नी ने कहा कि मेरा सोना चला गया अब मुझे कोयला नहीं चाहिए. पिता की आंखें देख नहीं पायी लेकिन घर में आये लोगों की आवाज सुन कर सेना के अधिकारियों के सामने रो पड़े.
वहां शायद ही ऐसा कोई होगा जिसकी आंखों में पाकिस्तान के खिलाफ गुस्सा नहीं होगा. शहीद का शव लेकर आये सेना के अधिकारियों, बिहार सरकार के उद्योग मंत्री जय कुमार सिंह, जगदीशपुर विधायक रामविशुन सिंह लोहिया, पूर्व विधायक भाई दिनेश, जिलाधिकारी डॉ वीरेंद्र प्रसाद यादव, पुलिस कप्तान छत्रनील सिंह, सदर एसडीओ नवदीप शुक्ला समेत तमाम अधिकारियों ने पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि दी. वहां उमड़ा जनसैलाब काफी देर तक पाकिस्तान से बदला लो का नारा लगा रहा था. इसके बाद बड़े बेटे वसेना से ट्रेनिंग कर वापस लौटे विकास ने गांव के बाहर पिता को मुखाग्नि दी.

बिहार रेजिमेंट : तेरे अदम्य साहस पर नाज है हमें : इतिहास के आईने में वीरगाथा विश्व युद्ध से कारगिल तक छुड़ाये दुश्मनों के छक्के
पटना/दानापुर: 1945 में बिहार रेजिमेंट के गठन के बाद जवानों ने द्वितीय विश्व युद्ध् में वीरता पूर्वक दुश्मनों से मुकाबला किया था. 1942 में बर्मा अभियान की कारवाई में भी बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया था. 1948-49 के दौरान कश्मीर घाटी में अघोषित युद्ध में भाग लिया. गोवा की मुक्ति, 1962के चीन आक्रमण में, भारत-पाक की 1965 का युद्ध, 1971 का भारत-पाक युद्ध और श्रीलंका के आॅपरेशन में भी जवानों ने दुश्मनों को मुहंतोड़ जबाव दिया था. रेजिमेंट के जवानों ने देश के उत्तरी-पूर्वी भाग और जम्मू-कश्मीर में आंतकवाद से लड़ाई लड़ने में सक्रिय रूप से भाग लिया है. 1999 के कारिगल युद्ध् में पाक घुसपैठियों को बटालिक सेक्टर व जुबार हिल से मार भगाया था. रेजिमेंट के जवानों ने सोमालिया और कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य में संयुक्त राष्ट्र शांति अभियान में शामिल हुए है.
देश की दूसरी सबसे पुरानी छावनी दानापुर : बिहार रेजिमेंट 1941 में 11 वीं प्रादेशिक बटालियन, 19 वीं रेजिमेंट हैदराबाद को नियमित करने और नये बटालियन को ऊपर उठाने के लिए बनाया गया था. देश का दूसरा सबसे पुराना छावनी में दानापुर में बिहार रेजिमेंट सेंटर स्थित है. आगरा में एक नवंबर 1945 को तीसरी ट्रेनिंग बटालियन के अंदर बिहार रेजिमेंट सेंटर का जन्म हुआ था. 19 नवंबर 1945 को ले कर्नल रूडोल्फ क्रिश्चियन केंद्र के प्रथम समादेष्टा बने थे. अप्रैल 1946 में केंद्र रांची में स्थानांतरित कर दिया गया था और नवंबर 1946 में केंद्र को बिहार के गया में स्थातांरित कर दिया गया. जनवरी 1947 में केंद्र बालक कंपनी की स्थापना की गयी. इनमें साढ़े पंद्रह वर्ष से 16 वर्ष के युवकों को भरती किये जाने लगा और प्रशिक्षण दिया जाता था. 6 मई 1947 में ले कर्नल आरसी मुल्लर ने ले कर्नल एलडी ग्लेसिन डीएसओ को कमान सौंपी थी. स्वंतत्रता के बाद 28 नवंबर 1947 को ले कर्नल हरदयाल सिंह रंधावा केंद्र के प्रथम भारतीय समादेष्टा बने थे. 2 मार्च 1949 को ले कर्नल गिरधारी सिंह बीआरसी के समादेष्टा बने थे. इनके कमान संभालते ही मार्च 1949 को केंद्र दानापुर कैंट में स्थातांरित कर दिया गया .
प्रथम बिहार बटालियन का गठन 15 सितंबर, 1941 को हुआ : एक अप्रैल 1949 को मेजर जनरल संत सिंह बिहार रेजिमेंट के प्रथम कर्नल नियुक्त हुए थे. प्रथम बिहार बटालियन का 15 सिंतबर 1941 को 11‍/ 19 वीं हैदारबाद को जमशेदपुर में बिहार रेजिमेंट की पहली बटालियन का गठन किया गया था. द्वितीय बिहार बटालियन का एक दिसंबर 1942 को आगरा में गठन किया गया था. इसके प्रथम कमान अधिकारी ले कर्नल जीएल ट्रेलर थे. तृतीय बिहार बटालियन का 1 नवंबर 1945 को आगरा में स्थापना की गयी थी. इसका प्रथम कमान अधिकारी ले कर्नल बीडब्लूएस लेथरड थे.
पाक पर कार्रवाई नहीं हुई, तो फौज में नहीं जायेगा मेरा बेटा
भभुआ: ‘पाकिस्तान लगातार अमानवीय तरीके से हमारे देश के खिलाफ कार्रवाई कर रहा है. हमारे सैनिक शहीद हो रहे हैं. आये दिन हमारे लोगों की जानें जा रही हैं. यह सब कब तक चलेगा? अगर इस बार भी पाक के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई, तो मैं अपने बेटे को फौज में नहीं जाने दूंगी.’ बेहद तल्ख अंदाज में ये बातें कहते हुए शहीद राकेश सिंह की पत्नी किरण देवी ने कहीं. राकेश कैमूर जिले के नुआंव प्रखंड स्थित बड्ढा गांव के रहनेवाले थे. मंगलवार को कैप्टन एसके पांडेय के नेतृत्व में 39 जीटीसी, वाराणसी, के जवान शहादत प्राप्त राकेश का शव लेकर नुआंव स्थित उनके गांव पहुंचे थे.
विगत 16 तारीख को अंतिम बार हुई थी बात : गांव में पति का शव पहुंचने पर शहीद सैनिक राकेश के निधन से मर्माहत उनकी पत्नी किरण बीच-बीच में खुद को संभालने की मजबूत कोशिश कर रही थीं. उन्होंने कहा कि विगत 16 तारीख को उनसे अंतिम बार उनकी बात हुई थी.
2012 में हुई थी राकेश की शादी : 2008 से ही फौज में शामिल राकेश से किरण की शादी 2012 में हुई थी. इनका डेढ़ वर्ष का बेटा है.
कइसन अभागा बाप बानी हम!
‘अरे बाप रे बाप, हमरा खातिर ऊपरवाला के नजर कइसन हो गइल बा हो दादा? बुझाते नइखे कि भगवान कब के गलती के सजा देत बाड़न! हम कइसन अभागा बाप बानी! जब हमारा चार गो बेटा के कंधा मिले के चाहीं, तब हमहीं बेटा के कंधा दे तानी!’ शहीद सैनिक राकेश के पिता हरिहर प्रसाद कुशवाहा बेटे के शव को देख-देख बुरी तरह विलाप कर रहे थे.

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