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वारफेज चार्ज की हेराफेरी से रेलवे को करोड़ों की चपत
कर्मियों ने रेलवे बोर्ड व पूर्व मध्य रेल जोन के अलग- अलग आदेश का फायदा उठाया. अब अधिकारियों व कर्मचारियों के वेतन से राशि वसूली का आदेश. प्रभात रंजन पटना : पूर्व मध्य रेलवे में माल ढुलाई के नाम पर बड़ी राशि का गोलमाल हुआ है. निर्धारित से अधिक समय तक किसी भी माल को […]
कर्मियों ने रेलवे बोर्ड व पूर्व मध्य रेल जोन के अलग- अलग आदेश का फायदा उठाया. अब अधिकारियों व कर्मचारियों के वेतन से राशि वसूली का आदेश.
प्रभात रंजन
पटना : पूर्व मध्य रेलवे में माल ढुलाई के नाम पर बड़ी राशि का गोलमाल हुआ है. निर्धारित से अधिक समय तक किसी भी माल को अपने पास रखने पर रेलवे वारफेज व डैमरेज चार्ज लगाता है. इस चार्ज को लेकर रेलवे बोर्ड व पूर्व मध्य रेल प्रशासन द्वारा दिये गये दोअलग-अलग आदेशों का फायदा उठाते हुए रेलकर्मियों ने बड़ी राशि की हेराफेरी की है. यह खुलासासोनपुर मंडल में हुए ऑडिट के बाद हुआ, जिसमें ऑडिटर ने 11 करोड़ रुपये कम वारफेज सर्विस टैक्स वसूली किये जाने की बात कही है. इस खुलासे के बाद पूर्व मध्य रेल प्रशासन को दूसरे मंडलों की ऑडिट रिपोर्ट का भी इंतजार है. वहीं यह राशि संबंधित अधिकारियों व कर्मचारियों के वेतन से वसूला जायेगा.
15 फीसदी की जगह वसूला मात्र 4.5 फीसदी : वारफेज व डैमरेज चार्ज के तौर पर रेलवे बोर्ड की ओर से माल ढुलाई के लिए 4.5 प्रतिशत टैक्स वसूलने का प्रावधान है. इसी बीच पूर्व मध्य रेल जोन (पूमरे) ने जुलाई माह में 15 प्रतिशत की दर से इस चार्ज को वसूलने का अपना अादेश सभी रेल मंडलों को दिया. लेकिन, रेलवे का रैक जहां-जहां लोड व अनलोड होता है, वहां कार्यरत अधिकारियों व कर्मियों ने रेलवे बोर्ड के पुराने आदेश पर ही टैक्स वसूली जारी रखी. इस अलग-अलग आदेश का अप्रत्यक्ष रूप से अधिकारी व कर्मचारी लाभ उठाते रहे. ऑडिटर के खुलासे के बाद जोन प्रशासन ने संबंधित अधिकारियों व कर्मचारियों के वेतन से इस राशि की वसूली का आदेश दिया है.
रेलवे बोर्ड ने 15 फीसदी वसूली को ठहराया सही: रेलवे बोर्ड और जोन के अलग-अलग आदेश होने पर रेल मंडल के वरीय वाणिज्य अधिकारियों ने जोन से मार्गदर्शन की मांग की. इस मार्गदर्शन का जवाब पांच अगस्त को दिया गया, जिसमें जेपीए का हवाला देते हुए कहा गया कि 15 प्रतिशत ही सर्विस टैक्स वसूलना है. इसके बावजूद रेलवे बोर्ड द्वारा निर्धारित पुराना सर्विस टैक्स ही वसूला जाता रहा है. यह सिर्फ सोनपुर रेल मंडल में ही नहीं, बल्कि जोन के सभी रेल मंडलों में हुआ है.
सौ करोड़ से अधिक के नुकसान की आशंका : पूमरे जोन में पांच रेल मंडल हैं, जिनमें दानापुर, मुगलसराय, सोनपुर, समस्तीपुर और धनबाद रेल मंडल शामिल हैं. सबसे अधिक रैक का लोड व अनलोड का काम धनबाद व मुगलसराय रेल मंडल में होता है, जहां मासिक सर्विस टैक्स से 50-50 करोड़ रुपये से अधिक की वसूली होती है. हालांकि, चारों रेल मंडलों में कितना नुकसान हुआ, यह ऑडिट रिपोर्ट आने के बाद ही पता चलेगा. फिलहाल, रेल अधिकारियों की मानें तो सौ करोड़ से अधिक रुपये का मामला है, जो कर्मचारियों से वसूला जायेगा.
अधिकारी व कर्मी ने उठाये लाभ : पूमरे जोन में जहां रेलवे रैक का लोड व अनलोड होता है, वहां अधिकारियों के पास दो आदेश दिया गया. इस स्थिति में व्यापारियों से जोन के आदेश पर सर्विस टैक्स वसूला गया, लेकिन रेलवे के खजाने में रेलवे बोर्ड द्वारा निर्धारित सर्विस टैक्स ही जमा हुआ. रेलवे अधिकारी बताते हैं कि बोर्ड व जोन के अलग-अलग आदेश के दो पहलू हैं. पहला, जिन व्यापारियों को रेलवे बोर्ड द्वारा निर्धारित सर्विस टैक्स की जानकारी थी, उन व्यापारियों से बीच का रास्ता निकाल कर सर्विस टैक्स वसूल किया गया. दूसरा, रेलवे बोर्ड का आदेश सर्वमान्य है और बोर्ड के निर्देश का पालन किया. इस स्थिति में अधिकारी या कर्मचारी कैसे दोषी होगा. जबकि, ऑडिटर ने कर्मचारियों व अधिकारियों को दोषी बताया है.
जोन के आदेश का पालन नहीं
यह सही है कि गुड्स के वारफेज व डैमरेज पर सर्विस टैक्स वसूली को लेकर रेलवे बोर्ड 4.5 प्रतिशत निर्धारित किया है, लेकिन जोन ने जेपीए के निर्णय के आलोक में 15 प्रतिशत सर्विस टैक्स वसूलने का आदेश दिया. हालांकि, मंडल में जोन के आदेश का पालन नहीं किया गया. अब रेलवे बोर्ड से मार्गदर्शन मांग की है. जवाब आने के बाद आगे की कार्रवाई की जायेगी.
अरविंद कुमार रजक, मुख्य जनसंपर्क पदाधिकारी
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