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उषा की पटकथा व लालकेश्वर की कलम

अनुसंधान. केस डायरी में एसआइटी ने लिखा, दलालों को जोड़ रखा था पूर्व प्रिंसिपल ने बोर्ड टॉपर घोटाले में जांच तेजी से चल रही है. रिपोर्ट से जो छन कर बात आ रही है, उसमें पूरी साजिश में मास्टर माइंड बच्चा समेत उषा व लालकेश्वर का हाथ है. पटना : बिहार बोर्ड में घोटाले की […]

अनुसंधान. केस डायरी में एसआइटी ने लिखा, दलालों को जोड़ रखा था पूर्व प्रिंसिपल ने
बोर्ड टॉपर घोटाले में जांच तेजी से चल रही है. रिपोर्ट से जो छन कर बात आ रही है, उसमें पूरी साजिश में मास्टर माइंड बच्चा समेत उषा व लालकेश्वर का हाथ है.
पटना : बिहार बोर्ड में घोटाले की साजिश और रणनीति उषा सिन्हा ही तैयार करती थी. कैसे हेरफेर करना है, इसकी पटकथा भी वहीं लिखती थी. अब तक बोर्ड में चार प्रकार के घोटाले की बात सामने आ चुकी है, अलग-अलग काम के अलग-अलग दलाल थे और सबका कनेक्शन उषा सिन्हा से था. घर पर आना-जाना, फोन से बातचीत, पैसों की डील सब उषा ही करती थी. उषा के पति व बोर्ड चेयरमैन लालकेश्वर प्रसाद सिंह की सीधे तौर पर किसी से ज्यादा बातचीत नहीं थी, बस वह उषा के इशारे पर खामोशी से कलम चला देते थे.
लेकिन, बड़े पैमाने पर चल रहे इस खेल का जब खुलासा हुआ, तो आरोपितों की जुबान भले ही पुलिस के सामने बंद थी, पर बरामद किये गये घोटाले के साक्ष्य चीख-चीख कर करतूतों की हकीकत बयां करनेलगे. एसआइटी ने डायरी में आरोपों को बारीकी से लिखा है व साबित करने के लिए डॉक्यूमेंट को हथियार बनाया है.
उधर सोमवार को बोर्ड टॉपर घोटाला कांड के 32 आरोपितों के खिलाफचार्जशीट दाखिल होने के बाद अब कोर्ट की कार्रवाई शुरू होनी है. कोर्ट बहुत जल्द चार्जशीट पर संज्ञान लेगा और सुनवाई होगी.
घोटाला नंबर एक
टॉपर के लिए बच्चा की उषा से होती थी सीधी बात
रिजल्ट घोटाले का मास्टर मांइड बच्चा राय जिला टॉपर, स्टेट टॉपर, अच्छे नंबर से पास कराने की गारंटी लेकर पैसा उठाता था. जिला लेवल पर अपने प्रभाव से वह मनचाहा
काम करा लेता था, जैसे मनचाही जगह परीक्षा केंद्र बनवा लेना, सेटिंग नहीं हुई, तो परीक्षा से पहले परीक्षा केंद्र चेंज करा लेना उसका बायें हाथ का खेल था. सूत्रों की मानें तो उत्तर पुस्तिका को लिखवाना, मूल्यांकन केंद्र पर हेरफेर कर कॉपी पहुंचाने से लेकर टॉपरों की लिस्ट में
उलटफेर के लिए वह उषा सिन्हा के साथ मिल कर पक्का प्लान बनाता था. यह सब कुछ बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष लालकेश्वर प्रसाद की जानकारी में होती थी, लेकिन वह मुंह नहीं खोलते थे, बल्कि जो हो रहा था, उसे होने देते थे.
घोटाला नंबर दो
एफिलियशन के लिए दलाल डायरेक्ट नहीं पहुंचते थे बोर्ड
एफलियशन घोटाले में भी उषा सिन्हा का ही मैनेजमेंट था. इस काम के लिए जो भी दलाल थे, सब उषा के ही जानने वाले थे. नालंदा के अनिल कुमार सिंह, लालकेश्वर के बड़े बेटे के साले विकास चंद्रा और संजीव मिश्रा, अजित शक्तिमान, ये सभी लोग एफलियशन की फाइल की डीलिंग करते थे और सब उषा से जुड़े थे. पैसों की डील उषा करती थी और हस्ताक्षर सचिव और अध्यक्ष करते थे.
इसमें श्रीनिवास तिवारी, हरिहरनाथ झा का भी बड़ा रोल था. पुलिस ने केस डायरी में सभी पर आरोप लगाया है. मान्यता की फाइलों पर मौजूद हस्ताक्षर की जांच सैंपल के बाद रिपोर्ट एफएसएल से ले ली गयी है, दलालों के फोन का सीडीआर निकाला गया है, जिसके आधार पर एफिलियशन के आरोप को साबित किये जाने का प्रयास किया जायेगा.
घोटाला नंबर तीन
मार्क्स फाइल मामले में पूर्व बोर्ड अध्यक्ष की थी अहम भूमिका
बोर्ड के मार्क्स फाइल घोटाले में लालकेश्वर प्रसाद की अहम भूमिका के प्रमाण एसआइटी को मिले थे.
इसमें पूरी साजिश के तहत मार्क्स का उलट-फेर किया जाता था. इसके लिए लालकेश्वर प्रसाद खुद दिल्ली जाते थे. पुलिस ने इस खेल में शामिल कुछ बोर्ड कर्मचारियों व लालकेश्वर प्रसाद के खिलाफ प्रमाण एकत्रित किया है. इसमें एसआइटी के पास सबसे बड़ा हथियार लालकेश्वर प्रसाद के बॉडी गार्ड संजीव कुमार की गवाही है. कब-कहां कैसे जाते थे लालकेश्वर इसका सारा ब्योरा 164 के बयान मे आ चुका है. इसके अलाव पूछताछ की सीडी भी एसआइटी ने कोर्ट को मुहैया करायी है. इस घोटाले में लालकेश्वर सीधे तौर पर आरोपित हैं.सूत्रों की मानें तो साक्ष्य व गवाहों के सामने किसी भी आरोपित का बचना मुश्किल है.
प्रिंट और टेंडर घोटाले में बेटा और दामाद ने किया खेल
बिहार बोर्ड का चौथा घोटाला प्रिंट-टेंडर घोटाला है. इसमें एसआइटी की जांच में साफ हो चुका है कि गलत ढंग से टेंडर विकास के द्वारा कराये जाते थे. इसकी सेटिंग लालकेश्वर के दामाद विवेक की थी. बेटा राहुल राज भी शामिल था. मथुरा की प्रिटिंग प्रेस से अतिरिक्त कॉपियों की प्रिटिंग, अहमदाबाद की प्रिटिंग प्रेस को फर्जी इ-मेल के जरिये निविदा के लिए आमंत्रित करना, और डिलिवरी लेने के बाद पैसा भुगतान नहीं करना, ऐसे तमाम आरोप सामने आये हैं.
इसमें बोर्ड के अलावा प्रिटिंग कंपनी ने भी प्राथमिकी दर्ज करायी थी, जिसमें विकास जिसे पुलिस ने पहले सरकारी गवाह बनाया था, उस पर प्रिटिंग घोटाले का आरोप लगाया है. इसमें बोर्ड के सहायक कर्मचारी रामभूषण झा भी शामिल है. सूत्रों की मानें तो मामले की जांच तेज गति से चल रही है और जल्द ही इसकी भी जांच रिपोर्ट सामने आ जायेगी. गौरतलब है कि कोर्ट में भी तमाम आरोपितों पर चार्जशीट दायर का दिया गया है.

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