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न 500 अतिरिक्त बेड मिले, न आइसीयू व इमरजेंसी में बढ़े बेड
आइजीआइएमएस. छह साल बाद भी अब तक स्वतंत्र अस्तित्व में नहीं आ सका मेडिकल काॅलेज पटना : छह साल बाद भी इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान (आइजीआइएमएस) स्थित मेडिकल काॅलेज स्वतंत्र अस्तित्व में नहीं अा सका है. मेडिकल कॉलेज सुपरस्पेशियलिटी अस्पताल के साथ घुल-मिल गया है. ऐसे में मेडिकल काॅलेज के लिए अलग से कोई व्यवस्था […]
आइजीआइएमएस. छह साल बाद भी अब तक स्वतंत्र अस्तित्व में नहीं आ सका मेडिकल काॅलेज
पटना : छह साल बाद भी इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान (आइजीआइएमएस) स्थित मेडिकल काॅलेज स्वतंत्र अस्तित्व में नहीं अा सका है. मेडिकल कॉलेज सुपरस्पेशियलिटी अस्पताल के साथ घुल-मिल गया है.
ऐसे में मेडिकल काॅलेज के लिए अलग से कोई व्यवस्था नहीं होने के कारण यहां सुविधाएं भी घट गयी हैं. अगर संस्थान से मेडिकल कॉलेज को अलग कर दिया जाता, तो इसकी क्षमता दोगुनी अधिक हो जाती. इससे यहां मरीजों के लिए 500 अतिरिक्त बेड बढ़ जाते. साथ ही आसीयू व इमरजेंसी में बेड और ऑपरेशन थियेटर की संख्या भी बढ़ जाती. वर्तमान में हर साल यहां राज्य भर से दो लाख नये मरीज इलाज कराने आ रहे हैं. जबकि, प्रतिदिन 150-200 मरीज इमरजेंसी में आते हैं. इमरजेंसी में महज 36 बेड होने के कारण अधिकतर मरीजों को लौटना पड़ता है.
मेडिकल कॉलेज हाॅस्पिटल के लिए जमीन भी आवंटित कर दी गयी है और उसके लिए प्रोजेक्ट भी तैयार है, पर धनराशि के कारण काम आगे नहीं बढ़ रहा है.
अभी नौ बेडों का ही आइसीयू, तीन गुना बढ़ने की जरूरत
आइजीआइएमएस की स्थापना सुपर स्पेशियलिटी हाॅस्पिटल के रूप मे की गयी है. इस संस्थान में ही मेडिकल काॅलेज की स्थापना की गयी. संस्थान के 418 बेड का उपयोग काॅलेज कर रहा है.
इससे सुपर स्पेशियलिटी के मरीजों के लिए बेड की कमी हो गयी है. संस्थान के 13 आॅपरेशन थियेटरों का उपयोग काॅलेज द्वारा होता है. मेडिकल काउंसिल आॅफ इंडिया ने भी 2015 में किये गये निरीक्षण के दौरान आॅपरेशन थियेटर और आॅपरेशन टेबल को लेकर कमियां गिनायी थीं. संस्थान में कुल 13 आॅपरेशन थियेटर हैं, जिसमें 17 आॅपरेशन टेबल लगाये गये हैं. इसके अलावा नेत्र रोगियों के लिए मेजर आॅपरेशन थियेटर की आवश्यकता है. काॅलेज द्वारा संस्थान के ही आॅपरेशन थियेटर का उपयोग किया जाता है.
संस्थान में अभी केवल नौ बेड का ही आइसीयू है. मेडिकल काॅलेज अस्पताल के होने पर इसकी संख्या कम से कम तीन गुनी अधिक हो जाती. अभी तक संस्थान के बेड व ओटी का उपयोग काॅलेज द्वारा किया जा रहा है.
सरकार द्वारा 525 करोड़ की लागत से नये मेडिकल काॅलेज का निर्माण कराया जा रहा है. साथ ही काॅलेज के लिए निरंतर सुधार भी किया जा रहा है. मेडिकल काउंसिल आॅफ इंडिया द्वारा जो भी आपत्तियां बतायी जाती हैं, उसके निराकरण के लिए तत्काल पहल की जाती है.
डाॅ सुनील सिंह, शासी निकाय के सदस्य, आइजीआइएमएस
मेडिकल कॉलेज की स्थापना के बाद संस्थान में मरीजों की संख्या में बेतहाशा वृद्धि हुई है. मेडिकल कॉलेज का अतिरिक्त 500 बेड मिल जाये तो मरीजों के इलाज की सुविधा बढ़ जायेगी. साथ ही एक ही छत के नीचे सामान्य से लेकर सुपर स्पेशियलिटी की सेवाएं भी बहाल हो जायेगी.
डाॅ मनीष मंडल, अपर चिकित्सा अधीक्षक, आइजीआइएमएस
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