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एसएसजी को मिलेंगे खास किस्म के पोर्टेबल जैमर

पटना : राज्य में वीवीआइपी सुरक्षा और अन्य विशेष मौके पर सुरक्षात्मक कारणों से दो मिनी या पोर्टेबल जैमर मंगवाये जा रहे हैं. इसमें एक जैमर विशेष रूप से मुख्यमंत्री की सुरक्षा में तैनात रहने वाले एसएसजी (विशेष सुरक्षा दल) दस्ता और एक जैमर बम निरोधक दस्ता (बीडीडीएस) को खासतौर से दिये जायेंगे. इन मशीनों […]

पटना : राज्य में वीवीआइपी सुरक्षा और अन्य विशेष मौके पर सुरक्षात्मक कारणों से दो मिनी या पोर्टेबल जैमर मंगवाये जा रहे हैं. इसमें एक जैमर विशेष रूप से मुख्यमंत्री की सुरक्षा में तैनात रहने वाले एसएसजी (विशेष सुरक्षा दल) दस्ता और एक जैमर बम निरोधक दस्ता (बीडीडीएस) को खासतौर से दिये जायेंगे.
इन मशीनों को हैदराबाद स्थित भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (बीइएल) से मंगवाया जा रहा है. इन दोनों मशीनों की खरीद के लिए गृह विभाग ने 79.98 लाख रुपये जारी कर दिये हैं. इसमें 75 फीसदी रुपये कंपनी को दे दिये गये हैं. तीन महीने के अंदर इन मशीनों के आने की संभावना है. इन आधुनिक मशीनों की मदद से सुरक्षा व्यवस्था ज्यादा चौक-चौबंद हो पायेगी. इससे सुरक्षा में सेंध लगाना मुश्किल होगा.
इन जैमरों की मदद से सुरक्षा के मानक ज्यादा सशक्त हो पायेंगे. किसी वीआइपी मूवमेंट या किसी बम की जांच या तलाशी के दौरान किसी तरह का रिमोट या टाइमर से बम का विस्फोट नहीं कराया जा सकता है. इससे पहले भी पुलिस महकमा चार व्हेकिल माउंटेड जैमर मंगवा रहा है, लेकिन इस बार ये दोनों जैमर पोर्टेबल हैं, जिनकी मदद से इन्हें किसी हॉल के अंदर या अन्य छोटे स्थान पर भी साथ ले जाकर उपयोग किया जा सकता है.
कारकेड में चलने के लिए व्हेकिल वाले जैमर का उपयोग किया जायेगा. जबकि किसी कार्यक्रम स्थल या सेमिनार या अंदर के स्थल में इस तरह के पोर्टेबल जैमर का उपयोग किया जायेगा. नक्सली किसी बड़े वारदात को अंजाम देने से पहले उस क्षेत्र में टॉवर को उड़ा देते हैं, जिससे मोबाइल और वायरलेस कम्यूनिकेशन ठप पड़ जाता है.
पुलिस महकमा इस बार आधुनिकीकरण पर खासतौर से ध्यान दे रहा है. इसके तहत आधुनिक हथियार, सीएम समेत अन्य वीवीआइपी सुरक्षा में बढ़ोतरी करने समेत अन्य बातों पर खासतौर से ध्यान दिया जा रहा है. इनके अलावा जिला स्तर पर संचार और आपसी समन्वय स्थापित करने पर भी खासतौर से फोकस किया जायेगा. इसके तहत जिलों में डिजिटल वायरलेस सेट के अलावा आपसी समन्वय स्थापित करने के लिए कई तरह के आधुनिक संचार उपकरणों का उपयोग किया जायेगा.
तमाम वायरलेस कम्यूनिकेशन डिजिटल आधारित होने जा रहा है, जिससे बातचीत में किसी तरह की कोई रुकावट नहीं आये और किसी भी दुर्गम स्थानों में सिंग्नल की समस्या नहीं हो. इसके अलावा जिलों में आपसी समन्वय स्थापित करने के लिए भी खासतौर से ध्यान दिया जा रहा है. इसके लिए बेहद दुर्गम थानों में सेटेलाइट फोन देने की भी तैयारी चल रही है. ताकि किसी नक्सली वारदात या अन्य आपात स्थिति में संचार प्रक्रिया हमेशा मुख्यालय के साथ बना रहे.

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