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ट्रैफिक व पानी का चुनें विकल्प, तो होंगे स्मार्ट

स्मार्ट सिटी. पैन सिटी में दी गयी हैं छह बेहतर योजनाएं, शहरवासियों को चुनने हैं दो विकल्प, किये जायेंगे लागू अनिकेत त्रिवेदी पटना : स्मार्ट सिटी के तहत शहर की जन सुविधाएं स्मार्ट और आधुनिक होनी हैं. शहर को इस बार छह विकल्प में से दो का चुनाव करना है, जो आम लोगों के सुझाव […]

स्मार्ट सिटी. पैन सिटी में दी गयी हैं छह बेहतर योजनाएं, शहरवासियों को चुनने हैं दो विकल्प, किये जायेंगे लागू
अनिकेत त्रिवेदी
पटना : स्मार्ट सिटी के तहत शहर की जन सुविधाएं स्मार्ट और आधुनिक होनी हैं. शहर को इस बार छह विकल्प में से दो का चुनाव करना है, जो आम लोगों के सुझाव के आधार पर ही तय किये जायेंगे. ऐसे में शहर अपनी जरूरतों के अनुसार विकल्प का चुनाव करता है, तो इससे पूरे शहर में एक साथ लागू किया जायेगा. लोगों को मिलने वाली छह जन सुविधाओं के वर्तमान हालात अभी बेहतर नहीं हैं.
किसी भी स्थिति में इसे पूर्ण और आधुनिक नहीं कहा जा सकता. संसाधनों का उपयोग करने के बावजूद लोगों को इसका भरपूर लाभ नहीं मिल पा रहा है. ऐसे में शहर अब पैन सिटी में मिले छह विकल्प में से स्मार्ट ट्रैफिक और ट्रांसपोर्ट मैनेजमेंट के साथ पेयजल की सुविधा का चुनाव करता है, तो आम लोगों को इसका कितना फायदा मिलेगा. हालात कितने बदलेंगे, इस पर पेश है रिपोर्ट…
ट्रैफिक-ट्रांसपोर्ट मैनेजमेंट का चुना जाता है विकल्प
शहर में दो पहिया और चार पहिया वाहनों की संख्या पांच लाख से अधिक है. इसके अलावा प्रतिमाह पटना जिले मेें 20 हजार से अधिक वाहन बढ़ जाते हैं. लेकिन, सड़कों की चौड़ाई नहीं बढ़ रही है. लगभग सभी मुख्य रास्तों पर अतिक्रमण के कारण ट्रैफिक सिस्टम खराब हो गया है. यातायात के सही तरीके से संचालन की लिए ट्रैफिक जवान भी कम हैं.
बीते वर्ष शहर में 24.45 करोड़ की लागत से 97 जगहों पर ट्रैफिक लाइट लगाने की योजना पर काम हुआ. इसमें से 72 जगहों पर लाइटें लगीं. इसके बावजूद स्थिति में कोई सुधार नहीं आया है. अधिकतर मुख्य चौराहों पर ट्रैफिक सिगनल के बावजूद जवान ही ट्रैफिक कंट्रोल करते हैं. कई सड़कें जैसे अशोक राजपथ, पटना जंकशन, बाइपास का इलाका जाम का प्रयाय बन चुके है. अगर स्मार्ट ट्रैफिक के विकल्प को चूना जाता है, तो लोगों को राहत मिलेगी.
कैसे होगी व्यवस्था में सुधार : शहर अगर स्मार्ट ट्रैफिक व्यवस्था के विकल्प को चुनता है, तो इसका सबसे बड़ा फायदा होगा कि आम लोगों को बगैर सड़क चौड़ा किये या सड़कों का विस्तार किये जाम से छुटकारा मिलेगा. पूरे ट्रैफिक सिस्टम को आइटी से जोड़ कर डेवलप किया जायेगा.
ट्रैफिक में आॅटोमेटिक सेंसर रडार लगे होंगे, इसके पूरी कंट्रोलिंग ऑटोमेटिक होगी.
सर्विलांस कैमरा होगा, जो नियम तोड़नेवालों का फोटो लेकर कंट्रोल रूम में इंडिकेट कर देगा.
इ-चलान की सुविधा. भीड़ के अनुसार ट्रैफिक रेगुलेशन होगा.
जाम नहीं लगेगा, तो प्रदूषण कम होगा.
ट्रैफिक जवानों की संख्या कम रहने से भी परेशानी नहीं होगी.
शहर में अभी हर घर पानी नहीं पहुंचा है. मात्र 30 फीसदी घरों मेंं ही वाटर सप्लाइ होती है. शहर में पाइपलाइन व्यवस्था जर्जर है. तीन वर्ष पहले शहर में 527 करोड़ की लागत से सभी 72 वार्डों में वाटर टावर और पाइपलाइन विस्तार की योजना बनी थी. 18 जगहों पर वाटर टावर बनाने का काम भी शुरू हुआ, लेकिन पूरा नहीं हो सका. नगर निगम का जल पर्षद इसकी देखरेख करता है. बीआरजेपी ने 12 जगहों पर नयी बोरिंग लगायी है, लेकिन पाइपलाइन विस्तार नहीं होने से इसका लाभ नहीं मिला.
कैसे बेहतर होगी सुविधा : शहर अगर वाटर सप्लाइ मैनेजमेंट का चुनाव करता है, तो आम लोगों को पानी की सुविधा मिलेगी. पाइप लाइन लीकेज में होने वाली पानी की बरबादी भी रुकेगी. बेस एरिया मैनेजमेंट के रि-डेवलपमेंट और ग्रीन फिल्ड में नया वाटर सप्लाइ का प्रोजेक्ट लगाया जायेगा.
पाइपलाइन में सेंसर होंगे, कहीं लीकेज होने पर निगम कंट्रोल रूम को लोकेशन की सूचना मिलेगी.
सप्लाइ का पूरा सिस्टम ऑटोमेटिक होगा.
घरों में वाटर मीटर भी लगाये जा सकेंगे. इससेे पानी की बचत होगी.
निगम चाहे तो उपयोग के आधार पर पानी का शुल्क भी चार्ज कर सकेगा.
पूरे शहर को नये प्लांट लगा कर पानी दिये जायेंगे.
स्मार्ट सिटी की सभी योजनाएं आम लोगों के लिए लाभकारी होंगी. योजनाएं आधुनिक तरीके के लागू किये जायेंगे. निगम कम संसाधन में सुविधा देगा. हालांकि, किसी भी विकल्प का चुनाव आम लोगों के सुझाव पर ही किया जायेगा.
शीर्षत कपिल अशोक, नोडल पदाधिकारी, स्मार्ट सिटी

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