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आठ माह में पूरी होगी रिश्वत लेते पकड़े जाने वाले की सुनवाई

पटना. अब निगरानी विभाग द्वारा रंगे हाथ पकड़े गये सरकारीकर्मियों और अधिकारियों की खैर नहीं है. भ्रष्टाचार में लिप्त ऐसे कर्मियों की सुनवाई अब आठ माह में पूरा करने का दिशा निर्देश जारी किया गया है. सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा जारी निर्देश में कहा गया है कि साक्ष्य जुटाने में देरी और गवाहों को समय […]

पटना. अब निगरानी विभाग द्वारा रंगे हाथ पकड़े गये सरकारीकर्मियों और अधिकारियों की खैर नहीं है. भ्रष्टाचार में लिप्त ऐसे कर्मियों की सुनवाई अब आठ माह में पूरा करने का दिशा निर्देश जारी किया गया है. सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा जारी निर्देश में कहा गया है कि साक्ष्य जुटाने में देरी और गवाहों को समय पर नहीं पहुंचाने के कारण ऐसे मामलों की सुनवाई लंबी अवधि तक चलती है. साथ ही इसे सजा देने तक की तार्किक स्थिति तक नहीं पहुंचता है.
इससे भ्रष्ट लोक सेवकों पर कार्रवाई में देरी होती है और उन्हें इसका लाभ मिल जाता है. इससे सरकार की जीरो टॉलरेंस की नीति भी प्रभावित होती है. आम लोगों में इसका गलत संदेश भी जाता है. जारी दिशा निर्देश में कहा गया है कि निगरानी या आर्थिक अपराध अनुसंधान इकाई द्वारा आरोपित सरकारी सेवकों के मामले में जिला स्तर पर अपर समाहर्ता और विभाग के स्तर पर संयुक्त सचिव के स्तर के अधिकारी को ही विभागीय कार्रवाई में गवाह के रूप में नियुक्त किया जायेगा. गिरफ्तारी के बाद विभागीय कार्यवाही चलाने के लिए सभी साक्ष्य सहित गवाहों के पता समेत प्रशासी विभाग को सौंपना होगा.
तीन माह के अंदर शुरू करनी होगी विभागीय कार्रवाई
जारी निर्देश में कहा गया है कि आरोपी लोक सेवक के विरुद्ध तीन माह के अंदर विभागीय कार्रवाई शुरू करना होगा. गिरफ्तारी की तिथि से आठ माह के अंदर इसे पूरा करना अनिवार्य होगा. कहा गया है कि गवाही के लिए निगरानी विभाग को सुनिश्चत करना होगा कि गवाही में समय पर धावा दल में शामिल कर्मियों की उपस्थिति हो. इससे आरोपी को गवाहों की अनुपस्थिति का लाभ नहीं मिल सके. इसके लिए धावा दल के तीन कर्मचारी और इसमें शामिल दो पदाधिकारी को गवाही में उपस्थित रहने का निर्देश दिया जाये.
ऐसा इंतजाम हो कि ऐसे गवाहों को एक बार ही महत्वपूर्ण बिंदु के लिए आना पड़े. पहली सुनवाई में ही आरोपित को आरोपों के सभी दस्तावेज उपलब्ध कराया जाये. जारी निर्देश में कहा गया है कि आरोप सिद्ध करने के लिए एक साथ सभी आरोपों से संबंधित दस्तावेज उपलब्ध हो, ताकि आरोपित को सभी दस्तावेज उपलब्ध कराया जा सके. कहा गया है कि इसके अलावा भी आरोपी कोई अन्य दस्तावेज की मांग करता है तो उसे अधिकतम एक माह के अंदर उपलब्ध कराया जाये. ऐसे मामलों की निगरानी या आर्थिक अपराध अनुसंधान इकाई द्वारा सुनवाई के बाद नियमित मॉनीटरिंग करे.

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