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बिहार पांचवें नंबर पर, लेकिन पटना में पेयजल को लेकर हो रही परेशानी

अमृत मिशन. तीन एजेंसियां फिर भी नहीं पहुंचता है पानी शहर की मात्र तीस फीसदी आबादी के घर में सरकारी सप्लाइ का पानी पहुंचता है. अनिकेत त्रिवेदी पटना : अमृत मिशन यानी अटल नवीकरण और शहरी परिवर्तन मिशन (अमृत) के तहत देश भर में पेयजल की सुविधा को बेहतर की जा रही है. राज्य में […]

अमृत मिशन. तीन एजेंसियां फिर भी नहीं पहुंचता है पानी
शहर की मात्र तीस फीसदी आबादी के घर में सरकारी सप्लाइ का पानी पहुंचता है.
अनिकेत त्रिवेदी
पटना : अमृत मिशन यानी अटल नवीकरण और शहरी परिवर्तन मिशन (अमृत) के तहत देश भर में पेयजल की सुविधा को बेहतर की जा रही है. राज्य में बीते वर्ष जून से योजना लागू है.
राज्य योजना को तेजी से पूरा करने वाले राज्य में पांचवे नंबर पर है. अब तक पहले फेज में 14 शहरों को लिया गया है. इसकी योजना की लागत 607 करोड़ है. शहरी निकायों के दो सौ वार्डों में पेयजल की योजना पहुंचायी जा रही है. पहले वित्तीय वर्ष में नगर निकायों में छह नगर निकाय छह शहर लिये गये हैं. इसके अलावा मुख्यमंत्री हर घर नल जल योजना भी पूरे राज्य में चल रही है. इस योजना के आधार पर 32 नगर निकायों में हर घर नल जल पहुंचाना है. इस योजना में 400 करोड़ की राशि खर्च करनी है.
पेयजल को पूरा करने के लिए राज्य में दो महत्वाकांक्षी योजना होने के बावजूद राजधानी पटना के हर घर पीने का पानी नहीं पहुंचा है. शहर की मात्र तीस फीसदी जनसंख्या के घर में सरकारी सप्लाई का पानी पहुंचता है. शेष शहरी को अब भी पीने का पानी घरों में नहीं पहुंचता है. ऐसा नहीं कि राजधानी की जनता को पानी पहुंचाने की योजना नहीं बनी थी, लेकिन पुरानी योजनाएं बीते कई वर्षों से अधर में लटकी हुई हैं. योजना पर काम भी नहीं शुरू हो रहा है.
लोगों को पेयजल पहुंचाने की जिम्मेवारी
बीआरजेपी यानी बिहार राज्य जल पर्षद और बुडको को पेय जल आपूर्ति की योजना मिलती है. ये तीनों एजेंसियां नगर विकास व आवास विभाग के माध्यम से विभिन्न योजनाओं पर काम भी कर रही है, लेकिन बावजूद इसके राजधानी के हरेक घर तक पानी की सुविधा नहीं पहुंची रही है. क्योंकि नगर निगम के जल पर्षद पूरे शहर को पानी की सुविधा मुहैया कराने के लिये कोई नयी योजना नहीं बनाया है.
इसके बाद बीआरजेपी राज्य भर में हर घर नल- जल की योजना पर काम कर रहा है लेकिन इसके पास भी राजधानी मेें लिये काेई विशेष योजना नहीं है. वहीं बुडको यानी बिहार राज्य शहरी आधारभूत संरचना निगम लिमिटेड बीते तीन वर्षों 14 वार्डों में 18 जगहों पर वाटर टावर व पाइन लाइन विस्तार की योजना पर काम कर रहा है , लेकिन वो अब तक काम अधूरा है. एेसे में शहरवासियो को कब तक पेय जल की सुविधा मिलेगी, कहा नहीं जा सकता.
मुख्य बिंदु
अमृत मिशन में 24* 7 पानी.
इसके प्रति व्यक्ति 135 लीटर पानी के हिसाब से सप्लाई होगी.
वाटर मीटर भी लगेगा.
मुख्यमंत्री हर घर नल- जल में कनेक्शन लेने का शुल्क 1829 रुपये रखा गया है.
शहर के लगभग 30 फीसदी से कम घरों मेें नगर निगम पेय जल पहुंचाता है. निगम का जल पर्षद इसके लिये अलग विंग है. लेकिन पाइपलाइन 50 वर्ष से भी पुराना है. निगम की 102 बोरिंग के माध्यम से पानी की सप्लाई होती है. पाइपलाइन पुराना होने के कारण पानी का लिकेज होता रहा है. जल पर्षद के कार्यपालक पदाधिकारी अब्दुल हमीद बताते हैं कि इस निगम लोगों को अपनी क्षमता के आधार पर पानी पहुंचाने का काम कर रहा है.
15 जगहों पर बोरिंग लगाने की थी योजना
बीआरजेपी ने नगर विकास व आवास विभाग के योजना से मिली स्वीकृति के अाधार पर शहर में 15 जगहों पर बोरिंग लगाने की योजना बनायी थी. लेकिन तीन स्थानों पर जगह नहीं मिलने के कारण काम नहीं हुआ. शेष 12 जगहों पर बोरिंग लग चुकी है. बीआरजेपी के एमडी शीर्षत कपिल अशोक बताते है कि बीआरजेपी अपने स्तर से कोई योजना नहीं बनाता. विभाग या अन्य एजेंसियों के माध्यम से मिली योजना पर काम किया जाता है.
बुडको ने आधे शहरों में लटका रखी है योजना
जेनुआरएम के माध्यम से 72 वार्डों में वाटर टावर सप्लाई की योजना बनी थी. लेकिन विभाग की अोर से कंपनी को हटाने के बाद योजना सिमट कर 14 वार्डों के 18 जगहों पर वाटर टावर व पाइप लाइन काम पूरा करने का रहा गया. वर्ष 2014 के बाद बुडको ने अधूरी योजना पूरा करने के लिये कई बार निविदा निकाली लेकिन जो अब तक सफल नहीं हो सकी. विभाग की ओर से लगातार निर्देशन के बावजूद इस पर कोई कार्रवाई आगे नहीं बढ़ी है.

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